Zameen Maili Nahin Hoti Lyrics (4 Languages) | Muhammad Ke Ghulamon Ka Kafan

Zameen Maili Nahin Hoti Lyrics (Hindi, Urdu, Roman & Gujarati)

“ज़मीं मैली नहीं होती, ज़मन मैला नहीं होता, मुहम्मद के ग़ुलामों का कफ़न मैला नहीं होता”, यह एक ऐसा कलाम है जो हर आशिक़-ए-रसूल के ईमान को ताज़गी बख़्शता है। इस शाहकार नात-ए-पाक को सय्यिद नासिर हुसैन चिश्ती ने अपनी क़लम से सजाया है, जिसमें उन्होंने हुज़ूर नबी-ए-करीम (सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम) से निस्बत (जुड़ाव) रखने वाली हर चीज़ की पाकीज़गी और अज़मत को बयान किया है।

इस नात को शहबाज़ क़मर फ़रीदी, हाफ़िज़ अहमद रज़ा क़ादरी और ग़ुलाम मुस्तफ़ा क़ादरी जैसे विश्व प्रसिद्ध नात-ख़्वानों ने अपनी दिलकश आवाज़ में पढ़कर इसे दुनिया भर में मक़बूल कर दिया है। इस पेज पर आपको इस रूहानी नात के मुकम्मल बोल **चार भाषाओं (हिंदी, रोमन, उर्दू और गुजराती)** में मिलेंगे।

नात की जानकारी (Naat Information Table)

 

 

फीचर (Feature)विवरण (Details)
कलाम का उनवानज़मीं मैली नहीं होती, ज़मन मैला नहीं होता
शायर (Poet)सय्यिद नासिर हुसैन चिश्ती
मशहूर नात-ख़्वाँशहबाज़ क़मर फ़रीदी, हाफ़िज़ अहमद रज़ा क़ादरी
कलाम की क़िस्मनात-ए-पाक

“Zameen Maili Nahin Hoti” Full Naat Lyrics

Hindi Lyrics (हिन्दी बोल)

ज़मीं मैली नहीं होती, ज़मन मैला नहीं होता,
मुहम्मद के ग़ुलामों का कफ़न मैला नहीं होता।

मोहब्बत कमली वाले से वो जज़्बा है सुनो, लोगो!
ये जिस मन में समा जाए, वो मन मैला नहीं होता।

जो नाम-ए-मुस्तफ़ा चूमें, नहीं दुखती कभी आँखें,
पहन ले प्यार जो उन का, बदन मैला नहीं होता।

नबी का दामन-ए-रह़मत पकड़ लो, ए जहाँ वालो!
रहे जब तक ये हाथों में, चलन मैला नहीं होता।

मैं नाज़ाँ तो नहीं फ़न पर मगर, ‘नासिर’! ये दा’वा है,
सना-ए-मुस्तफ़ा करने से फ़न मैला नहीं होता।

Roman English Lyrics

Zameen maili nahin hoti, zaman maila nahin hota,
Muhammad ke ghulamon ka kafan maila nahin hota.

Mohabbat Kamli Waale se woh jazba hai suno, logo!
Ye jis mann mein sama jaaye, woh mann maila nahin hota.

Jo Naam-e-Mustafa choomein, nahin dukhti kabhi aankhein,
Pahan le pyaar jo un ka, badan maila nahin hota.

Nabi ka daaman-e-rehmat pakad lo, aye jahaan waalo!
Rahe jab tak ye haathon mein, chalan maila nahin hota.

Main naazaan to nahin fann par magar, ‘Nasir’! ye daa’wa hai,
Sana-e-Mustafa karne se fann maila nahin hota.

Urdu Lyrics (اردو کے بول)

زمیں میلی نہیں ہوتی، زمن میلا نہیں ہوتا
محمد کے غلاموں کا کفن میلا نہیں ہوتا

محبت کملی والے سے وہ جذبہ ہے سنو لوگو!
یہ جس من میں سما جائے، وہ من میلا نہیں ہوتا

جو نامِ مصطفیٰ چومیں، نہیں دکھتی کبھی آنکھیں
پہن لے پیار جو اُن کا، بدن میلا نہیں ہوتا

نبی کا دامنِ رحمت پکڑ لو اے جہاں والو!
رہے جب تک یہ ہاتھوں میں، چلن میला نہیں ہوتا

میں نازاں تو نہیں فن پر مگر، ناصرؔ! یہ دعویٰ ہے
ثناءِ مصطفیٰ کرنے سے فن میلا نہیں ہوتا

Gujarati Lyrics (ગુજરાતી ગીતો)

ઝમીં મૈલી નહીં હોતી, ઝમન મૈલા નહીં હોતા,
મુહમ્મદ કે ગુલામોં કા કફન મૈલા નહીં હોતા.

મોહબ્બત કમલી વાલે સે વો જઝ્બા હૈ સુનો, લોગો!
યે જિસ મન મેં સમા જાએ, વો મન મૈલા નહીં હોતા.

જો નામ-એ-મુસ્તફા ચૂમેં, નહીં દુખતી કભી આંખેં,
પહન લે પ્યાર જો ઉન કા, બદન મૈલા નહીં હોતા.

નબી કા દામન-એ-રહમત પકડ લો, એ જહાં વાલો!
રહે જબ તક યે હાથોં મેં, ચલન મૈલા નહીં હોતા.

મૈં નાઝાઁ તો નહીં ફન પર મગર, ‘નાસિર’! યે દા’વા હૈ,
સના-એ-મુસ્તફા કરને સે ફન મૈલા નહીં હોતા.

अक्सर पूछे जाने वाले सवाल (Frequently Asked Questions)

Q1. इस नात का मुख्य संदेश क्या है?

इस नात का मुख्य संदेश यह है कि हुज़ूर नबी-ए-करीम (स.अ.व.) की ज़ात इतनी पाक और मुक़द्दस है कि उनसे निस्बत रखने वाली हर चीज़ पाक हो जाती है। जिस दिल में उनकी मोहब्बत हो, वो दिल मैला नहीं होता और जो उनकी गुलामी में मरता है, उसका कफ़न तक मिट्टी मैला नहीं कर पाती।

Q2. “ज़मन” का क्या मतलब है?

“ज़मन” (زمن) का मतलब है ज़माना, वक़्त या काल। शायर कह रहा है कि न ज़मीन मैली होती है और न ज़माना मैला होता है, (जब निस्बत मुहम्मद-ए-अरबी से हो)।

ज़रूरी लिंक्स (Important Links)

 

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