Zamane Ki Nigahon Mein Wo Ruswa Ho Nahin Sakta Naat Lyrics

ज़माने की निग़ाहों में वो रुस्वा हो नहीं सकता / Zamane Ki Nigahon Mein Wo Ruswa Ho Nahin Sakta
ज़माने की निग़ाहों में वो रुस्वा हो नहीं सकता
नबी कर दें जिसे ऊँचा वो नीचा हो नहीं सकता

कभी उस शख्स के ऐबों का चर्चा हो नहीं सकता
भरम जिस का नबी रखें वो रुस्वा हो नहीं सकता

रसूले-पाक को हमने ख़ुदा का नूर माना है
हमारी क़ब्र में हरगिज़ अँधेरा हो नहीं सकता

बिठाते थे मेरे सरकार जिन को अपने कांधों पर
हुसैन इब्ने अली जैसा नवासा हो नहीं सकता

हर एक ज़र्रा ज़मीने-कर्बला का झूम कर बोला
कोई बच्चा अली असग़र के जैसा हो नहीं सकता

ज़मीने-हिन्द पर अब भी मेरे ख़्वाजा का क़ब्ज़ा है
यहाँ इनके अलावा कोई राजा हो नहीं सकता

किसी की भी हुकूमत हो, कोई भी राज करता हो
मगर ख़्वाजा पिया सा कोई राजा हो नहीं सकता

नातख्वां:
मुहम्मद शरीफ़ रज़ा

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