ISHQ O MOHABBAT ALA HAZRAT NAAT LYRICS
ISHQ O MOHABBAT ALA HAZRAT NAAT LYRICS
Naat Name | ISHQ O MOHABBAT ALA HAZRAT NAAT LYRICS |
Recite | Siddique Ismail, Alhaj Owais Raza Qadri |
Writer | Ala Hazrat Imam Ahmed Raza |
Producer | BarkateRaza |
Recorded | Naat production |
Category | Naat |
Released Date | March 15, 2016 |
Gausul Aazam Or Khawja Ki Jo Hai Aankh Ka Tara
Aavo Lagaye Ham Sab Milkar Aaj Usi Ka Nara
ISHQO MOHABBAT ALA HAZRAT
ISHQO MOHABBAT ALA HAZRAT
Mane na Mane Koi, Na Mane Baat Yeh Humne Mani Hai
Kilk E Raza Ke Waris Ab Tak Najdi Pani-Pani Hai
Jisne Humare Azmate Shahe Di Pe Hua Hai
Jabbhi Humla Karara Usko Raza Ne
Noh Ke Kalam Se Kardiya Para-Para
ISHQO MOHABBAT ALA HAZRAT
ISHQO MOHABBAT ALA HAZRAT
Imano Irfan Ka Gulshan Khoon E Jigar Se Sicch Diya
Khulchi Jab Sayyaad Bana To Uska Chamda Khicch Diya
Gaddaro Ko Deen Me Dikhaya Kali Shab Ka Tara
Chullu Bhar Pani Me Unko Dhuba-Dhuba Ke Mara
ISHQO MOHABBAT ALA HAZRAT
ISHQO MOHABBAT ALA HAZRAT
ISHQ O MOHABBAT ALA HAZRAT NAAT LYRICS IN GUJARATI
ગોસુલ આઝમ ઔર ખ્વાજા કી જો હૈ આંખો કા તારા
આ લગા હમસબ મિલકર આજ ઉસી કા નારા
ઇશ્કો મોહબ્બત આલા હજરાત
ઇશ્કો મોહબ્બત આલા હજરાત
માને ના માને કોઈ ના માને, બાત યે હમને માની હૈ
કિલ્ક એ રજા કે વારિસ અબ તક નજ્દી પાની-પાની હૈ
જિસને હમારે આઝમતે શાહે દી પે હુઆ હૈ
જબભી હુમલા કરારા ઉસકો રજા ને
નોહ કે કલામ સે કરદિયા પરા-પરા
ઇશ્કો મોહબ્બત આલા હજરાત
ઇશ્કો મોહબ્બત આલા હજરાત
ઇમાનો ઇરફાન કા ગુલશન ખૂન એ જિગર સે સિચ્છ દિયા
ખુલચી જબ સય્યાદ બના તો ઉસકા ચમડા ખિચ્છ દિયા
ગદ્દારો કો દીન મે દિખાયા કાલી શબ કા તારા
છુલ્લુ ભર પાની મે ઉનકો ધુબા-ધુબા કે મારા
ઇશ્કો મોહબ્બત આલા હજરાત
ઇશ્કો મોહબ્બત આલા હજરાત
ISHQ O MOHABBAT ALA HAZRAT NAAT LYRICS IN HINDI
‘इश्क़-ओ-मोहब्बत ! ‘इश्क़-ओ-मोहब्बत !
आ’ला हज़रत ! आ’ला हज़रत !
मेरे अहमद रज़ा ! मेरे अहमद रज़ा !
मेरे अहमद रज़ा ! मेरे अहमद रज़ा !
रज़ा मेरी जान जान जान, रज़ा मेरी जान
रज़ा मेरी जान जान जान, रज़ा मेरी जान
ने’मत-ए-किब्रिया, मेरे अहमद रज़ा !
मुस्तफ़ा की ‘अता, मेरे अहमद रज़ा !
तेवर-ए-मुर्तज़ा, मेरे अहमद रज़ा !
फ़ैज़-ए-ग़ौस-उल-वरा, मेरे अहमद रज़ा !
मेरे अहमद रज़ा ! मेरे अहमद रज़ा !
मेरे अहमद रज़ा ! मेरे अहमद रज़ा !
रज़ा मेरी जान जान जान, रज़ा मेरी जान
रज़ा मेरी जान जान जान, रज़ा मेरी जान
‘इल्म की कान हो, बोले अहल-ए-नज़र
हो गई रौशनी चल दिए हो जिधर
अहल-ए-‘अक़्ल-ओ-ख़िरद दंग हैं देख कर
आप का मर्तबा, मेरे अहमद रज़ा !
मेरे अहमद रज़ा ! मेरे अहमद रज़ा !
मेरे अहमद रज़ा ! मेरे अहमद रज़ा !
रज़ा मेरी जान जान जान, रज़ा मेरी जान
रज़ा मेरी जान जान जान, रज़ा मेरी जान
बद-‘अक़ीदों के शर से बचाया हमें
और मदीने का रस्ता दिखाया हमें
जाम-ए-‘इश्क़-ए-मुहम्मद पिलाया हमें
है ये एहसाँ तेरा, मेरे अहमद रज़ा !
मेरे अहमद रज़ा ! मेरे अहमद रज़ा !
मेरे अहमद रज़ा ! मेरे अहमद रज़ा !
रज़ा मेरी जान जान जान, रज़ा मेरी जान
रज़ा मेरी जान जान जान, रज़ा मेरी जान
हिन्द की वो ज़मीं पर न आते अगर
बद-‘अक़ीदों की फिर कैसे होती ख़बर
आ गए देने पहरा लो ईमान पर
बन के फ़ज़्ल-ए-ख़ुदा, मेरे अहमद रज़ा !
मेरे अहमद रज़ा ! मेरे अहमद रज़ा !
मेरे अहमद रज़ा ! मेरे अहमद रज़ा !
रज़ा मेरी जान जान जान, रज़ा मेरी जान
रज़ा मेरी जान जान जान, रज़ा मेरी जान
अहल-ए-‘इल्म-ओ-‘अमल से लक़ब आप को
आ’ला हज़रत मिला, मेरे अहमद रज़ा !
चार-सू सुन्नियत में बहारें हैं जो
है करम आप का, मेरे अहमद रज़ा !
मेरे अहमद रज़ा ! मेरे अहमद रज़ा !
मेरे अहमद रज़ा ! मेरे अहमद रज़ा !
रज़ा मेरी जान जान जान, रज़ा मेरी जान
रज़ा मेरी जान जान जान, रज़ा मेरी जान
ज़िंदगी में मेरी हैं बड़े रंज-ओ-ग़म
मेरी जानिब भी हो इक निगाह-ए-करम
हो ‘अता मुझ को भी ‘इश्क़-ए-शाह-ए-उमम
बहर-ए-ग़ौस-उल-वरा, मेरे अहमद रज़ा !
मेरे अहमद रज़ा ! मेरे अहमद रज़ा !
मेरे अहमद रज़ा ! मेरे अहमद रज़ा !
रज़ा मेरी जान जान जान, रज़ा मेरी जान
रज़ा मेरी जान जान जान, रज़ा मेरी जान
आप ही का मुख़ालिफ़ को डर है फ़क़त
आप ही का दिलों पर असर है फ़क़त
कोई माने न माने मगर है फ़क़त
दौर ये आप का, मेरे अहमद रज़ा !
मेरे अहमद रज़ा ! मेरे अहमद रज़ा !
मेरे अहमद रज़ा ! मेरे अहमद रज़ा !
रज़ा मेरी जान जान जान, रज़ा मेरी जान
रज़ा मेरी जान जान जान, रज़ा मेरी जान
आ रही है सदा चार-सू से यही
बस गई है दिलों में मेरी शा’इरी
आज जो कुछ भी है ‘आसिम-उल-क़ादरी
आप की है ‘अता, मेरे अहमद रज़ा !
मेरे अहमद रज़ा ! मेरे अहमद रज़ा !
मेरे अहमद रज़ा ! मेरे अहमद रज़ा !
रज़ा मेरी जान जान जान, रज़ा मेरी जान
रज़ा मेरी जान जान जान, रज़ा मेरी जान