Namaze Istikhara Kaise Padhen

 

Namaze Istikhara Kaise Padhen | नमाज़े इस्तिखारा कैसे पढ़ें ?

Namaze Istikhara Kaise Padhen | नमाज़े इस्तिखारा कैसे पढ़ें?

Agar aap aksar aise faislon mein ulajh jate hain jahan aap samajh nahi paa rahe hote ki kya karna chahiye aur kya nahi, to aapko apni uljhan door karne ke liye Namaze Istikhara karni chahiye. Istikhara Allah Ta’ala se behtari aur khair talash karne ka ek tareeqa hai.

Istikhara Ka Matlab
Istikhara ka matlab hota hai Allah Ta’ala se khair aur bhalaai ko talash karna.

Namaze Istikhara Ka Tareeqa
Pehli Rakat: Surah Fatiha ke baad Surah Kafirun padhein.
Dusri Rakat: Surah Fatiha ke baad Surah Ikhlas padhein.
Namaz ke baad, niche di gayi dua padhein:

Namaze Istikhara Ki Dua
Arabic:
اللَّهُمَّ إِنِّي أَسْتَخِيرُكَ بِعِلْمَكَ، وَأَسْتَقْدِرُكَ بِقُدْرَتِكَ، وَأَسْأَلُكَ مِنْ فَضْلِكَ الْعَظِيمِ، فَإِنَّكَ تَقْدُرُ وَلَا أَقْدِرُ، وَتَعْلَمُ، وَلَا أَعْلَمُ، وَأَنْتَ عَلَّامُ الْغُيُوبِ، اللَّهُمَّ إِنْ كُنْتَ تَعْلَمُ أَنَّ هَذَا الْأَمْرَ خَيْرٌ لِي فِي دِينِي وَمَعَاشِي وَعَاقِبَةِ أَمْرِي، فَاقْدُرْهُ لِي وَيَسِّرْهُ لِي، ثُمَّ بَارِكْ لِي فِيهِ، وَإِنْ كُنْتَ تَعْلَمُ أَنَّ هَذَا الْأَمْرَ شَرٌّ لِي فِي دِينِي وَمَعَاشِي وَعَاقِبَةِ أَمْرِي، فَاصْرِفْهُ عَنِّي وَاصْرِفْنِي عَنْهُ، وَاقْدُرْ لِيَ الْخَيْرَ حَيْثُ كَانَ ثُمَّ أَرْضِنِي بِهِ

Roman English:
Allahumma inni astakhiruka bi-ilmika, wa astaqdiruka biqudratika, wa as’aluka min fazlikal azeem, fa-innaka taqdiru wala aqdiru, wa ta’lamu wala a’alamu, wa anta allamul ghuyub. Allahumma in kunta ta’lam anna haza-l amra khairun li fi deeni wa ma’aashi wa aaqibati amri, faqdirhu li wa yassirhu summa baarik li fihi. Wa in kunta ta’lam anna haza-l amra sharrun li fi deeni wa ma’aashi wa aaqibati amri, fasrifhu anni was-rifni anhu, waqdir liya-l khaira haisu kana summa arddini bihi.

Tarjuma:
“Aey Allah! Main aapke ilm ke zariye behtari maangta hoon, aur aapki qudrat se taqat chahta hoon, aur aapke azeem fazl ka sawal karta hoon. Agar aap ke ilm ke mutabiq yeh kaam mere liye behtar hai to isse mere liye mumkin banaiye, aur isme barkat dijiyega. Agar yeh kaam mere liye nuksan deh hai to isse mujh se door kar dijiyega, aur mujh ke liye behtari ka faisla kijiyega, phir mujhe us par raji kijiyega.”

Namaze Istikhara Ka Waqt Aur Tadaad
Namaze Istikhara ke liye koi khaas waqt nahi hai, mubah waqt mein kisi bhi waqt kiya ja sakta hai. Istikhara ko behtar hai ke saat din tak kiya jaye, aur agar kisi faisle ka asar nazar na aaye, to isse lagatar karte rahein.

Agar aapke paas do rakat namaz padne ka waqt nahi hai, to Sirf dua bhi kar sakte hain:

Pehli Dua:
“Allahumma khir li wakhtir li”

Dusri Dua:
“Allahumma ahdini wa saddidni”

Allah Ta’ala humein Namaze Istikhara ke zariye sehi rehnumai ki taufeeq de. Ameen.

Namaze Istikhara Kaise Padhen

नमाज़े इस्तिखारा कैसे पढ़ें ?

अगर आप इन्सान हैं तो इस में कोई शक नहीं है कि आप अक्सर कई कामों में उलझ जाते होंगे और कन्फ्युज़ हो जाते होंगे क्या करूँ और क्या न करू, जैसे आप अपनी शादी करने जा रहे हों या अपने बच्चों की, तो आप की समझ में नहीं आता कि इस जगह से करूं या न करू

अगर आप कहीं जॉब करना चाहते हैं, किसी काम को इख्तियार करना चाहते हैं, या ज़िन्दगी का कोई अहम् फैसला करना चाहते हैं लेकिन आप ऐसे दोराहे पर आकर खड़े हैं कि समझ नहीं आ रहा इस तरफ़ जाऊं या इस तरफ जाऊं, तो ऐसी उलझन में आप किसी न किसी से मशवरा करते हैं और उसका हल तलाश करते हैं

इन सारी उलझनों से निकलने के लिए क्यूँ न आपको मैं एक ऐसा हल बताऊँ जिसको आपने अगर सही तरीक़े से किया तो आपके मसअले का हल भी निकल आएगा, और आपका ये अमल इबादत में शामिल हो जायेगा, और जो काम आप करने जा रहे हैं उस में बुराई के बजाये भलाई का दबदबा रहेगा |

नमाज़े इस्तिखारा | Namaze Istikhara

वो हल है नमाज़े इस्तिखारा ( Namaze Istikhara ) यानि इस्तिखारे की नमाज़ पढ़ना, और नमाज़ पढ़ कर अल्लाह तआला से सही रहनुमाई चाहना अब चूंकि हम खैर और भलाई चाह रहे हैं और भलाई अल्लाह के हाथ में है तो क्यूँ न अल्लाह से ही दुआ की जाये कि जिस में खैर हो वो हमें अता फरमा दे, और जब हमारे नबी मुहम्मद (सल्लल लाहु अलैहि वसल्लम) ने अपने सहाबा को ख़ुद इस नमाज़ की अहमियत बताई है तो क्यों न हम इसका फ़ायदा उठायें |

इस्तिखारा का मतलब क्या होता है ?

इस्तिखारा का मतलब होता है अल्लाह तआला से खैर और भलाई को तलब करना

नमाज़े इस्तिखारा का तरीक़ा क्या है ?

दो रकात नमाज़ नफ्ल की नियत से पढ़ना और नमाज़ के बाद नीचे बताई गयी दुआ पढ़ना

 

Namaze Istikhara Ki Dua | इस्तिखारा करने की दुआ

अलाहुम्मा इन्नी अस तखीरुका बिइल्मिका, व अस्तक़ दिरुका बिकुद रतिका, वअस अलुका मिन फ़द्लिकल अज़ीम, फ़इन्नका तक़दिरू वला अक़दिरू, वतअ’लमु वला अअ’लमु, व अन्ता अल्लामुल गुयूब, अल्लाहुम्मा इन कुन्ता तअ’लमु अन्ना हाज़ल अमरा खैरुल ली फ़ी दीनी व म आशी व आकिबति अमरी, अव क़ाला आजिलि अमरी व आजिलिही, फ़क़दुरहु ली वयस सिरहु ली, सुम्मा बारिक ली फ़ीहि, वइन कुन्ता तअ’लमु अन्ना हाज़ल अमरा शररुल ली फ़ी दीनी व म आशी व आकिबति अमरी अव क़ाला आजिलि अमरी व आजिलिही, फ़स रिफ्हू अन्नी वस रिफनी अन्हु, वक़दिर लियल खैरा हैसु काना सुम्मा रद्दिनी बिही

नोट : ऊपर रेड निशान अन्ना हाज़ल अमरा पर जब आयें तो अपनी जिस ज़रुरत के लिए नमाज़ पढ़ रहे हैं वो अपने ज़हन में ले ए या जुबान से कह लें

तर्जुमा : ए अल्लाह मैं आप के इल्म के ज़रिये खैर का तालिब हूँ, और आप की क़ुदरत से ताक़त हासिल करना चाहता हूँ, और आप के फजले अज़ीम का सवाल करता हूँ, बेशक आप क़ादिर हैं और मैं क़ुदरत नहीं रखता, और आप को इल्म है कि मैं ला इल्म हूँ, और आप छिपी हुई बातों से अच्छी तरह जानते हैं ए अल्लाह अगर आप के इल्म के मुताबिक़ ये काम मेरे हक़ में दीनी या दुनयवी एतबार से बेहतर है तो उसे मेरे लिए मुक़द्दर फरमा दीजिये,फिर मुझे उस अमल से राज़ी कर दीजिये

नमाज़े इस्तिखारा में कौन सी सूरतें पढ़ें ?

कोई भी सूरह पढ़ सकते हैं हाँ, बेहतर है कि पहली रकात सूरह काफ़िरून और दूसरी में सूरह इख्लास पढ़ें

इस्तिखारे की नमाज़ किस वक़्त पढ़ें ?

नमाज़े इस्तिखारा के लिए कोई वक़्त मुक़र्रर नहीं है, मकरूह वक़त को छोड़ कर दिन और रात में किसी भी वक़्त पढ़ सकते हैं

इस्तिखारा कितनी बार किया जाये ?

बेहतर है कि इस्तिखारा सात दिन तक किया जाये और अगर सात दिन में किसी एक फ़ैसले की तरफ झुकाव न हो तो मुसलसल करता रहे

इस्तिखारा के बाद सही फैसले का पता कैसे चलेगा ?

हो सकता है आपको ख्व़ाब में सही रास्ता की तरफ इशारा किया जाये लेकिन ये कोई ज़रूरी नहीं है बल्कि देखा ये जायेगा कि जिस चीज़ के लिए मैं इस्तिखारा कर रहा हूँ दिल का झुकाव उधर हैं या नहीं अगर है तो उस पर अमल किया जाये अगर नहीं तो छोड़ दिया जाये, या अगर दो चीज़ें हैं जिसमें एक का फैसला करना है तो इस्तिखारे के बाद दिल का झुकाव जिस तरफ ज़्यादा हो बस उसी पर अमल कर लिया जाये |

अगर दो रकात पढ़ने का वक़्त नहीं है तो….

कभी कभार इन्सान मुश्किल में फंस जाता है और उसे तुरन्त फ़ैसला करना होता है यहांतक कि उस के पास इतना वक़्त भी नहीं होता कि दो रकात नफ्ल अदा करे तो ऐसे में हुज़ूर सल्लल लाहु अलैहि वसल्लम ने ये दुआएं फरमाई हैं

पहली दुआ

अल्लाहुम्मा खिर ली वख़ तिरली

ए अल्लाह मेरे आप पसंद फरमा दीजिये, मुझे कौन सा रास्ता इख्तियार करना चाहिए

दूसरी दुआ

अल्लाहुम्मह दिनी वसद दिदनी

ए अल्लाह मुझे सही हिदायत फ़रमाइए, और मुझे सीधे रास्ते पर रखिये

अल्लाह तआला हम सबको इस नमाज़ के ज़रिये सही रहनुमाई की तौफ़ीक़ अता फ़रमाए

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क्या आप भी किसी काम में फसे हुए हैं? आप को समझ नहीं आ रहा है की मुझे इस काम को करना चाहिए या नहीं तो आपको अपनी इस परेशानी को दूरने के लिए आपको इस्तिखारा करना चाहिए।

आज हम आपको इस्तिखारा करने का तरीका, इस्तिखारा क्या है? इसे कब और क्यों करना चाहिए? कितनी बार इस्तिखारा करना चाहिए, इस्तीखरा सुन्नत है या नफ़्ल, इस्तिखारा की दुआ और इस्तिखारा करने के तरीके के बारे में बताएंगे।

आप को अच्छे से हर एक पॉइंट को करना ज़रूरी है , अगर आपने इस्तिखारा को सही से नहीं किया तो हो सकता है आपकी परेशानी दूर न हो पाए।

Table of Contents

इस्तिखारा किसे कहते हैं ?

अगर आप किसी भी मामले में जैसे कारोबार, लड़का या लड़की की शादी, सफर या फिर कोई और मामले में अल्लाह ताला से खैर और भलाई तलब करने को इस्तखारा कहते है। क्योंकि इंसान को मालूम नहीं की कौन सी चीज उसके लिए अच्छी है और कौनसी चीज़ उसके लिए खराब।

इस्तिखारा करने का तरीका

  1. किसी हलाल काम करने का इरादा करे
  2. इस्तिखारा करे
  3. उस काम के जानने वाले के साथ मश्वरा (राय) करे
  4. अल्लाह पर तवक्कल (भरोसा करें) करे
  5. नमाज़ पढ़ने के बाद दो रकअत नमाज़ नफ़्ल पढ़कर नमाज़ ए इस्तिखारा की दुआ को पढ़ले आपका इस्तिखारा पूरा हो जायेगा।
  6. इस्तिखारा करने के लिए कोई खास वक़्त नहीं है आप जब चाहे दो रकअत नमाज़ नफ़्ल पढ़कर इस्तीखरा की कर सकते हैं। मगर आप रात को सोने से पहले इस्तिखारा करेंगे तो इंशाअल्लाह या आपके लिए बेहतर होगा।
  7. इस्तिखारा एक दुआ है या कोई नमाज़ नहीं है अगर आप रात के आखिरी हिस्से में किसी भी दुआ को पढ़ेंगे तो आपकी दुआ क़ुबूल होने का चांस ज़्यादा होगा।

इस्तिखारा की दुआ (Istikhara Ki Dua) को पढ़ने से पहले तीन बार दरूद शरीफ और पढ़ने के बाद 3 मर्तबा दरूद शरीफ पढ़ सकते हैं।

इस्तिखारा को कब करना चाहिए ?

इस्तिखारा को करने की आपको एक खास वजह होनी चाहिए। आप इस्तिखारा को ऐसे मौके पर कर सकते हैं।

  1. हजरत जाबिर बिन अब्दुल्लाह रज़ि — बयान करते हैं की र०स०अ०व हमें हर काम में इस्तिखारा करने की तालीम इस तरह देते हैं जिस तरह कुरान शरीफ की सूरह को पढ़ने की तालीम देते थे।
  2. आप र०स०अ०व फरमाते हैं तुम में से कोई इंसान जब किसी भी काम का इरादा करें तो फर्ज के अलावा दो रकअत नमाज़ इस्तीखरा भी पढ़ले और फिर इस्तिखारा की दुआ को पढ़ले।
  3. जब भी ज़रुरत पड़े उसी वक़्त आप इस्तिखारा कर सकते हैं, जैसा कि नबी स०अ०व ने फरमाया “इज़ा हम्मा” “जब किसी काम का इरादा करें तो उसी वक़्त कर सकते हैं”।
  4. हर ज़रूरी काम में इस्तिखारा किया जा सकता है, लेकिन फराइज में इस्तिखारा नहीं होगा क्योंकि इनका करना वाजिब है।
  5. यह दुआ ( इस्तिखारा की दुआ ) है जो नमाज से बाहर की जाती है।
  6. इस्तिखारा करने के बाद ख्वाब (सपना) का आना ज़रूरी नहीं है ख्वाब आ भी सकता है और नहीं भी।
  7. चोरी का माल या जादू और भी बहुत कुछ गलत कामो का पता लगाने के लिए इस्तिखारा करना या कराना जायज (मान्य) नहीं है।

इस्तिखारा करने के बाद इन बातो का ख्याल रखे

इस्तिखारा करने के बाद ख्वाब का आना ज़रूरी नहीं है। अगर वो काम आपके लिए बेहतर होगा तो आपको उस काम करने का ख्याल आएगा , अगर आपके लिए वो काम अच्छा नहीं होगा तो उस काम को करने में रुकावट आएगी।

इसितखारा की दुआ को पढना ही काफी नहीं है अल्लाह पाक पर भरोसा करना और उस काम में माहिर लोग से मश्वरा लेना भी ज़रूरी है।

इस्तिखारा की दुआ

इस्तिखारा की दुआ हिंदी में

अल्लाहुम्मा इन्नी अस्तख़ीरुक  बिअिल्मीक व-अस्-तक़दिरूक बिक़ुदरतिक , व-अस्-अलु -क मिन् फ़जि़्ल-कल् अज़ीमि फ़इन्न-क तक़दिरु-वला अक्दिरु व-तअ्-लमु वला अअ्-लमु व-अंत अ़ल्लामुल ग़ुयूबि अल्लाहुम्म इन् कुन्त तअ्-लमु अन्न हाज़ल् अम्र ख़ैरून् ली फ़ी दीनी व मा-अशी  – वआ़क़ि-बति अम्रीफ़-कद्दिरहु ली व-यस्सिरहु सुम्म बारिक ली फ़ीहि , वइन् कुन्-त तअ्-लमु अन्नहू शर्रून् फ़ी दीनी  मा-अशी-व-  आ़क़ि-बति अम्री फ़स्रिफ़हुअ़न्नी व-स्र्रिफ़नी अ़न्हु व-कद्दिर लि-यल खै-रहैसु का-न सुम्म रजि़्ज़नी बिही

  1. जब आप हाज़ल अम्र पर पहुंचे तो उस काम का जिक्र करे जिस काम के लिए इस्तिखारा कर रहे है फिर आगे की दुआ पढ़े।
  2. इस्तिखारा की दुआ में व मा-अशी की जगह व दुन्या भी पढ़ सकते है।

इस्तिखारा की दुआ का अनुवाद

अल्लाह, मैं आपके बेइंतिहा, इल्म के जरिए बेहतरी माँगता हूं, और मैं आपसे आपकी कुदरत के जरिए से ताकत माँगता हूं, और मैं आपका असीम फज़्लो करम माँगता हूं। क्योंकि आप पूरी तरह काबील हैं, जबकि मैं नहीं।आप सबकुछ जानते हैं, और मैं नहीं, और आप सब कुछ जानते हैं जो अनदेखी है।

हे अल्लाह, अगर आप जानते हैं कि यह फेसला ( फैसले का इजहार करें), मेरे मजहब, मेरी दूनिया औरआखिरत के नतीजे के लिए अच्छा है, तो इसे पूरा करें, इसे मेरे लिए आसान करें और मेरा इसके जरिए भला करें।

लेकिन अगर आप जानते हैं कि मेरे मजहब, मेरी दूनिया और आखिरत के नतीजे पर इसका बुरा असर है, तो इस फैसले को मूझसे फिरा दीजिये और मुझे इससे दूर कर दीजिये, और इसके बजाय, मूझे कूछ बेहतर दीजिये, वो चाहे जो भी हो, उसके जरिए मूझे इत्मीनान दीजिये

इस्तिखारा की दुआ अरबिक में

اللَّهُمَّ إِنِّي أَسْتَخِيرُكَ بِعِلْمَكَ، وَأَسْتَقْدِرُكَ بِقُدْرَتِكَ، وَأَسْأَلُكَ مِنْ فَضْلِكَ الْعَظِيمِ، فَإِنَّكَ تَقْدِرُ وَلَا أَقْدِرُ، وَتَعْلَمُ، وَلَا أَعْلَمُ، وَأَنْتَ عَلَّامُ الْغُيُوبِ، اللَّهُمَّ إِنْ كُنْتَ تَعْلَمُ أَنَّ هَذَا الْأَمْرَ- خَيْرٌ لِي فِي دِينِي وَمَعَاشِي وَعَاقِبَةِ أَمْرِي- عَاجِلِهِ وَآجِلِهِ- فَاقْدُرْهُ لِي وَيَسِّرْهُ لِي ثُمَّ بَارِكْ لِي فِيهِ، وَإِنْ كُنْتَ تَعْلَمُ أَنَّ هَذَا الْأَمْرَ شَرٌّ لِي فِي دِينِي وَمَعَاشِي وَعَاقِبَةِ أَمْرِي- عَاجِلِهِ وَآجِلِهِ- فَاصْرِفْهُ عَنِّي وَاصْرِفْنِي عَنْهُ وَاقْدُرْ لِيَ الْخَيْرَ حَيْثُ كَانَ ثُمَّ أَرْضِنِي بِهِ

इस्तिखारा की दुआ का अनुवाद उर्दू में

اے اللہ میں تیری ذہانت، علم کے ذریعے تیری بھلائی کا سوال کرتا ہوں، اور تیری فطرت کے ذریعے طاقت مانگتا ہوں، اور تیرے لامحدود فضل کا سوال کرتا ہوں۔ کیونکہ آپ کامل طور پر قادر ہیں جب کہ میں نہیں ہوں، آپ سب کچھ جانتے ہیں، اور میں نہیں ہوں،

اور آپ سب کچھ غیب جانتے ہیں۔ اے اللہ اگر تو جانتا ہے کہ یہ فیصلہ میرے دین، میری دنیا اور آخرت کے لیے اچھا ہے تو اسے پورا فرما، میرے لیے آسان فرما اور اس کے ذریعے میری بھلائی فرما۔ لیکن اگر تم جانتے ہو کہ اس کا میرے دین، میری دنیا اور آخرت کے نتائج پر برا اثر ہے تو اس فیصلے کو مجھ سے پھیر دو اور مجھے اس سے دور کر دو اور اس کے بدلے مجھے اس سے بہتر چیز دے دو، خواہ وہ کچھ بھی ہو۔ مجھے اس کے ذریعے آسان کرو

Istikhara Dua In English

Allahumma Inni Astakhiruka Bi-ilmika, Waastaqdiruka biqudratika, Wa As’aluka Min Fazlikal azeem ® Fa-innaka Taqdiru Wala Aqdiru Wa ta-lamu Wala aalamu, Wa anta allamu-l-guyub ® Allahumma, In kunta Ta-lam Anna Haza-L Amra Khairun Li Fi Dini Wa-Ma’ashi Wa-aqibati Amri Faqdirhu Lee Wa Yassirhu Summa Baarik Li Fihi, Wa in kunta Ta-lamu Anna Hu shar-run Fi Dini Wa-Ma’ashi Wa-aqibati Amri Fasrifhu Anni Was-rifni Anhu. Waqdir Li Al-khaira Haisu kaa -na Summa Arrizzni Bihi.

  • Jab Aap HazaL Amra Par Panhunche To Us Kaam Ka Jikr Kare Jis Kaam Ke Liye Isikhara Kiya Gayaa Hai, Uske baad aage ki dua paadhen.
  • Istikhara Ki Dua Mein Wa-Ma’ashi Ki Jagah wa-Dunya Bhi Padh Sakte Hai.

Istikhara Ki Dua In English With Translation

O Allah, I ask for your bestness through your intelligence and knowledge, and I ask you for strength through your nature, and I ask for your infinite grace. Because you are competent, while I am not. You know everything, and I am not; you know everything unseen. O Allah, if you know that this decision is good for my religion, my world, and the end result, fulfill it, make it easy for me, and do me well. But if you know that it has a bad effect on my religion, my world, and the outcome of the Hereafter, turn this judgment away from me and take me away from it, and instead, give me something better, whatever it may be, ease me through that

हमे उम्मीद है की अब आपको इस्तिखारा की नमाज़ पढ़ने का तरीका मालूम हो गया होगा।

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