Rehbar o Peer e Tareeqat Akhtar e Millat chale

Rehbar o Peer e Tareeqat Akhtar e Millat chale
Paikar o lutf o inayat Akhtar e Millat Chale

Yaad gaar e Aala Hazrat Akhtar e Millat chale
Hum Huwe Mehroom Ne’amat Akhtar Millat Chale

Muttaqi o Parsa’n Dhunde kaha Unsa koi
Woh Waqaar e Ahle Sunnat Akhtar e Millat Chale

Dekh kar Hazrat ka Chehra Yaad Aata Tha Khuda
Khoobsurat nek Seerat Akhtar E Millat Chale

Haq o Baatil mein Tameez unka Janaza kar gaya
Is Qadar Aayi Thi Khalkat Akhtar e Millat chale

Aalam e Ruhaniyat mein Shaadmani ka Samaa
Aalam e Faani Pe Riqqat Akhtar e Millat chale

Aaj Har Sunni Ka Seena hijr mein hai Chaak Chaak
Aah dekar Daag e Furqat Akhtar E Millat chale

Arsh Par Dhoome Machi hai Marhaba ki Aye UBAID
Farsh Par Gamgeen Ba-Rahlat Akhtar E Millat chale

 

 

بِسْمِ اللّٰہِ الرَّحْمٰنِ الرَّحِیْمِ

घमंड (तकब्बुर) की मज़म्मत — क़ुरआन और हदीस की रौशनी में

1. तकब्बुर करने वालों को जन्नत में दाख़िला नहीं मिलेगा
हुज़ूर नबी करीम (ﷺ) ने फ़रमाया:
“जिसके दिल में राई के दाने के बराबर भी तकब्बुर होगा, वह जन्नत में दाख़िल नहीं होगा।”
(सहीह मुस्लिम, हदीस: 91)

2. शैतान की पहली सिफ़त: तकब्बुर
अल्लाह तआला ने फ़रमाया:
﴿أَبَىٰ وَٱسْتَكْبَرَ وَكَانَ مِنَ ٱلْكَـٰفِرِينَ﴾
“उसने इंकार किया, घमंड किया और काफ़िरों में से हो गया।”
(सूरह अल-बक़रह, आयत: 34)

3. तकब्बुर करने वाला दुनिया और आख़िरत दोनों में ज़लील होता है
हुज़ूर (ﷺ) ने फ़रमाया:
“तकब्बुर सिर्फ़ अल्लाह को ज़ेब देता है, जो शख़्स तकब्बुर करे, अल्लाह उसे ज़िल्लत में डाल देता है।”
(मुस्नद अहमद, हदीस: 5661)

4. तकब्बुर से बचने की ताकीद
हज़रत अब्दुल्लाह बिन मसऊद (रضی اللہ تعالیٰ عنہ) फ़रमाते हैं:
“नफ़्स की बड़ाई को छोड़ दो, क्यों कि अल्लाह को यह पसंद नहीं कि कोई फख्र करे या घमंड करे।”
(मुसननफ़ इब्न अबी शैबा, जिल्द 5, सफ़ा 300)

5. तकब्बुर कपड़े, सवारी, इल्म या इबादत पर भी हो सकता है
इमाम ग़ज़ाली (रَحِمَهُ ٱللَّٰهُ عَلَيْهِ) लिखते हैं:
“कुछ लोग अपने कपड़े, सवारी, इल्म या इबादत पर घमंड करते हैं, यह सब हलाक करने वाली चीज़ें हैं।”
(इहया उलूमुद्दीन, जिल्द 3)

6. इबादत पर भी घमंड हराम है
इमाम इब्न आबिदीन शामी (रَحِمَهُ ٱللَّٰهُ عَلَيْهِ) फ़रमाते हैं:
“अगर कोई अपनी इबादत पर घमंड करे या दूसरों को हक़ीर समझे, तो यह तकब्बुर है और गुनाह-ए-कबीरा है।”
(रद्दुल मुहतार, जिल्द 2, सफ़ा 313)

7. नरमी और आज़िज़ी की फ़ज़ीलत
हुज़ूर (ﷺ) ने फ़रमाया:
“जो अल्लाह के लिए आज़िज़ी इख़्तियार करता है, अल्लाह उसे बुलंदी अता करता है।”
(सहीह मुस्लिम, हदीस: 2588)

8. फिरऔन की हलाकत का सबब: तकब्बुर
क़ुरआन में फ़रमाया गया:
﴿إِنَّهُ كَانَ مِنَ ٱلْمُفْسِدِينَ﴾
“वह फ़साद करने वालों में से था (यानी फिरऔन)।”
(सूरह अल-क़सस, आयत: 4)

9. तकब्बुर दिल की बीमारी है
इमाम नववी (रَحِمَهُ ٱللَّٰهُ عَلَيْهِ) फ़रमाते हैं:
“तकब्बुर दिल की एक हलाक करने वाली बीमारी है जो आमाल को बर्बाद कर देती है।”
(शरह रियाज़ुस-सालिहीन)

10. तकब्बुर वाले को अल्लाह क़यामत के दिन देखेगा भी नहीं
हुज़ूर (ﷺ) ने फ़रमाया:
“तीन क़िस्म के लोगों को क़यामत के दिन अल्लाह नहीं देखेगा… उनमें से एक वो है जो तकब्बुर करता है।”
(सहीह मुस्लिम, हदीस: 106)

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