main akela hi chala tha jaanib-e-manzil magar | मैं अकेला ही चला था जानिब-ए-मंज़िल मगर
– Majrooh Sultanpuri
main akela hi chala tha jaanib-e-manzil magar
log saath aate gaye aur kaarwaan banta gaya मैं अकेला ही चला था जानिब-ए-मंज़िल मगर
लोग साथ आते गए और कारवाँ बनता गया
– Majrooh Sultanpuri
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Rahbar Shayari
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