ये यहाँ लिखा है

ये यहाँ लिखा है

हम नहीं लड़ने वाले, न ही झगड़ने वाले

जो हवालों से साबित है बात वो ही करते हैं
हक़ बात पे जीते हैं, हक़ बात पे मरते हैं

तुम जो कहते हो के मीलाद मनाना है ग़लत
लाओ फिर अपने हवालों से ही क़ाइल कर दो
कल इसी बात को ले कर के कहा था हमने
जश्न-ए-आक़ा न मनाओ ! ये कहाँ लिखा है

तुम जो कहते हो के, मिलाद कहाँ लिखा है ?
आओ हम तुम को बताएं, ये यहाँ लिखा है !

जश्न-ए-मीलाद है हक़ पर, ये यहाँ लिखा है
देखो क़ुरआन उठा कर, ये यहाँ लिखा है

उन की आमद पे लगाऊंगा मैं झंडे लेकिन
क्या किसी और ने भी झंडे लगाए इसी दिन !
आमिना कहती है, जन्नत से वो झंडे ले कर
आए जिब्रील ज़मीं पर, ये यहाँ लिखा है

जश्न-ए-मीलाद है हक़ पर, ये यहाँ लिखा है
देखो क़ुरआन उठा कर, ये यहाँ लिखा है

वो मुझे कहता है महफ़िल न सजाई जाए
ऐसी कुछ बात बताओ के वो ख़ुद भी आए
आओ महफ़िल में के आते हैं फ़रिश्ते इस में
देखो फ़रमान-ए-पयम्बर, ये यहाँ लिखा है

जश्न-ए-मीलाद है हक़ पर, ये यहाँ लिखा है
देखो क़ुरआन उठा कर, ये यहाँ लिखा है

किस लिए करते हैं हम ज़िक्र-ए-रसूल-ए-अकरम !
क्या कोई इस का हवाला भी है मेरे हमदम !
ख़ूब चर्चा करो नेअ’मत जो मिली है तुम को
देखो इरशाद-ए-मोअख़्ख़र, ये यहाँ लिखा है

जश्न-ए-मीलाद है हक़ पर, ये यहाँ लिखा है
देखो क़ुरआन उठा कर, ये यहाँ लिखा है

अक़्ल के अंधे को दो कोई जवाब ऐसा
रब के महबूब को वो कहता है ख़ुद के जैसा
अपने जैसा तू बताता है नबी को, सुन ले
उन सानी है न हम-सर, ये यहाँ लिखा है

जश्न-ए-मीलाद है हक़ पर, ये यहाँ लिखा है
देखो क़ुरआन उठा कर, ये यहाँ लिखा है

जो सवाल हम ने ए जावेद ! किए थे उन से
दे दिए उन के जुनैद ! हम ने हवाले सारे
उन को समझा दिया कह कर, ये यहाँ लिखा है

जश्न-ए-मीलाद है हक़ पर, ये यहाँ लिखा है
देखो क़ुरआन उठा कर, ये यहाँ लिखा है

बात पूछी थी यही साल-ए-गुज़िश्ता हम ने
क्या कोई आए जवाब और हवाले उन के ?
वो तो ला पाए न अब तक भी हवाले बेख़ुद !
तू ही कह दे उन्हें जा कर, ये यहाँ लिखा है

जश्न-ए-मीलाद है हक़ पर, ये यहाँ लिखा है
देखो क़ुरआन उठा कर, ये यहाँ लिखा है

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