कहना ग़लत ग़लत तो छुपाना सहीह सहीह
क़ासिद कहा जो उस ने बताना सहीह सहीह
ये सुब्ह सुब्ह चेहरे की रंगत उड़ी हुई
कल रात तुम कहाँ थे बताना सहीह सहीह
दिल ले के मेरा हाथ में कहते हैं मुझ से वो
क्या लोगे इस का दाम बताना सहीह सहीह
आँखें मिलाओ ग़ैर से दो हम को जाम-ए-मय
साक़ी तुम्हें क़सम है पिलाना सहीह सहीह
ऐ मय-फ़रोश भीड़ है तेरी दुकान पर
गाहक हैं हम भी माल दिखाना सहीह सहीह
‘साजिद’ तो जान-ओ-दिल से फ़क़त आप का है बस
क्या आप भी हैं उस के बताना सहीह सहीह