Lahad Mein Aaqa Ki Deed Hogi Lyrics

Lahad Mein Aaqa Ki Deed Hogi Lyrics

 

LAHAD ME AAQA KI DEED HOGI NAAT LYRICS

Lahad Me Aaqa Ki Deed Hogi
Me saj Ke Ghar Se Nikal Raha Hu
Mere Azizo Ye Rona Kaisa
Makan Hi To Badal Raha Hu

Mere Janaze Pe Rone Waalo
Fareb me Ho Bagor Dekho
Mara Nahi Hu Game Nabi Me
Libas e Hasti Badal Raha Hu

Wo Baad Hi Ke Sawal kahde
Nakir Aaqa Ka Zikar Chedo
Milan Ki Shab He kafan Me Rah Kar
Khushi Ke Maare Machal Raha Hu

Kisi Ke Dar Ka faqir Hu Me
Muhabato Ka Asir Hu Me
Me Be Sahara Nahi Hu logo
Nabi Ke Tukdo Pe Pal Raha Hu

Gunah Ki Gathri He Sar Pe Bhaari
Huzur Kaise Me Guzru Pul Se
Bachalo aa kar Shafi e Mahshar
Ke Pul Se Ab me Guzar Raha Hu

Bahut Kathin He HASAN Ki Raate
Sunate Rahiye Nabi Ki Naate
Sukoon Milta He Dard e Dil Ko
Me Naat Sun Kar Machal Raha Hu

 

लहद में आक़ा की दीद होगी
मैं सज के घर से निकल रहा हूँ
मेरे ‘अज़ीज़ो ! ये रोना कैसा ?
मकान ही तो बदल रहा हूँ

लगा के ख़ुश्बू मैं सो रहा हूँ
मुझे, फ़रिश्तो ! उठाओ जल्दी
नबी हमारे हैं सामने अब
ख़ुशी के मारे मचल रहा हूँ

हों बा’द में ये सवाल पहले
नकीरो ! आक़ा का ज़िक्र छेड़ो
मिलन की शब है, कफ़न में अपने
ख़ुशी के मारे मचल रहा हूँ

गुनाह की गठरी है भारी सर पे
हुज़ूर ! कैसे मैं गुज़रूँ पुल से ?
बचा लो आ कर, शफ़ी-ए-महशर !
कि पुल से अब मैं फिसल रहा हूँ

किसी के दर का फ़क़ीर हूँ मैं
मोहब्बतों का असीर हूँ मैं
मैं बे-सहारा नहीं हूँ, लोगो !
नबी के टुकड़ों पे पल रहा हूँ

मेरे जनाज़े पे रोने वालो !
फ़रेब में हो, ब-ग़ौर देखो
मरा नहीं हूँ, ग़म-ए-नबी में
लिबास-ए-हस्ती बदल रहा हूँ

बड़ी कठिन हैं, हसन ! ये रातें
सुनाते रहिए नबी की ना’तें
सुकून मिलता है दर्द-ए-दिल को
मैं ना’त सुन के बहल रहा हूँ

शायर:
अबुल हसन नूरी

ना’त-ख़्वाँ:
अबुल हसन नूरी
अक़ीलुर्रहमान मुरादाबादी
अजमल अज़ीज़ी

 

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