Aane Walon Yeh To Batao Naat Lyrics
Aane Walon Yeh To Batao Naat Lyrics
Naat Sharif | Aane Walon Yeh To Batao Naat |
Recite | Prof. Abdul Rauf Rufi Allama Hafiz Bilal Qadri |
Writer | Ishrat Godharvi |
Producer | BarkateRaza |
Recorded | Naat production |
Category | Naat |
Released Date | Jan 01, 2012 |
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Aanay Walo Yay To Bataao Shehr Madina Kesa He
Sar Un Kay Qadmon Mayn Rakh Kar Jukh Kar Jiina Kesa He
Gunbaday Khazra Kay Sa-Ay Mayn Beytth Kay Tum To Aa-Ay Ho
Uss Sa-Ay Mayn Rab Kay Aagay Sajda Karna Kesa He
Dil Aankhayn Or Ruuh Tumhari Lagti Heyn Sehraab Mujhay
Dar Pay Un Kay Beytth Kay Zamzam Piina Kesa He
Diiwano Aankhon Say Tumharitna Puuch To Laynay Do
Waqt E Dua Rozay Pay Un Kay Aansu Bahana Kesa He
Waqt E Rukhsat Dil Ko Apnay Chhoarr Wahaan Tum Aa-Ay Ho
Yay Batlaa-O Ishrat Un Kay Dar Say Bichharrna Kesa He
आने वालो ! ये तो बताओ, शहर-ए-मदीना कैसा है
आने वालो ! ये तो बताओ, शहर-ए-मदीना कैसा है
सर उन के क़दमों में रख कर, झुक कर जीना कैसा है
देख के जिस को जी नहीं भरता, शहर-ए-मदीना ऐसा है
आँखों को जो ठंडक बख़्शे, गुंबद-ए-ख़ज़रा ऐसा है
आने वालो ! ये तो बताओ, शहर-ए-मदीना कैसा है
गुंबद-ए-ख़ज़रा के साए में बैठ के तुम तो आए हो
उस साए में रब के आगे सज्दा करना कैसा है
आने वालो ! ये तो बताओ, शहर-ए-मदीना कैसा है
मैं भी चूम के आज आया हूँ उन महकती गलियों को
जो कुछ देखा उन गलियों में, कहीं न देखा ऐसा है
देख के जिस को जी नहीं भरता, शहर-ए-मदीना ऐसा है
दिल, आँखें और रूह तुम्हारी लगती है सैराब मुझे
दर पे उन के बैठ के आब-ए-ज़मज़म पीना कैसा है
आने वालो ! ये तो बताओ, शहर-ए-मदीना कैसा है
हम मेहमान बने थे उन के, ‘अर्श पे जो मेहमान हुए
क्यूँ न क़िस्मत पर हो नाज़ाँ, जिन का आक़ा ऐसा है
देख के जिस को जी नहीं भरता, शहर-ए-मदीना ऐसा है
दीवानो ! आँखों से तुम्हारी इतना पूछ तो लेने दो
वक़्त-ए-दु’आ रौज़े पे उन के आँसू बहाना कैसा है
आने वालो ! ये तो बताओ, शहर-ए-मदीना कैसा है
मिम्बर-ए-पाक-ए-रसूल भी देखा, देखा ख़ास मुसल्ला भी
हरम शरीफ़ का हर मंज़र ही नज़र में जचता ऐसा है
देख के जिस को जी नहीं भरता, शहर-ए-मदीना ऐसा है
वक़्त-ए-रुख़्सत दिल को अपने छोड़ वहाँ तुम आए हो
ये बतलाओ, इशरत ! उन के घर से बिछड़ना कैसा है
आने वालो ! ये तो बताओ, शहर-ए-मदीना कैसा है
वापस आएँ दिल नहीं करता छोड़ के उन की चौखट को
जान भी दे दें उन के दर पर, दिल में आता ऐसा है
देख के जिस को जी नहीं भरता, शहर-ए-मदीना ऐसा है
शायर:
इशरत गोधरवी
ना’त-ख़्वाँ:
प्रोफ़ेसर अब्दुर्रउफ़ रूफ़ी
अल्लामा हाफ़िज़ बिलाल क़ादरी
آنے والوں یہ تو بتاؤ شہر مدینہ کیسا ہے
آنے والوں یہ تو بتاؤ شہر مدینہ کیسا ہے
سر اُنکے قدموں میں رکھ کر جُھک کر جینا کیسا ہے
گنبدِ خضرا کے سائے میں بیٹھ کے تم تو آئے ہو
اس سائے میں رب کے آگے سجدہ کرنا کیسا ہے
دل آنکھیں اور روح تمہاری لگتی ہیں سہراب مُجھے
در پر اُنکے بیٹھ کے یاروں زم زم پینا کیسا ہے
دیوانوں آنکھوں سے تمہاری اتنا پوچھ تو لینے دو
وقتِ دعا روزِ پر اُنکے آنسُو بہانا کیسا ہے
وقتِ رخصت دل کو اپنے چھوڑ وہاں تم آئے ہو
یہ بتلاؤں اشرت اُنکے در سے بچھڑنا کیسا ہے