ali-ka-qadeeda-savere-savere-lyrics

Musalle pa maine ali ka qasida juhi gun gunaya
savere savere…
Khuda ki qasam phir, ibadat ka mujhko bada lutf aaya
savere savere…

1. Nikal kar andhero ke narghe se HURR jab
dare sheh pe aaya, savere savere
toh zehra ke bete ne ek pal me uska, muqaddar jagaya
savere savere…

2. Malaek ne jis waqt madho sana ki,
fizao’n me goonji sadaa, ya ali ki
parindo me bhi apni boli me naara, ali ka lagaya
savere savere…

3. Hai marzi-e-hasnain marzi khuda ki
abhi sayyeda ki labo’n par dua thi
lebaas e jina leke rizwan e jannat ne, darr khat khataya
savere savere…

4. Mehek baaghe ismat ki har simt phayli
laga yu ke aamad hui sayyeda ki
juhi maine ghar me hadees e kisa ke, diye ko jalaya
savere savere…

5. Wo kasrat se warzish ka aadi tha mulla
ke bachpan se pakka fasadi tha mulla, jehadi tha mulla
magar jab azaa’n me suna naam e haider, bada tilmilaya
savere savere…

6. Mai naade ali padhke soya tha shab ko
pasand is qadar aayi ye baat rabb ko
‘sohail’ ek farishta shifa’at ki meri, sanad leke aaya
savere savere…

 

हजरत इमाम अली -21 RAMADAN SHAHDAT E ALI A.S.

بسم الله الرحمان الرحیم
आपकी विलादत अल्लाह के घर पवित्र काबे शरीफ मे हुआ थी ।कहा जाता है कि आपकी वालदा आपकी विलादत के पहले जब काबे शरीफ के पास गयीँ तो अल्लाह के हुक्म से काबे की दीवार ने आपकी मां को रास्ता दे दिया था
उनके काबे मे तशरीफ लाने के चार दिन बाद 13 रजब को इमाम अली पैदा हुए ।मोहम्मद मुस्तफा स. स. का आपकी ज़िँदगी पर गहरा असर पड़ा था ।चाहे वह मस्जिद हो ,जंग का मैदान हो या फिर आम जगह इमाम अली हर वक्त पैग़म्बरे इस्लाम के साथ रहते थे ।यहाँ तक कि जब रसूले अकरम शबे मेराज पर गये तो अपने बिस्तर पर अली को सुला कर गये थे ।एक गिरोह पैगम्बरे इस्लाम को कत्ल करना चाहता था ,तो अल्लाह ने उन्हेँ शबे मेराज पर एक रात के लिए बुला लिया ।हमलावर गिरोह पहचान ना सके इस लिए अली रसूल के बिस्तर पर ऐसे सोये कि वह लोग पहचान नही सके ।

खुदा कि सिफात के आईनेदार ,तमाम सिफात के मरकज़ यही अली आज से करीब 1352 साल पहले 661 ई. मे माहे रमज़ान मुबारक की 21 वीँ तारिख को कूफे की मस्जिद मे सुबह की नमाज़ के वक्त शहीद कर दिये गये । 19 रमज़ान को सहरी के बाद जब सुबह की नमाज़ अदा की जा रही थी तो नमाज़ियोँ के बीच खड़े कातिल रहमान इब्ने मुलज़िम ने ज़हर से बुझी तलवार से मौला अली पर वार कर दिया ।आप इसके बाद दो दिन तक बिस्तर रहे ।रवायत है कि मोहम्मद मुस्तफा स.स. ने मौला अली को कातिल की पहचान और उसके बारे मे बता दिया था ।19 रमज़ान को नमाज़ के वक्त मौला अली ने ये जानते हुये कि यही कातिल है ,उसे नमाज़ के लिए उठाया था ।अब देखिये अली का इंसाफ ,हमले के बाद नमाज़ियोँ ने इब्ने मुलज़िम को पकड़ लिया था ।मॉला अली ने र्निदेश दिया कि इसके खाने पीने का पूरा ख्याल रखा जाये और चूंकि इसने तलवार से एक वार किया है इस लिए इस पर भी एक ही वार किया जाये ।

हजरत अली के मशहूर कोल (SAYINGS OF IMAM ALI A.S)
मुश्किलों की वजह से चिंता में मत डूबा करो! सिर्फ बहुत अंधियारी रातों में ही सितारे ज्यादा तेज़ चमकते हैं.
एक अच्छी रूह और दयालु ह्रदय को कोई चीज़ इतनी दुःख नहीं पहुंचाती जितना उन लोगों के साथ रहना जो उसे नहीं समझ सकते.
महान व्यक्ति का सबसे अच्छा काम होता है माफ़ कर देना और भुला देना.
ज़िन्दगी में दो तरह के दिन आतें हैं एक जिसमे आप जीतते हैं,और दूसरा वो दिन जो आपके खिलाफ जाता है. तो जब तुम्हारी जीत हो तो घमंड मत करो और जब चीज़ें तुम्हारे खिलाफ जाएँ तो सब्र करो. दोनों ही दिन तुम्हारे लिए परीक्षा हैं.
जब दुनिया आपको घुटनों के बल गिरा देती है तब आप प्रार्थना करने की सर्वोत्तम स्तिथी में होते हैं.
सब्र से जीत तय हो जाती है.
शिष्टाचार अच्छा व्यवहार करने में कुछ खर्च नहीं होता पर यह सबकुछ खरीद सकता है.
सम्मान पूर्वक साफगोई से मना कर देना एक बड़े और झूठे वादे से बेहतर होता है.
इन्सान भी कितना अजीब है की जब वह किसी चीज़ से डरता है तो वह उससे दूर भागता है लेकिन यदि वह अल्लाह से डरता है तो उसके और करीब हो जाता
चुगली करना उसका काम होता है जो अपने आप को बेहतर बनाने में असमर्थ होता है.
तुम्हारे दोस्त भी तीन हैं और दुश्मन भी तीन.
तुम्हारे दोस्त ….एक तुम्हारा दोस्त, तुम्हारे दोस्त का दोस्त और
तुम्हारे दुश्मन का दुश्मन तुम्हारे दुश्मन ….. तुम्हारा दुश्मन, तुम्हारे दोस्त का दुश्मन और तुम्हारे दुश्मन का दोस्त
आँखों के आंसू दिल की सख्ती की वजह से सूख जातें हैं और दिल बार बार गुनाह करने की वजह से सख्त हो जाता है.
तुम्हारा एक रब है फिर भी तुम उसे याद नहीं करते लेकिन उस के कितने बन्दे हैं फिर भी वह तुम्हे नहीं भूलता.
सूरत बगेर सीरत के एसा फूल है जिसमे कांटे ज्यादा हो और खुशबू बिलकुल न हो.
अगर किसी का तरफ आज़माना हो तो उसको ज्यादा इज्जत दो वह आला तरफ हुआ तो आपको और ज्यादा इज्ज़त देगा और कम तरफ हुआ तो खुद को आला समझेगा
कभी भी किसी के पतन को देखकर खुश मत हो क्यों की तुम्हे पता नहीं है भविष्य में तुम्हारे साथ क्या होने वाला है.
खालिक से मांगना शुजाअत है अगर दे तो रहमत और न दे तो हिकमत. मखलूक से मांगना जिल्लत है अगर दे तो एहसान और ना दे तो शर्मिंदगी.
अपनी सोच को पानी के कतरों से भी ज्यादा साफ रखो क्यों की जिस तरह कतरों से दरिया बनता है उसी तरह सोच से इमान बनता है.
आज का इन्सान सिर्फ दोलत को खुशनसीबी समझता है और ये ही उसकी बदनसीबी है.
बात तमीज़ से और एतराज़ दलील से करो क्यों की जबान तो हेवानो में भी होती है मगर वह इल्म और सलीके से महरूम होते हैं .

 

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