मुझ पे भी चश्म-ए-करम, ए मेरे आक़ा ! करना / Mujh Pe Bhi Chashm-e-Karam, Ai Mere Aaqa ! Karna
मुझ पे भी चश्म-ए-करम, ए मेरे आक़ा ! करना
हक़ तो मेरा भी है रहमत का तक़ाज़ा करना
मैं कि ज़र्रा हूँ मुझे वुसअ’त-ए-सहरा दे दे
कि तेरे बस में है क़तरे को भी दरिया करना
मैं हूँ बे-कस, तेरा शेवा है सहारा देना
मैं हूँ बीमार, तेरा काम है अच्छा करना
तू किसी को भी उठाता नहीं अपने दर से
कि तेरी शान के शायाँ नहीं ऐसा करना
तेरे सदक़े ! वो उसी रंग में ख़ुद ही डूबा
जिस ने, जिस रंग में चाहा मुझे रुस्वा करना
ये तेरा काम है, ए आमिना के दुर्र-ए-यतीम !
सारी उम्मत की शफ़ाअ’त तन-ए-तन्हा करना
कसरत-ए-शौक़ से औसान मदीने में है गुम
नहीं खुलता कि मुझे चाहिए क्या क्या करना !
ये तमन्ना-ए-मोहब्बत है कि, ए दावर-ए-हश्र !
फ़ैसला मेरा सुपुर्द-ए-शह-ए-बतहा करना
आल-ओ-असहाब की सुन्नत, मेरा मेअ’यार-ए-वफ़ा
तेरी चाहत के एवज़, जान का सौदा करना
शामिल-ए-मक़्सद-ए-तख़्लीक़ ये पहलु भी रहा
बज़्म-ए-आलम को सजा कर तेरा चर्चा करना
ये सराहत “वरफ़अ’ना लक ज़िक्रक” में है
तेरी तारीफ़ कराना, तुझे ऊँचा करना
तेरे आगे वो हर इक मंज़र-ए-फ़ितरत का अदब
चाँद-सूरज का वो पहरों तुझे देखा करना
दुश्मन आ जाए तो उठ कर वो बिछाना चादर
हुस्न-ए-अख़्लाक़ से ग़ैरों को वो अपना करना
उन सहाबा की ख़ुश-अतवार निगाहों को सलाम
जिन का मस्लक था तवाफ़-ए-रुख़-ए-ज़ेबा करना
मुझ पे महशर में, नसीर ! उन की नज़र पड़ ही गई
कहने वाले इसे कहते हैं “ख़ुदा का करना”
शायर:
पीर नसीरुद्दीन नसीर
Mujh pe Bhi Chashme Karam Aye Mere Aaqa Karna Naat Lyrics
Mujh pe bhi chashme karam aye mere Aaqa karna
Haq toh mera bhi hai rehmat ka takaaza karna
Tu kisi ko uthata nahi apne dar se
Ke teri shaan ke shaaya nahi aisa karna
Mai hu bekas ke tera shewa hai sahara dena
Mai hu beemaar tera kaam hai achcha karna
Mai ke zarra hu mujhe wusate sahara dede
Ke tere bas me hai katre ko bhi darya karna
Yeh tera kaam hai aye Aamina ke Durr e Yateem
Saari ummat ki shafa’at tanha tanha karna
Chaand ki tarha tere gird woh taaro ka hujoom
Woh tera halqaye ashaab me baitha karna
Mujh pe mehshar me Naseer unki nazar padh hi gayi
Kehne waale isse kehte hai Khuda ka karna