Ilahi Aarzoo Itni To Kam Se Kam Nikal Jaaye Lyrics (4 Languages)

Ilahi Aarzoo Itni To Kam Se Kam Nikal Jaaye Lyrics (4 Languages)

“इलाही आरज़ू इतनी तो कम से कम निकल जाए, रसूलल्लाह की चौखट पे मेरा दम निकल जाए” यह एक ऐसी दर्द भरी और सच्ची आरज़ू है जो हर आशिक़-ए-रसूल के दिल में बसती है। यह ख़ूबसूरत नात-ए-पाक एक बंदे की अपने रब से उस दिली ख़्वाहिश का इज़हार है कि उसकी ज़िंदगी का आख़िरी लम्हा हुज़ूर नबी-ए-करीम (सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम) की बारगाह में, उनके दीदार के साथ गुज़रे।

इस कलाम का हर शेर इसी एक तमन्ना के इर्द-गिर्द घूमता है और मौत के वक़्त हुज़ूर की क़ुर्बत की दुआ करता है। इस पेज पर आपको इस रूहानी नात के मुकम्मल बोल **चार भाषाओं (हिंदी, रोमन, उर्दू और गुजराती)** में मिलेंगे।

नात की जानकारी (Naat Information Table)

 

फीचर (Feature)विवरण (Details)
कलाम का उनवानइलाही आरज़ू इतनी तो कम से कम निकल जाए
शायर (Poet)ज्ञात नहीं (Not Known)
मुख्य विषय (Theme)हुज़ूर (स.अ.व.) के क़दमों में मौत की आरज़ू
कलाम की क़िस्मनात-ए-पाक / दुआ

“Ilahi Aarzoo Itni To Kam Se Kam Nikal Jaaye” Full Naat Lyrics

Hindi Lyrics (हिन्दी बोल)

इलाही! आरज़ू इतनी तो कम से कम निकल जाए,
रसूलल्लाह की चौखट पे मेरा दम निकल जाए।

इलाही! इस से बढ़ कर आरज़ू-ए-दिल नहीं कोई,
मुहम्मद सामने हों और मेरा दम निकल जाए।

दम-ए-आख़िर रसूलल्लाह का दीदार हो या रब,
फिर इस के बाद चाहे दम रहे या दम निकल जाए।

नज़ा की हिचकियों में भी सदा-ए-मुस्तफ़ा निकले,
मुहम्मद, या मुहम्मद कहते कहते दम निकल जाए।

तसव्वुर में रसूलल्लाह के क़दमों में ये सर हो,
बस इतने से ही वक़्फ़े में मेरा ये दम निकल जाए।

Roman English Lyrics

Ilahi! aarzoo itni to kam se kam nikal jaaye,
RasoolAllah ki chaukhat pe mera dam nikal jaaye.

Ilahi! is se badh kar aarzoo-e-dil nahin koi,
Muhammad saamne hon aur mera dam nikal jaaye.

Dam-e-aakhir RasoolAllah ka deedaar ho Ya Rab,
Phir is ke baad chaahe dam rahe ya dam nikal jaaye.

Naz’a ki hichkiyon mein bhi sada-e-Mustafa nikle,
Muhammad, Ya Muhammad kehte kehte dam nikal jaaye.

Tasawwur mein RasoolAllah ke qadmon mein ye sar ho,
Bas itne se hi waqfe mein mera ye dam nikal jaaye.

Urdu Lyrics (اردو کے بول)

الٰہی آرزو اتنی تو کم سے کم نکل جائے
رسول اللہ کی چوکھٹ پہ میرا دم نکل جائے

الٰہی اس سے بڑھ کر آرزوئے دل نہیں کوئی
محمد سامنے ہوں اور میرا دم نکل جائے

دمِ آخر رسول اللہ کا دیدار ہو یا رب
پھر اس کے بعد چاہے دم رہے یا دم نکل جائے

نزع کی ہچکیوں میں بھی صدائے مصطفیٰ نکلے
محمد، یا محمد کہتے کہتے دم نکل جائے

تصور میں رسول اللہ کے قدموں میں یہ سر ہو
بس اتنے سے ہی وقفے میں میرا یہ دم نکل جائے

Gujarati Lyrics (ગુજરાતી ગીતો)

ઇલાહી! આરઝૂ ઇતની તો કમ સે કમ નિકલ જાયે,
રસૂલલ્લાહ કી ચૌખટ પે મેરા દમ નિકલ જાયે.

ઇલાહી! ઇસ સે બઢ કર આરઝૂ-એ-દિલ નહીં કોઈ,
મુહમ્મદ સામને હોં ઔર મેરા દમ નિકલ જાયે.

દમ-એ-આખિર રસૂલલ્લાહ કા દીદાર હો યા રબ,
ફિર ઇસ કે બાદ ચાહે દમ રહે યા દમ નિકલ જાયે.

નઝા કી હિચકિયોં મેં ભી સદા-એ-મુસ્તફા નિકલે,
મુહમ્મદ, યા મુહમ્મદ કહતે કહતે દમ નિકલ જાયે.

તસવ્વુર મેં રસૂલલ્લાહ કે કદમોં મેં યે સર હો,
બસ ઇતને સે હી વક્ફે મેં મેરા યે દમ નિકલ જાયે.

अक्सर पूछे जाने वाले सवाल (Frequently Asked Questions)

Q1. इस कलाम का मुख्य विषय क्या है?

इस कलाम का मुख्य विषय ‘हुस्न-ए-ख़ातिमा’ यानी अच्छी मौत की दुआ है। शायर अल्लाह से यह इल्तिजा कर रहा है कि उसकी मौत दुनिया की किसी चीज़ के लिए नहीं, बल्कि हुज़ूर नबी-ए-करीम (स.अ.व.) की मोहब्बत और उनके दीदार के साथ हो। यह एक सच्चे आशिक़-ए-रसूल की सबसे बड़ी आरज़ू होती है।

Q2. “दम-ए-आख़िर” का क्या मतलब है?

“दम-ए-आख़िर” का मतलब है “आख़िरी साँस” या “मौत का वक़्त”। शायर दुआ कर रहा है कि “ऐ मेरे रब! मेरी आख़िरी साँस के वक़्त मुझे रसूलल्लाह का दीदार नसीब हो।”

ज़रूरी लिंक्स (Important Links)

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