तस्लीम मुरझाने
[संगीत]
गुल खिलाने हैं हुसैन
बावा तस्लीम
मुरझा में
कल खिलाने हैं
[संगीत]
गुल खिलाने हैं
हुसैन यानी हूं
इसी वक्त
मुस्कुराते हैं
मुसीबत
मुस्कुराते हैं
[प्रशंसा]
[संगीत]
[संगीत]
बढ़ते आलम
सोचता आलम
दिखाई हैं हुसैन
बरकतें आलम
सज का
आलम दिखाई हैं हुसैन
मुस्कुरा कर
इलाहाबाद
की रेट है हुसैन
[संगीत]
कटे हैं
[संगीत]
गुल खिलाने हैं
मुसीबत मुझको रेट है
[संगीत]
मौला की
खातिर हर सितम तो
सहेलियां
मर्जी ये मौला की
खातिर हर सितम को
अमर जिए मां ला की खातिर हर सितम को
सजा लिया
खुशी से मारे गम दिल पर उठाते हैं
हुसैन
किस खुशी से
भरे हम दिल पर
उठाते हैं
उसे
बाघा तस्वीर
गुल खिलाने हैं
[संगीत]
मुसीबत
मुस्कुराते हैं
[संगीत]
बागे तस्लीम रजा में गुल खिलाते हैं हुसैन,
बागे तस्लीम रजा में गुल खिलाते हैं।
हुसैन यानी हंगामा-ए-मुसीबत को सुलाते हैं,
हुसैन यानी हंगामा-ए-मुसीबत को सुलाते हैं।
[संगीत]
हर मुसीबत पर मुस्कुराते हैं हुसैन,
ब के आलम-ए-शज का आलम दिखाते हैं हुसैन।
मुस्कुराकर यजीदियत का गिराते हैं हुसैन,
मुस्कुराकर बातिल का गिराते हैं हुसैन।
मज़ा-ए-मौला की खातिर हर सितम को सहा,
मज़ा-ए-मौला की खातिर हर सितम को सहा।
हर खुशी से बाहर, दिल पर उठाते हैं,
हर खुशी से बाहर, हर दर्द उठाते हैं।
[संगीत]
बागे तस्लीम रजा में गुल खिलाते हैं हुसैन,
बागे तस्लीम रजा में गुल खिलाते हैं।
हुसैन यानी मुसीबत में मुस्कुराते हैं,
हुसैन यानी मुसीबत में मुस्कुराते हैं।