*📜🅿 पोस्ट:-0⃣1⃣*
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🎆 *☞12 रबि उल अव्वल☜* 🎆
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*🇸🇦मेरे मुस्तफ़ा ﷺ का मीलाद,🇸🇦*
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📖 *शरीअत की रौशनी में* 📚
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*🌹💫☞पहले ये जानले की एहले सुन्नत के नज़्दीक ईदे मिलादुन्नबी ﷺ मनाना कोई फ़र्ज़ या वाजिब नहीं, ये मुस्तहब अ’मल है। जो करे उसको षवाब मिलेगा और जो न करे उस पर कोई गुनाह नहीं।अब बात ये आती है की क्या इस्लाम हमें इजाज़त देता है ईदे मिलादुन्नबी ﷺ मानाने की या नहीं*
☞इसका जवाब ये है की क़ुरआनो हदिष की रौशनी में मिलादुन्नबी मनाना बिलकुल जाइज़ है।कोई भी दूसरे मसलक का आ’लिम आज तक शरई दलील मिलाद के हराम या नाजाइज़ होने की न आज तक ला सका है और न ला सकेगा। ان شاء الل📖
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🔄✨👉🏻आगे आने वाली पोस्ट में हम जानेंगे की किस तरह ईदे मिलाद ﷺ मनाना जाइज़ है क़ुरआनो हदिष की रौशनी में !🔄
*12वी शरीफ की निस्बत से ये 12 टॉपिक जो निचे दिये गये है और मजीद कुछ पॉइंट भी कवर करने की कोशिश की जायेगी।*
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*_{1}↬आक़ा ए करीम ﷺ की विलाद कब हुई✍……_*
*_{2}↬क़ुरआन क्या फरमाता है✍……_*
*_{3}↬आप ﷺ ने क्या अपना मिलाद मनाया_*
*_और आप ﷺ ने अपने मिलाद के मुतअल्लिक़ क्या फ़रमाया✍……_*
*_{4}↬क्या किसी सहाबी ने ईदे मिलादुन्नबी ﷺ मनाई है✍……_*
*_{5}↬अबू लहब ने भी मिलाद मनाया…✍……_*
*_{6}↬जुलूस निकालना किसकी सुन्नत✍……_*
*_{7}↬झंडे लगाना किसकी सुन्नत✍……_*
*_{8}↬नात शरीफ पढ़ना किसकी सुन्नत✍……_*
*_{9}↬मिलाद पर खर्च करना कैसा✍……_*
*_{10}↬शैतान की रुस्वाई…_*
*_{11}↬शबे क़द्र से भी अफ़्ज़ल रात….✍……_*
*_{12}↬किस किस आइम्ह व मुहद्दिसिन ने✍……_*
*_ मिलादुन्नबी ﷺ को जाइज़ कहा है✍……_*
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*💌दुआ फरमाइये की जिस काम की निय्यत की गई है वो मुकम्मल हो सके,,✍*
*📮पोस्ट जारी रहेगी इन्शा अल्लाह…✍🏼*
*🅿 पोस्ट:-0⃣2⃣*
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🎆 *☞12 रबि उल अव्वल☜* 🎆
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*🇸🇦मेरे मुस्तफ़ा ﷺ का मीलाद,🇸🇦*
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📖 *शरीअत की रौशनी में* 📚
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🎍☞ *आक़ा-ए-करीम ﷺ की विलादत कब हुई* 12 रबी उल अव्वल पर तमाम उलमा ए इस्लाम का इज्मा है की इस दिन मुहम्मद ﷺ सारे आ’लम के लिये रहमत बनके दुन्या में तशरीफ़ लाये। और इसी दिन सारी दुन्या में मुसलमान अपने नबी ﷺ की विलादत का जस्न मानते है।
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📒इब्ने जवाज़ी, शफा 87
🌹इब्ने इस्हाक़ ﺭﺣﻤﺘﻪ ﺍﻟﻠﻪ عليه
🗓85-151 हिजरी
📕इब्ने हिशाम, जी-1, शफा 158
🌹अल्लामा इब्ने हिशाम ﺭﺣﻤﺘﻪ ﺍﻟﻠﻪ عليه
🗓213 हिजरी
📗तारीख अल-उमम व अल-मुलुक, जी-2, शफा 125
🌹इमाम इब्ने जारीर तबारी ﺭﺣﻤﺘﻪ ﺍﻟﻠﻪ عليه
🗓224-310 हिजरी
📒आइलामुन नबुव्वत, शफा 192
🌹अल्लामा अबू अल-हसन अली बिन मुहम्मद अल-मवार्दी ﺭﺣﻤﺘﻪ ﺍﻟﻠﻪ عليه
🗓370-480 हिजरी
📕आयुन अल-असर, जी-1, शफा 33
🌹इमाम अल-हाफ़िज़ अबू-उल-फतह अल-उन्दालासि ﺭﺣﻤﺘﻪ ﺍﻟﻠﻪ عليه
🗓671-734 हिजरी
📗इब्ने खलदून, 2/394
🌹अल्लामा इब्न खलदून ﺭﺣﻤﺘﻪ ﺍﻟﻠﻪ عليه
🗓732-808 हिजरी
📕मुहम्मद रसूलुल्लाह, 1/102
🌹मुहम्मद अस-सादिक़ इब्राहिम अर्जुन ﺭﺣﻤﺘﻪ ﺍﻟﻠﻪ عليه
📗मदारिजुन नुबुव्वत, 2/14
🌹शैख़ अब्दुल-हक़ मुहद्दिस दहेल्वी ﺭﺣﻤﺘﻪ ﺍﻟﻠﻪ عليه
🌹950-1052 हिजरी
📕अल-मुवाहिद अल-लदुन्य , 1/88
🌹इमाम क़ुस्तलानी ﺭﺣﻤﺘﻪ ﺍﻟﻠﻪ عليه
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*🔮👉🏻 इससे साबित हुआ की आक़ा-ए-करीम ﷺ की विलादत 12 रबी उल अव्वल को ही हुई….*
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*💌दुआ फरमाइये की जिस काम की निय्यत की गई है वो मुकम्मल हो सके,,✍*
*📮पोस्ट जारी रहेगी इन्शा अल्लाह…✍🏼*
*🅿🄾🅂🅃►0⃣3⃣*
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🎆 *☞12 रबि उल अव्वल☜* 🎆
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*🇸🇦मेरे मुस्तफ़ा ﷺ का मीलाद,🇸🇦*
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📖 *शरीअत की रौशनी में* 📚
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🎍👉🏻 *अल-क़ुरआन* तुम फ़रमाओ अल्लाह ही के फज़ल और उसी की रहमत और उसी पर चाहिये की खुशिया करे…*
*📖सूरह युनुस, आयत 58📚*
🔮👉🏻इस आयत में अल्लाह عزوجل ने अपने फ़ज़्ल और अपनी रहमत पर खुशिया मनाने का हुक्म दिया है। और हमने तुम्हे न भेजा मगर रहमत सारे जहांन के लिये…
*📖सूरह अम्बिया, आयत 10📚*
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*📖👉🏻 इस आयत में अल्लाह عزوجل अपने प्यारे नबी ﷺ से फरमा रहा है की हमने तुम्हे सिर्फ 1 या 2 आलम के लिए नहीं बल्कि सारे आ’लम के लिये रहमत बना कर भेजा यहाँ गौर करे अल्लाह عزوجل ने नबीﷺ को रहमत कहा है और जो पहली आयत पेश की गई उसमे अल्लाह عزوجل ने अपनी रहमत पर ख़ुशी मनाने का हुक्म दिया है।*
📖👉��जो इन आयतो का मुन्किर होगा, जो नबीﷺ को अपने लिये अल्लाह की रहमत और नेअमत नहीं संमजेगा वो नबी ए पाकﷺ की विलादत की ख़ुशी से ऐतराज़ करेगा, यानी वो गम मनायेगा नबीﷺ की विलादत पर मगर हम तो खुशिया ही मनायेंगे,,✍
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*💌दुआ फरमाइये की जिस काम की निय्यत की गई है वो मुकम्मल हो सके,,✍*
*📮पोस्ट जारी रहेगी इन्शा अल्लाह…✍🏼*
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🎆 *☞12 रबि उल अव्वल☜* 🎆
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*🇸🇦मेरे मुस्तफ़ा ﷺ का मीलाद,🇸🇦*
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📖 *शरीअत की रौशनी में* 📚
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📖👉🏻 *क़ुरआन क्या फरमाता है* अपने रब की नेअमतों का खूब खूब चर्चा करो
*📖सूरह दूहा आयत 11📚*
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*🍁☞ इस आयत में अल्लाह ने हमें अपनी नेअमतों का चर्चा करने का हुक्म दिया। हर मोमिन ये जनता है की अल्लाह की सबसे बड़ी अज़ीम नेअमत हमारे लिये उसके रसूल है।*
📖☞इस बात को समझने के किये क़ुरआन की एक और आयत पेशे खिदमत है…
*✬बेशक अल्लाह का बड़ा ऐहसान हुआ मुसलमानो पर की उन्मे उन्ही मेसे एक रसूल भेजा जो उनपर उसकी आयते पढ़ता है और उन्हें पाक करता है,✍*
*📖सूरह अल-इमरान, आयत 164📚*
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*💌दुआ फरमाइये की जिस काम की निय्यत की गई है वो मुकम्मल हो सके,,✍*
*📮पोस्ट जारी रहेगी इन्शा अल्लाह…✍🏼*
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🎆 *☞12 रबि उल अव्वल☜* 🎆
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*🇸🇦मेरे मुस्तफ़ा ﷺ का मीलाद,🇸🇦*
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📖 *शरीअत की रौशनी में* 📚
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*_✬↬मेरे भाइयो आप सारा क़ुरआन पढ़ लीजिये किसी भी जगह अल्लाह ने ये नहीं कहा की हमने तुम्हे ये नेअमत दे कर तुम पे एहसान किया है सिवा अपने मेहबूब के।_*
*✍इससे मालूम हुआ की अल्लाह की सबसे बड़ी नेअमत हमारे लीये उसके नबी है…..*
📖 बेशक तुम्हारे पास तशरीफ़ लाये तुम में से वो रसूल जिन पर तुम्हारा मुशक्कत में पड़ना गवारा नहीं है, तुम्हारी भलाई के निहायत चाहने वाले मुसलमानो पर कमाले मेहरबान मेहरबान📚
*📜सूरह तौबा, आयात 128📕*
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🌸👍🏻इस आयत में अल्लाह तबारक-व-तआला खुद गवाही दे रहा है अपने रसूल की हम गुनाहगारो से बे-इन्तहा मुहब्बत और हम पर मेहरबान होने की…..
तो क्या पहली आयत में अल्लाह ने जो हुक्म दिया उस पर अमल करते हुए हम हमारे प्यारे प्यारे आक़ा की विलादत न मनाये ,,
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*💌दुआ फरमाइये की जिस काम की निय्यत की गई है वो मुकम्मल हो सके,,✍*
*📮पोस्ट जारी रहेगी इन्शा अल्लाह…✍🏼*
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*🅿 पोस्ट:-0⃣6⃣*
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📖12 रबि उल अव्वल📚
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🇸🇦मेरे मुस्तफ़ा ﷺ का मीलाद🇸🇦
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☞शरीअत की रौशनी में☜
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☞📖 आइये आप के सामने एक हदिष पेश करता हु अपने प्यारे आक़ा ﷺ के महेरबान होने की चुनान्चे आक़ा ए करीम ﷺ का फरमान मग्फिरत निशान है : जिसने मुज पर 100 मर्तबा दुरुद शरीफ पढ़ा अल्लाह عزوجل उसकी दोनों आँखों के दरमियान लिख देता है की ये निफ़ाक़ और जहन्नम की आग से आज़ाद है और उसे ब-रोज़े कियामत शोहदा के साथ रखूँगा।
📖मजमुअज़्ज़वायद् 10/253, हदिष 17298📕
✒ अब 100 बार दुरुद शरीफ पढ़ना कौनसी बड़ी बात है मगर फिर भी जहन्नम से निजात की बशारत दे दी गई अब ये मेहरबानी नहीं तो क्या है.✍
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💌दुआ फरमाइये की जिस काम की निय्यत की गई है वो मुकम्मल हो सके,,✍
📮पोस्ट जारी रहेगी इन्शा अल्लाह…✍🏼
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*🅿पोस्ट:-0⃣7⃣* ••──────────────────────➻
*<img draggable=”false” role=”img” class=”emoji” alt=”🇸🇦” src=”https://s0.wp.com/wp-content/mu-plugins/wpcom-smileys/twemoji/2/svg/1f1f8-1f1e6.svg”>12 रबि उल अव्वल <img draggable=”false” role=”img” class=”emoji” alt=”🇸🇦” src=”https://s0.wp.com/wp-content/mu-plugins/wpcom-smileys/twemoji/2/svg/1f1f8-1f1e6.svg”>*
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*☞मेरे मुस्तफ़ा ﷺ का मीलाद☜*
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शरीअत की रौशनी में
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📖👉🏻अब और क्या क्या सबुत चाहिये तुम्हे अपने प्यारे नबी ﷺ से मुहब्बत करने के लिये और उनकी विलादत की ख़ुशी मनाने के लिये ?
☞हुज़ूर ने अपनी विलादत खुद मनाई☜
✒ हज़रत अबू क़तादाرضي الله تعالي عنه से रिवायत है : रसूले करीम ﷺ से पिर का रोज़ा रखने के बारे में सवाल किया गया ओ आपﷺ ने फ़रमाया की
✒ इसी दिन मेरी विलादत हुई और इसी दिन मुझ पर क़ुरआन नाज़िल हुआ.✍
📖सहीह मुस्लिम, 2/1162, हदिष 819📕
📖नसाई अल-सुनाने कुब्रा, 2/2777, हदिष 146📗
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💌दुआ फरमाइये की जिस काम की निय्यत की गई है वो मुकम्मल हो सके,,✍
📮पोस्ट जारी रहेगी इन्शा अल्लाह…✍🏼
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*🅿पोस्त:-0⃣8⃣*
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📖12 रबि उल अव्वल 📚
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🇸🇦मेरे मुस्तफ़ा ﷺ का मीलाद🇸🇦
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शरीअत की रौशनी में
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📖👉🏻 क्या किसी साहबा ने मिलादे मुस्तफा मनाई है हज़रत अबू सईद खुदरी से रिवायत है की मुआविया से रिवायत हे की आक़ा करीम ﷺ बाहिर निकले साहब के हल्के पर, आप ने फ़रमाया :
☞✮तुम यहाँ किस वजह से बेठे हो, उन्होंने कहा हम अल्लाह عزوجل से दुआ कर रहे है और उसका शुक्र अदा कर रहे है की उसने अपना दिन हम को बतलाया और हम पर एहसान किया आप को भेज कर।…..
1
*📖सुनन निसई, हदिष 5432📕*
🌹👉🏻साहबा और ताबेईन और दीगर अहले इस्लाम ने पीर के दिन का रोज़ा रख कर भी मिलाद मनाया।
1
*📖अबू दाऊद जी-1, सफा 331📕*
✒मक्का शरीफ के लोग नबी की पैदाइश की जगह को मिलादुन्नबी ﷺ के दिन हर साल ज़ियारत करते और महफ़िल मुनाकिद करते,✍
📖जवाहिर अल-बिहार सफा 1222📘
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💌दुआ फरमाइये की जिस काम की निय्यत की गई है वो मुकम्मल हो सके,,✍
📮पोस्ट जारी रहेगी इन्शा अल्लाह…✍🏼
*🅿पोस्ट:-0⃣9⃣*
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*📖12 रबि उल अव्वल 📚*
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*🇸🇦मेरे मुस्तफ़ा ﷺ का मीलाद🇸🇦*
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*☞शरीअत की रौशनी में☜*
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📖👉🏻 *आप ﷺ की विलादत को ईद कहना कैसा* आइये पहले हम ईद का मतलब समज लेते है, ईद के लूग्वि माना है ख़ुशी, अगर कोई अरबी ख़ुशी का लफ्ज़ अरबी में कहेगा तो वो यही कहेगा “”ईद” इसे समझने के लिये क़ुरआन की एक आयत पेशे खिदमत है
📖🇸🇦 *_अल-क़ुरआन_* ईशा इब्ने मरीयम ने अर्ज़ की या अल्लाह ! ऐ हमारे रब ! हम पर आसमान से एक कुवा उतार की वो (कुवा उतरने के दिन) हमारे लिये ईद हो, हमारे अग्लो और पिछलों की,
*📖सूरह माईदा, आयत 114📕*
*_☞🌹इस आयत से मालुम हुआ की जिस दिन अल्लाह عزوجل की खास रेहमत नाज़िल हो उस दिन को ईद मनाना और ख़ुशी मनाना अल्लाह عزوجل के शुक्र अदा करना अम्बिया का तरीका है, तभी तो हज़रत इसा अलैहिस्सलाम ने दुआ मांगी,✍_*
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*💌दुआ फरमाइये की जिस काम की निय्यत की गई है वो मुकम्मल हो सके,,✍*
*📮पोस्ट जारी रहेगी इन्शा अल्लाह…✍🏼*
*🅿पोस्ट:-1⃣0⃣*
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*📖12 रबि उल अव्वल 📚*
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*🇸🇦मेरे मुस्तफ़ा ﷺ का मीलाद🇸🇦*
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*☞शरीअत की रौशनी में☜*
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🌹👉🏻 आक़ा ﷺ ने फ़रमाया : जुमुआ का दिन सब दिनों का सरदार है, अल्लाह عزوجل के नज़्दीक सबसे बड़ा है और वो अल्लाह عزوجل के नज़्दीक “ईदुल अज़्हा” और ” ईदुल फ़ित्र” से बड़ा है।
💎👉🏻 अल्लाह عزوجل ने इसमें (यानि जुमुआ के दिन) हज़रते आदम को पैदा किया
इसी में ज़मीन पर उनको उतरा
इसी में उनको वफ़ात दी,,✍
*🇨🇨 सुनन इब्ने माजाह, 1/8 हदिष 1084
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*💌दुआ फरमाइये की जिस काम की निय्यत की गई है वो मुकम्मल हो सके,,✍*
*📮पोस्ट जारी रहेगी इन्शा अल्लाह…✍🏼*
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*🅿पोस्ट:-1⃣1⃣*
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📖12 रबि उल अव्वल 📚
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*<img draggable=”false” role=”img” class=”emoji” alt=”🇸🇦” src=”https://s0.wp.com/wp-content/mu-plugins/wpcom-smileys/twemoji/2/svg/1f1f8-1f1e6.svg”>मेरे मुस्तफ़ा ﷺ का मीलाद<img draggable=”false” role=”img” class=”emoji” alt=”🇸🇦” src=”https://s0.wp.com/wp-content/mu-plugins/wpcom-smileys/twemoji/2/svg/1f1f8-1f1e6.svg”>*
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☞शरीअत की रौशनी में☜
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📚👉🏻 इस हदिष में 3 खसल्ते हज़रत आदम के लिये बयान की गई जिसमे आप की वफ़ात ए ज़ाहिरी का भी ज़िक्र है। तो पता चला की एक नबी की पैदाइश उनका ज़मीन पर उतारना और उनकी वफ़ात के दिन के बावुजूद भी मोमिन के लिये अल्लाह ने उसे ईद बना दिया।
💎👉🏻 और तो और वो “ईदुल अज़्हा” और ” ईदुल फ़ित्र” से भी अफ़्ज़ल कर दिया। मेराज की रात आक़ा ﷺ ने तमाम अम्बिया की इमामत की थी
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*<img draggable=”false” role=”img” class=”emoji” alt=”🇨🇨” src=”https://s0.wp.com/wp-content/mu-plugins/wpcom-smileys/twemoji/2/svg/1f1e8-1f1e8.svg”>सुनन निसई, 1/221📕*
🌹👉🏻 जैसा की हदिष से पता चलता है की हमारे सरकार ﷺ तमाम अम्बिया के सरदार और इमाम है उनकी तशरीफ़ आवरी पर हम उस दिन को क्यू ईद न कहे। बल्कि हम तो उसे इदो की ईद कहेंगे की उनकी तशरीफ़ आवरी की वजह से ही तो हमें बाकि ईद मिली और हर हफ्ते में एक दिन करके पुरे साल में 52 इदो (जुमुआ) का तोहफा मिला इसी “राहमतुल्लिल आ’लमिन” की तशरीफ़ आवरी से मिला हैं तो हम क्यू उस दिन ख़ुशी न मनाये,
,✍ •────────────────────•
💌दुआ फरमाइये की जिस काम की निय्यत की गई है वो मुकम्मल हो सके,,✍
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*🅿पोस्ट:-1⃣2⃣*
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📖12 रबि उल अव्वल 📚
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*<img draggable=”false” role=”img” class=”emoji” alt=”🇸🇦” src=”https://s0.wp.com/wp-content/mu-plugins/wpcom-smileys/twemoji/2/svg/1f1f8-1f1e6.svg”>मेरे मुस्तफ़ा ﷺ का मीलाद<img draggable=”false” role=”img” class=”emoji” alt=”🇸🇦” src=”https://s0.wp.com/wp-content/mu-plugins/wpcom-smileys/twemoji/2/svg/1f1f8-1f1e6.svg”>*
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☞शरीअत की रौशनी में☜
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🌹👉🏻अबू लहब ने भी मिलादे मुस्तफा ﷺ मनाया जब हुज़ूर ﷺ की विलादत हुई तब अबू लहब की गुलाम सोबिया ने अबू लहब से कहा की तुजे भतीजा हुआ है, इस ख़ुशी में अबू लहब ने अपनी उस गुलाम को ऊँगली के इशारे से आज़ाद किया था।”*
💎💟👉🏻 जब अबू लहब मर गया तो उसके बाद अहले खाना ने उसे ख्वाब में बुरी हालत में देखा तो उससे पूछा : तेरा क्या हाल है
🌹🖤👉🏻 उसने कहा : मेने तुम्हारे बाद कोई भलाई नहीं पाई लेकिन मुझे हर पिर के रोज़ उस ऊँगली से पानी दिया जाता है जिस से मेने हज़रत मुहम्मद ﷺ की विलादत की ख़ुशी में सोबिया को आज़ाद किया था,,✍
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*📚सहीह बुखारी, 1/152📕*
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💌दुआ फरमाइये की जिस काम की निय्यत की गई है वो मुकम्मल हो सके,,✍
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*🅿पोस्ट:-1⃣3⃣*
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📖12 रबि उल अव्वल 📚
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*<img draggable=”false” role=”img” class=”emoji” alt=”🇸🇦” src=”https://s0.wp.com/wp-content/mu-plugins/wpcom-smileys/twemoji/2/svg/1f1f8-1f1e6.svg”>मेरे मुस्तफ़ा ﷺ का मीलाद<img draggable=”false” role=”img” class=”emoji” alt=”🇸🇦” src=”https://s0.wp.com/wp-content/mu-plugins/wpcom-smileys/twemoji/2/svg/1f1f8-1f1e6.svg”>*
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☞शरीअत की रौशनी में☜
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🌹📖 इस हदिष के तहत इमाम जिज़री फरमाते है : जब एक काफ़िर का ये हाल है तो वो उम्मती जो अपने रसूल ﷺ की मुहब्बत में मिलाद पे माल खर्च करता है उसका क्या सीला होगा
📚मुवाहिब अद-दुन्या, 1/27📕
💎🇨🇨👉🏻 ईदे मिलादुन्नबी ﷺ का एहतमाम और ख़ुशी ज़ाहिर करने वालो के लिये खुशखबरी है की वो जन्नती है…
💎🇨🇨👉🏻ईदे मिलादुन्नबी ﷺ के बारे में खुल्फा ऐ राशिदीन का क़ौल : हज़रते सिद्दिके अकबर رضي الله تعالي عنه ने फ़रमाया की जिसने नबी की मिलाद पाक पर 1 दिरहम भी खर्चा किया वो जन्नत में मेरे साथ होगा,✍
📖अन्नेअमतुल कुब्रा अलल आलम, सफा 7-12📕
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💌दुआ फरमाइये की जिस काम की निय्यत की गई है वो मुकम्मल हो सके,,✍
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*🅿पोस्ट:-1⃣4⃣*
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📖12 रबि उल अव्वल 📚
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*<img draggable=”false” role=”img” class=”emoji” alt=”🇸🇦” src=”https://s0.wp.com/wp-content/mu-plugins/wpcom-smileys/twemoji/2/svg/1f1f8-1f1e6.svg”>मेरे मुस्तफ़ा ﷺ का मीलाद<img draggable=”false” role=”img” class=”emoji” alt=”🇸🇦” src=”https://s0.wp.com/wp-content/mu-plugins/wpcom-smileys/twemoji/2/svg/1f1f8-1f1e6.svg”>*
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☞शरीअत की रौशनी में☜
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💎💟👉🏻 हज़रत उमर फ़ारुके आज़म رضي الله تعالي عنه ने फ़रमाया की जिसने इमामूल अम्बिया के मिलाद पाक की ताज़ीम की उस ने इस्लाम को ज़िन्दा किया
🌹👉🏻 हज़रते उष्मान गनी رضي الله تعالي عنه ने फ़रमाया की जिसने हुज़ूर के मिलाद पाक पर 1 दिरहम भी खर्च किया गोया की वो बदर व मुनाइन के जिहाद में शरीक हुआ।
💎👉🏻 मौला ए काएनात हज़रत अलीكَرَّمَ اللّٰهُ تَعَالٰى وَجْهَهُ الْكَرِيْم फरमाते है जो कोई मिलाद लाक की ताज़ीम और उस पर खर्च करे वो दुन्या से ईमान के साथ जायेगा। और बगैर हिसाब के जन्नत में दाखिल होगा..✍
📖 अन्नेअमतुल कुब्रा अलल आलम, सफा 7-12📕
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💌दुआ फरमाइये की जिस काम की निय्यत की गई है वो मुकम्मल हो सके,,✍
*🅿पोस्ट:-1⃣5⃣* ••──────────────────────➻ *📖12 रबि उल अव्वल 📚* ••──────────────────────➻ *🇸🇦मेरे मुस्तफ़ा ﷺ का मीलाद🇸🇦* *~~~~~~~✮~~~~~~~✮~~~~~~~* *☞शरीअत की रौशनी में☜* *~~~~~~~✮~~~~~~~✮~~~~~~~**🌹👉🏻ज़म ज़मो कौसरो तसनीम नहीं लिख सकता**♦या नबी आप की ताज़ीम नहीं लिख सकता* *♦मैं अगर लाख समंदर भी निचोड़ो भी अगर**♦आप के नाम की एक मीम नहीं लिख सकता*🌹👉🏻 12वी तारीख को अल्लाह ने प्यारे महबूब रहमतुलिल आलमीन ﷺ को पैदा फ़रमाया और मख्लुकात जहानों को पैदा फ़रमाया जैसा की अल्लाह ने अपनी मुक़द्दस किताब क़ुरआन में अलग अलग जगहों पर इरशाद फ़रमाया है! 💎👉🏻 *वरफअना लक ज़िकरक* ⚜ हमने बुलंद किया आपके लिये आपके ज़िक्र को 🌹👉🏻 *लकद जाअकुम रसूलुम मीन अन्फुसे कम* ⚜ ऐ मोमिनो तुम्हारे पास अज़मत वाला रसूल तशरीफ़ लाए जो तुम्हारे में से है! 💎👉🏻 *लक़द मन्नल्लाहो अलल मोअमिनिन इज़ बअष फिहिम रसुला* 🌹👉🏻 हमने मुसलमानो पर बड़ा एहसान किया की उनमे उन्ही में से एक रसूल भेजा ⚜ *वजकुरु निअमतल्लाहे अलैकुम* 🌹👉🏻 और अल्लाह के एहसान को याद करो 💟 *वमा अरसलनाक इल्ला राहमतलिल आलमीन* 💎👉🏻 हमने तुम्हे सारी कायनात के लिए रहमत बनाकर भेजा। 🌹👉🏻बेशक सरकार अल्लाह तआला की नेअमतें उज़्मा है। अल्लाह क़ुरआन में इरशाद फ़रमाता है! ⚜➡ *व अम्मा बे नेअमतें रब्बिक फहद्दीष* 💎👉🏻अपने रब की नेअमतों का खूब चर्चा करो और याद करो अल्लाह की नेअमतों को जो तुम पर है। *सूरए आले इमरान* 🌹👉🏻मिलाद शरीफ का माना ये है के सरकार ﷺ का ज़िक्र करना चर्चा करना। अल्लाह ने इन आयत में हुज़ूर ﷺ का ज़िक्र करने का और चर्चा करने का हुक्म फ़रमाया है। 💎👉🏻 इसी तरह अल्लाह ने अपने प्यारे महबूब ﷺ की तारीफ़ (मिलाद) तमाम आसमानी किताबो में फ़रमाया है। जिसका ज़िक्र ان شاء الله अगली पोस्ट में।…✍ *🔰फ़ज़िलते ईदे मिलादुन्नबी सफ़ह 5 📕* •────────────────────•*💌दुआ फरमाइये की जिस काम की निय्यत की गई है वो मुकम्मल हो सके,,✍*
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*🅿पोस्ट:-1⃣6⃣*
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📖12 रबि उल अव्वल 📚
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*<img draggable=”false” role=”img” class=”emoji” alt=”🇸🇦” src=”https://s0.wp.com/wp-content/mu-plugins/wpcom-smileys/twemoji/2/svg/1f1f8-1f1e6.svg”>मेरे मुस्तफ़ा ﷺ का मीलाद<img draggable=”false” role=”img” class=”emoji” alt=”🇸🇦” src=”https://s0.wp.com/wp-content/mu-plugins/wpcom-smileys/twemoji/2/svg/1f1f8-1f1e6.svg”>*
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☞शरीअत की रौशनी में☜
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*🕌दोंनो आलम के ख़ज़ाने कर दिये हक़ ने अता*
⚜दो जहां के मालिकों मुख़्तार पर लाखों सलाम
🌹👉🏻किताबो में की है। हुज़ूर ﷺ की इस दुनियां में तशरीफ़ आवरी के मुतअल्लिक़ बहुत सी बशारते है के इन सबको लिखना न मुमकिन है यहाँ हम चन्द बशारतो का बयान करते है जो सही रिवायतों से है, हज़रत आदम अलैहिस्सलाम की 9 किताबो में अल्लाह ने ये खिताब फ़रमाया है।
💎👉🏻अल्लाह फ़रमाता है ऐ आदम एक वक़्त आएगा जब तेरी औलाद में एक नरम दिल और लोगो पर तरस खाने वाला इंसान पैदा होगा। उसका नाम इब्राहीम होगा। वो मेरा एक घर बनाएगा। उस हरमे पाक में ज़मज़म का चश्मा निकल आएगा। ये सिलसिला तेरे उस फ़रज़न्द तक पहोचेगा जो सबसे अफ्ज़ल होगा। जिसका रुतबा सबसे बुलंद होगा। उसका नाम हज़रत मुहम्मद होगा। खूबसूरती में वो सबसे निराला होगा, अच्छाई में वो सबसे आला होगा, वो सबका इमाम होगा, इस शहेर कि इमामत उसी को दी जाएगी, वो पैगम्बर होगा, आली हिम्मत होगा, वो मेरे इस घर के ऐहतराम को फिर ज़िंदा करेगा और क़यामत तक इसे मेरी सिर्फ मेरी इबादत जगह बना देगा। मेरा ये बाँदा आखरी पैगम्बर होगा आखरी रसूल होगा के, इसके बाद फिर कोई पैगम्बर और कोई रसूल न होगा।
💟 ये इबारत हज़रते आदम के सहिफे यानी किताब में है।..✍
📚फ़ज़िलते ईदे मिलादुन्नबी सफ़ह 6 📕
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*💌दुआ फरमाइये की जिस काम की निय्यत की गई है वो मुकम्मल हो सके,,✍
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*🅿पोस्ट:-1⃣7⃣*
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📖12 रबि उल अव्वल 📚
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*<img draggable=”false” role=”img” class=”emoji” alt=”🇸🇦” src=”https://s0.wp.com/wp-content/mu-plugins/wpcom-smileys/twemoji/2/svg/1f1f8-1f1e6.svg”>मेरे मुस्तफ़ा ﷺ का मीलाद<img draggable=”false” role=”img” class=”emoji” alt=”🇸🇦” src=”https://s0.wp.com/wp-content/mu-plugins/wpcom-smileys/twemoji/2/svg/1f1f8-1f1e6.svg”>*
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☞शरीअत की रौशनी में☜
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💟ला वा रब्बिल अर्श जिसको जो मिला उनसे मिला
🇨🇨बटती हैं क़ौनैंन में नेमत रसूल अल्लाह ﷺ की
🧕🏻👉🏻तौरेत अल्लाह ने अपने नबी हज़ारत मूसा अलैहिस्सलाम पर नाज़िल फ़रमाई है, इस मुक़द्दस किताब में भी अल्लाह ने हुज़ूर ﷺ की तारीफ़ (मिलाद बयान की है)
💎👉🏻 एक सहाबी क़अबूल फरमाते है की मेने तौरेत में पढ़ा है के, “हुज़ूरﷺ गुस्सा न करेंगे, आप का दिल सख्त न होगा, आप बाजारमें कभी किसीको उची आवाज़ से न बुलाएंगे, बुराई का बदला बुराई से न देंगे, बल्कि मुआफ़ फरमा देंगे। आप की उम्मत अल्लाह का ज़िक्र करती रहेगी। वो हाथ, पाउ, मुह धो कर और सरका मसह करके वुज़ू करेंगे। उनके मोआज़्ज़िन अजाने देंगे। वो उची इमारतों पर, मीनारों पर खड़े हो कर खुदाकि तकबीर कहेंगे। उनकी खुबिया नमाज़ में और जंग में एक जेसी होगी। वो रातके वक़्त खुदा की इबादत करने खड़े होंगे,,✍
📚 फ़ज़िलते ईदे मिलादुन्नबी सफ़ह 7 📕
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💌दुआ फरमाइये की जिस काम की निय्यत की गई है वो मुकम्मल हो सके,,✍
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*🅿पोस्ट:-1⃣8⃣*
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📖12 रबि उल अव्वल 📚
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*<img draggable=”false” role=”img” class=”emoji” alt=”🇸🇦” src=”https://s0.wp.com/wp-content/mu-plugins/wpcom-smileys/twemoji/2/svg/1f1f8-1f1e6.svg”>मेरे मुस्तफ़ा ﷺ का मीलाद<img draggable=”false” role=”img” class=”emoji” alt=”🇸🇦” src=”https://s0.wp.com/wp-content/mu-plugins/wpcom-smileys/twemoji/2/svg/1f1f8-1f1e6.svg”>*
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☞शरीअत की रौशनी में☜
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💟👉🏻ला वा रब्बिल अर्श जिसको जो मिला उनसे मिला
🖤बटती हैं क़ौनैंन में नेमत रसूल अल्लाह ﷺ की
💎👉🏻नबी आखिरुज़्ज़मा ﷺ मक्का में पैदा होंगे। मदीने में जाएंगे। आपकी हुक़ूमत मदीने से लेकर मुल्के शाम तक फेली हुई होगी। जान लो के ये मेरा बंदा मोहम्मद होगा। जिसका नाम मुतवक़्क़ल होगा। उसे उस वक़्त तक दुन्या से न उढ़ाऊँगा जब तक के सारे टेढ़े रास्ते उसके सच्चे दिन पर न आ जाएंगे और जूठे मजहब उसके सच्चे मजहब से सीधे न हो जाएंगे। ये इस तरहसे होगा के सारे इन्सानोको, जिन्नों को और खुदाकि सारी मख्लूक़ को एक सच्चे दिनकि दावत देगा। एक खुदा की तरफ बुलाएगा। उसकी दावत की बरकत ऐसी होगी के इसकी वजह से में उन आँखों को रौशनी दूंगा जो देख न सकती होगी, उदास दिलो को ख़ुशी दूंगा, दिल के अँधेरे दूर करूँगा और लोगो के सारे मुआमले सुलजा दूंगा।,✍*
📚 फ़ज़िलते ईदे मिलादुन्नबी सफ़ह 7 📕
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*💌दुआ फरमाइये की जिस काम की निय्यत की गई है वो मुकम्मल हो सके,,✍
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*🅿पोस्ट:-1⃣9⃣*
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📖12 रबि उल अव्वल 📚
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*<img draggable=”false” role=”img” class=”emoji” alt=”🇸🇦” src=”https://s0.wp.com/wp-content/mu-plugins/wpcom-smileys/twemoji/2/svg/1f1f8-1f1e6.svg”>मेरे मुस्तफ़ा ﷺ का मीलाद<img draggable=”false” role=”img” class=”emoji” alt=”🇸🇦” src=”https://s0.wp.com/wp-content/mu-plugins/wpcom-smileys/twemoji/2/svg/1f1f8-1f1e6.svg”>*
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☞शरीअत की रौशनी में☜
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💟👉🏻सरवर कहूँ के मालिके मौला कहूँ तुझे बागे ख़लील का गुले ज़ेबा कहूँ तुझे”
🌹👉🏻 अल्लाह ने आपने फ़ज़लों करम से छोटी बड़ी कमो बेस 104 कितबे मुक़द्दस रसूलों पर नाज़िल फ़रमाई, ताकि उसके बन्दों को हक़ राह मिल सके। हक़ राह को पाने में कोई शक न रहे, जन्नत से निकाल के आने वाला इंसान फिर जन्नत में जाने लायक बन सके, शैतान जो उसका दुश्मन है वो उसे गलत राह पे ले जाके उसे दोज़खी न बना दे।
💎👉🏻 इंसान, इंसान बनके ज़िन्दगी बसर करे, अख़लाक़, आदाब से हट के जानवर न बने। बल्कि अपने अख़लाक़ से फरिश्तों से बन के दिखाये! अल्लाह की हक़ीक़ी पहचान मिले और शिर्क और बूत परस्ती से महफूज़ रहे। अल गरज़ अल्लाह के बन्दे उसकी नाज़िल करदा किताबों से उस अल्लाह का हक़ीक़ी बन्दा बनके रहे,,✍
📚 क़ुरआन एक जिंदा मोजिज़ा सफ़ह 14 📕
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💌दुआ फरमाइये की जिस काम की निय्यत की गई है वो मुकम्मल हो सके,,✍
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*🅿पोस्ट:-2⃣0⃣*
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📖12 रबि उल अव्वल 📚
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*<img draggable=”false” role=”img” class=”emoji” alt=”🇸🇦” src=”https://s0.wp.com/wp-content/mu-plugins/wpcom-smileys/twemoji/2/svg/1f1f8-1f1e6.svg”>मेरे मुस्तफ़ा ﷺ का मीलाद<img draggable=”false” role=”img” class=”emoji” alt=”🇸🇦” src=”https://s0.wp.com/wp-content/mu-plugins/wpcom-smileys/twemoji/2/svg/1f1f8-1f1e6.svg”>*
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☞शरीअत की रौशनी में☜
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💎⚜सरवर कहूँ के मालिके मौला कहूँ तुझे”
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*♦ बागे ख़लील का गुले ज़ेबा कहूँ तुझे”*
🌹👉🏻 नबी की ज़रूरत अगर सिर्फ किताबे नाज़िल कर दी जाती तो उसे समझने में लोगो को शको सूबा हो सकता था और शैतान गलत माना समझा के लोगो को गलत राह पे ले जा सकता था। तो अल्लाह ने किताबे अपने मुक़द्दस और प्यारे रसूलों पे नाज़िल फ़रमाई और उनको मख़लूक़ से ज़्यादा इल्म अता किया और उन्हें गुनाहों से पाक व मासूम रखा। शैतान से उनकी हिफाज़त की। जिस रसूल पे जो किताब नाज़िल की उस किताब का सच्चा इल्म भी उस नबी को अता फ़रमाया। हबीब रसूलों ने अपने अख़लाक़ व अमलो से लोगो को अल्लाह की मुक़द्दस किताब का इल्म दिया। अल्फ़ाज़ से अगर शक होता तो उनके अमल से उनको जवाब मिल जाता।…✍*
📚 क़ुरआन एक जिंदा मोजिज़ा सफ़ह 14📕
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💌दुआ फरमाइये की जिस काम की निय्यत की गई है वो मुकम्मल हो सके,,✍
🅿पोस्ट:-2⃣1⃣
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📖12 रबि उल अव्वल 📚
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*<img draggable=”false” role=”img” class=”emoji” alt=”🇸🇦” src=”https://s0.wp.com/wp-content/mu-plugins/wpcom-smileys/twemoji/2/svg/1f1f8-1f1e6.svg”>मेरे मुस्तफ़ा ﷺ का मीलाद<img draggable=”false” role=”img” class=”emoji” alt=”🇸🇦” src=”https://s0.wp.com/wp-content/mu-plugins/wpcom-smileys/twemoji/2/svg/1f1f8-1f1e6.svg”>*
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☞शरीअत की रौशनी में☜
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⚜मेरे रज़ा ने ख़त्मे सुखन इस पे कर दिया”
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*💟ख़ालिक़ का बन्दा ख़ल्क़ का आक़ा कहूँ तुझे”*
💎👉🏻 नबियों की तादाद अल्लाह ने दुन्या में कमो बेस एक लाख चौबीस हज़ार नबियों को भेजा। उनमे से 313 को नबुव्वत के साथ रिसालत भी नवाज़ा। यानी वो रसूल भी थे। इससे आप को ये समझ तो आगया की नबी और रसूल एक नही, दोनों में फर्क है।”*
⚜👉🏻 तार्रुफ़ ए नबी नबी बसर और मर्द है, जिसको अल्लाह ने उम्मत की रहनुमाई के लिये भेजा और उनपे वही नाज़िल फ़रमाई।
•🌹👉🏻 इससे ये मालूम हुआ कि नबी इंसान है कोई फरिश्ता या जिन्न को नबुव्वत नही दी और ये भी जानने को मिला कि इंसानो में भी सिर्फ मर्द है, किसी औरत को नबुव्वत नही दी गई।
💟 तार्रुफ़ ए रसूल रसूल वो है जिनको अल्लाह ने किताब या नये हुक्म अता फरमाये।
💫 इंसानों को नबुव्वत मिली है लेकिन जिनको नबुव्वत मिली वो सभी रसूल नहीं है। रसूल सिर्फ 313 है और अल्लाह की और से 104 किताबे नाज़िल हुई है। (फरिश्तों में भी रसूल है)
💎👉🏻 रसूल होना सिर्फ इंसानों के लिये खास नहीं बल्कि फरिश्तों में भी कुछ को रिसालत दी हुई है। लेकिन औरतो और मर्दो में ज़्यादा फ़ज़ीलत मर्दो को दी हुई है, इसी वजह से औरतों में नबुव्वत और रिसालत नही है। है उनको विलायत मिल सकती है बल्कि कई औरतों को विलायत मिली हुई है,✍
📚 क़ुरआन एक जिंदा मोजिज़ा सफ़ह 14 📕
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💌दुआ फरमाइये की जिस काम की निय्यत की गई है वो मुकम्मल हो सके,,✍
*🅿पोस्ट:-2⃣2⃣* ••──────────────────────➻ *📖12 रबि उल अव्वल 📚* ••──────────────────────➻ *🇸🇦मेरे मुस्तफ़ा ﷺ का मीलाद🇸🇦* *~~~~~~~✮~~~~~~~✮~~~~~~~* *☞शरीअत की रौशनी में☜* *~~~~~~~✮~~~~~~~✮~~~~~~~* *♦जहां बानी अता कर दें भरी ज़न्नत हिबा कर दें”**♦नबी मुख़्तारे कुल है जिसको जो चाहे अता कर दें”**💎👉🏻 अल्लाह तआला की नाज़िल करदा किताबे कलामुल्लाह है।* ऐसा नही की हमारे आक़ा ﷺ पे जो किताब क़ुरआन उतारा गया वो ही कलामुल्लाह है यानी अल्लाह का कलाम है। बल्कि उसी तरह जितनी किताबे अल्लाह ने अपने मुक़द्दस रसूलों पर नाज़िल फ़रमाई वो सभी किताबे कलामुल्लाह है और ये सभी किताबों पे ईमान लाना ज़रूरी है।*🌹👉🏻 इससे कुछ लोगो को ये शको सूबा है कि जब अगली किताबो की हर बात कैसे क़बूल कर ले, जब कि ये साबित हो चुका है कि उसमें लोगों ने रद्दो बदल कर दिए है।*💟 तो इसका जवाब ये है कि ईमान की दो किसमे है।*♦➪1 किसी चीज़ पर ईमान ♦➪2 उसकी तफसील पर ईमान।💎👉🏻 यह शको सूबा दूसरे नंबर से है, तो हम यूँ कहेंगे अल्लाह की किताब पर ईमान लाया, यानी अल्लाह ने किताब नाज़िल की थी उसपे ईमान है। इस से अल्लाह की किताबो पर ईमान लाना मुकम्मल हो जाएगा।*_💫 इसी तरह सभी नबियों पर ईमान लाना ज़रूरी है। हर एक पर अलग अलग ईमान का इकरार करना ज़रूरी नही। क्योंकि सभी नबियों के नाम बयान नही किये गये और उनकी तादाद में भी इख़्तेलाफ़ है। तो इतना मानना ज़रूरी है कि में अल्लाह के सभी नबियों पर ईमान लाया हूं।…✍_* *📚 क़ुरआन एक जिंदा मोजिज़ा सफ़ह 📕*•────────────────────•*💌दुआ फरमाइये की जिस काम की निय्यत की गई है वो मुकम्मल हो सके,,✍*
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*🅿पोस्ट:-2⃣3⃣*
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*<img draggable=”false” role=”img” class=”emoji” alt=”🇸🇦” src=”https://s0.wp.com/wp-content/mu-plugins/wpcom-smileys/twemoji/2/svg/1f1f8-1f1e6.svg”>मेरे मुस्तफ़ा ﷺ का मीलाद<img draggable=”false” role=”img” class=”emoji” alt=”🇸🇦” src=”https://s0.wp.com/wp-content/mu-plugins/wpcom-smileys/twemoji/2/svg/1f1f8-1f1e6.svg”>*
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☞शरीअत की रौशनी में☜
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🌹👉🏻मेरे आक़ा ﷺ की हैं शान सबसे अलग”
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*जैसे रुतबे में क़ुरआन सबसे अलग*”
💟 रुतबे में सबसे अफ़ज़ल रुतबा मेरे नबी ﷺ का
💟 क़ुरआन हैं मुक़म्मल चेहरा मेरे नबी ﷺ का
📕💫 • पहले की किताबों में रद्दो बदल क्यों हुआ? • सवाल ये भी होता है कि, पहले की किताबो में लोगों ने मिलावट क्यूं की और अल्लाह ने इस मिलावट को दूर क्यों न किया ?
🌹👉🏻 अल्लाह ने लोगो की हिदायत के लिये किताबे नाज़िल फ़रमाई। इससे हिदायत और नजात की राह दिखाई। अब लोगों के जिम्मे था कि इन किताबो को मजबूती से थाम लेते और उस पर अमल करते। लेकिन लोग शैतान के बहकावे में आ गए और इस जिम्मेदारी को भूल गये की अल्लाह ने हमे किताब क्यूं अता फ़रमाई और हमे किताब की किस तरह हिफाज़त करनी चाहिये।
💎👉🏻 दूसरी बात ये की अल्लाह ने जिस क़ौम को किताब अता फ़रमाई जस की हिफाज़त उस क़ौम के जिम्मे कर दी। अब हुआ यूं के उस क़ौम के आलिम गुरबा व मसाकीन के लिये खुदाई हुक्म देते और जब कोई दौलत मंद की बात आती तो वो उनको बचाने के लिये इसमें रद्दो बदल कर देते। इस तरह के काम उस क़ौम के नबी के दुन्या से जाने के बाद होते रहे..✍
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💌दुआ फरमाइये की जिस काम की निय्यत की गई है वो मुकम्मल हो सके,,✍
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*🅿पोस्ट:-2⃣4⃣*
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📖12 रबि उल अव्वल 📚
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*<img draggable=”false” role=”img” class=”emoji” alt=”🇸🇦” src=”https://s0.wp.com/wp-content/mu-plugins/wpcom-smileys/twemoji/2/svg/1f1f8-1f1e6.svg”>मेरे मुस्तफ़ा ﷺ का मीलाद<img draggable=”false” role=”img” class=”emoji” alt=”🇸🇦” src=”https://s0.wp.com/wp-content/mu-plugins/wpcom-smileys/twemoji/2/svg/1f1f8-1f1e6.svg”>*
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☞शरीअत की रौशनी में☜
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💎👉🏻 • हिफाज़त की जिम्मेदारी लोगो को क्यों ?सवाल ये भी होता है कि इसकी जिम्मेदारी लोगो को क्यों दी अगर अल्लाह अपने जिम्मे रखता तो लोग इसमें रद्दो बदल न करते।
🌹👉🏻 अल्लाह ने लोगों के इम्तेहान के लिए ये जिम्मेदारी क़ौम को दी, की ये मेरी किताब है जो नबी के ज़रिये आप तक पहोंची है। पर क़ौम अल्लाह के इम्तेहान में नाकाम हुए।
💟⚜दूसरी बात ये है कि अल्लाह فَقَّالُ لِّمَايُرِيْدُ है। उसने ये इरादा किया कि किताब की हिफाज़त क़ौम को दी जाये।।
💫⚜ तीसरी बात ये की एक नबी के बाद दूसरा नबी और एक रसूल के बाद दूसरा रसूल आने वाले है। तो जो रद्दो बदल होगा वो दूसरे नबी और रसूल की तालीमात सही हो जाएगा। इसी वजह से क़ौम को ये जिम्मेदारी दी।…✍
📚 क़ुरआन एक जिंदा मोजिज़ा सफ़ह 18 📕
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💌दुआ फरमाइये की जिस काम की निय्यत की गई है वो मुकम्मल हो सके,,✍
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*🅿पोस्ट:-2⃣5⃣*
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📖12 रबि उल अव्वल 📚
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*<img draggable=”false” role=”img” class=”emoji” alt=”🇸🇦” src=”https://s0.wp.com/wp-content/mu-plugins/wpcom-smileys/twemoji/2/svg/1f1f8-1f1e6.svg”>मेरे मुस्तफ़ा ﷺ का मीलाद<img draggable=”false” role=”img” class=”emoji” alt=”🇸🇦” src=”https://s0.wp.com/wp-content/mu-plugins/wpcom-smileys/twemoji/2/svg/1f1f8-1f1e6.svg”>*
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☞शरीअत की रौशनी में☜
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💟 फ़ज़्ले ख़ुदा से साहिबे ज़ीशान हो गया
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*जो खुश नसीब हाफ़िज़े क़ुरआन हो गया*
💫 *उसको जला सके न दोज़ख़ की आग*
*महफूज़ जिसके सीने में क़ुरआन हो गया*
⚜📕 क़ुरआन की हिफाज़त की जिम्मेदारी अल्लाह ने क्यों ली
💎👉🏻पहला जवाब तो ये कि अल्लाह فَقَّالُ لِّمَا يُرِيْدُ वो को चाहे वो फैसला कर सकता है। उसका फैसला क़ुरआन के लिए ये किया कि उसकी हिफाज़त की जिम्मेदारी मेरे जिम्मे करम रखूंगा।
🌹👉🏻 दूसरा जवाब ये की हुज़ूर ﷺ अल्लाह के आखरी नबी और रसूल है। आपके बाद अब कोई नबी या रसूल आनेवाले नहीं। तो अब क़ुरआन की जिम्मेदारी लोगों को दे दी जाती तो लोग इस इम्तेहान में नाकाम हो कर दीन में खराबी पैदा कर देते और दीन बर्बाद हो जाता। इस वजह से अल्लाह ने अपने फ़ज़लों करम से हिफाज़त की जिम्मेदारी ली और दीन को खराबी से बचाया।
💫⚜अल्लाह फरमाता है बेशक! हमने नाज़िल किया ये क़ुरआन और बेशक! हम खुद उसकी हिफाज़त करेंगे।
💎👉🏻 मुसलमानों के सीने को खोल दिये गए, जब अल्लाह ने क़ुरआन के हिफाज़त की जिम्मेदारी ली तो उसने मुसलमानों के लिये क़ुरआन को याद करना आसान कर दिया।
🌹👉🏻 पहले की किताबो के हाफ़िज़ सिर्फ नबी थे, लेकिन क़ुरआन एक मोजिज़ा है कि कम वक़्त में और कम मेहनत में मुसलमानों के छोटे बच्चों को भी हिफ़्ज़ हो जाए। जिस कलाम के लिये सिर्फ नबी का सीना खोल दिया जाता था, क़ुरआन के लिए सभी मुसलमानों का सीना खोल दिया गया। मुसलमानों की बस्तियों के छोटे से छोटा गांव भी ऐसा न होगा जहां एक क़ुरआन का हाफ़िज़ न हो। आज पूरे जहां में लाखों की तादाद में हाफ़िज़ मौजूद है, जो एक ज़ेर ज़बर की भी गलती नहीं होने देते।..✍
📚 क़ुरआन एक जिंदा मोजिज़ा सफ़ह 20 📕
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💌दुआ फरमाइये की जिस काम की निय्यत की गई है वो मुकम्मल हो सके,,✍
🅿पोस्ट:-2⃣6⃣
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📖12 रबि उल अव्वल 📚
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*<img draggable=”false” role=”img” class=”emoji” alt=”🇸🇦” src=”https://s0.wp.com/wp-content/mu-plugins/wpcom-smileys/twemoji/2/svg/1f1f8-1f1e6.svg”>मेरे मुस्तफ़ा ﷺ का मीलाद<img draggable=”false” role=”img” class=”emoji” alt=”🇸🇦” src=”https://s0.wp.com/wp-content/mu-plugins/wpcom-smileys/twemoji/2/svg/1f1f8-1f1e6.svg”>*
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☞शरीअत की रौशनी में☜
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♦ वो वलिदैन हश्र के दिन होंगे ताजदार”
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🔸 *जिनका लाडला हाफ़िज़े क़ुरआन हो गया”*
♦ दस ऐसे आदमियों को वो ज़न्नत दिलाएगा”
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🔸 *दोज़ख़ में जिनके जाने का एलान हो गया”*
💎👉🏻 क़ुरआन की छपाई दुन्या के कोई भी किताब ऐसी नही है जिसको क़ुरआन के जितनी मिक़दार में छपाई हुई हो। दुन्या में सबसे ज़्यादा छपने वाली किताब क़ुरआन है। हर एक मुसलमान के घर मे एक क़ुरआन तो ज़रूर मिलेगा। चाहे उसे तिलावत न आती हो फिर भी वो बरकत की निय्यत से अपने घर मे रखता है। इस एतेबार से दुन्या में काम अज़ कम उतने क़ुरआन तो मौजूद है ही जितने मुसलमान के घर है।
💫⚜ छपाई में गलतियां होती है!कभी कभी ऐसा होता है कि प्रूफ रीडिंग सही तरह न किया जाए तो ज़ेर ज़बर की गलतियां होती है। लेकिन आज तक कोई भी क़ुरआन ऐसा नहीं जिसमे ज़बर ज़ेर की कोई गलती हुई हो और उसे सही न किया गया हो। हाफ़िज़ छपे हुए क़ुरआन की एक बार तिलावत कर के उसे सही कर लेते है और ये भी अल्लाह का फ़ज़लों करम है कि क़ुरआन की छपाई में कभी गलती होती ही नहीं, और अगर होती है तो उसे सही कर लिया जाता है। इसी वजह से क़ुरआन में कभी भी मिलावट नही हो सकती। आज तक कोई इसमें कामयाब न हुआ है और न होगा ان شاء الله. क्योंकि जो चीज़ अल्लाह की हिफाज़त में हो उसमे रद्दो बदल हो नही सकता।….✍
📚 क़ुरआन एक जिंदा मोजिज़ा सफ़ह 21 📕
🅿पोस्ट:-2⃣7⃣
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📖12 रबि उल अव्वल 📚
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*<img draggable=”false” role=”img” class=”emoji” alt=”🇸🇦” src=”https://s0.wp.com/wp-content/mu-plugins/wpcom-smileys/twemoji/2/svg/1f1f8-1f1e6.svg”>मेरे मुस्तफ़ा ﷺ का मीलाद<img draggable=”false” role=”img” class=”emoji” alt=”🇸🇦” src=”https://s0.wp.com/wp-content/mu-plugins/wpcom-smileys/twemoji/2/svg/1f1f8-1f1e6.svg”>*
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☞शरीअत की रौशनी में☜
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*♦हम ख़त्में नबुवत पर यूँ पेहरा लगाएंगे*
*🔸क़ानून ए रिसालत पर घर बार लुटाएंगे*
ताजदारे ख़त्में नबुवत ज़िन्दाबाद ज़िन्दाबाद
💎👉🏻 क़ुरआन की हिफाज़त हमारे नबी ﷺ का आखरी नबी होने पर दलील है। अहले सुन्नत वल जमाअत का अक़ीदा है और इसपर क़ुरआन की आयत दलील भी है कि हमारे प्यारे आक़ा ﷺ अल्लाह की तरफ से इस दुन्या को सच्ची राह बताने वाले आखरी नबी है। आपके बाद कोई नया नबी नहीं आएंगे और अगर कोई दावा करता है तो वो झूठा कहलाएगा। हमारे नबी के इस दुन्या से पर्दा फरमाने के बाद लोगों ने नबी होने का झूठा दावा किया, लेकिन वो अपनी इस चाल में नाकाम रहे।*
🌹👉🏻 जब हमारे नबी आखरी नबी है और कोई नबी क़यामत तक आने वाले नहीं तो अब अगर क़ुरआन की हिफाज़त न की जाए और उसमें रद्दो बदल हो जाए तो दीन बर्बाद हो जाए, और कोई नबी के न आने पर उसे सही कौन करे? इसी वजह से अल्लाह ने क़ुरआन के हिफाज़त की जिम्मेदारी अपने करम से खुद क़ुबूल फ़रमाई।”
💟👉🏻इससे बात वाज़ेह हो जाती है कि अल्लाह ने क़ुरआन के हिफाज़त का एलान कर के हमारे नबी के आखरी नबी होने की तरफ इशारा किया है।…✍
📚क़ुरआन एक जिंदा मोजिज़ा सफ़ह 21📕
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*🅿पोस्ट:-2⃣8⃣*
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📖12 रबि उल अव्वल 📚
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*<img draggable=”false” role=”img” class=”emoji” alt=”🇸🇦” src=”https://s0.wp.com/wp-content/mu-plugins/wpcom-smileys/twemoji/2/svg/1f1f8-1f1e6.svg”>मेरे मुस्तफ़ा ﷺ का मीलाद<img draggable=”false” role=”img” class=”emoji” alt=”🇸🇦” src=”https://s0.wp.com/wp-content/mu-plugins/wpcom-smileys/twemoji/2/svg/1f1f8-1f1e6.svg”>*
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☞शरीअत की रौशनी में☜
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💟⚜ *निसार तेरी चहल पहल पर*
*हज़ारों ईदें रबी उल अव्वल*
*सिवाये इब्लीस के जहान में*
*सभी तो खुशियां मना रहे है।*
💎👉🏻 मीलाद शरीफ और क़ुर्आन हुज़ूर सल्लललाहो तआला अलैहि वसल्लम की ज़ात व औसाफ व उनके हाल व अक़वाल के बयान को ही मिलादे पाक कहा जाता है,हुज़ूर सल्लललाहो तआला अलैहि वसल्लम की विलादत की खुशी मनाना ये सिर्फ इंसान का ही खास्सा नहीं है बल्कि तमाम खलक़त उनकी विलादत की खुशी मनाती है बल्कि खुद रब्बे क़ायनात मेरे मुस्तफा जाने रहमत सल्लललाहो तआला अलैहि वसल्लम का मीलाद पढ़ता है,यहां क़ुर्आन की सिर्फ चंद आयतें पेश करता हूं वरना तो पूरा क़ुर्आन ही मेरे आका सल्लललाहो तआला अलैहि वसल्लम की शान से भरा हुआ है मगर कुछ आंख के अंधे और अक़्ल के कोढ़ियों को ये आयतें नहीं दिखतीं और वो लोग इसको भी शिर्क और बिदअत कहते हैं माज़ अल्लाह,हवाला मुलाहज़ा फरमायें
🌹👉🏻 कंज़ुल ईमान वही है जिसने अपना रसूल हिदायत और सच्चे दीन के साथ भेजा
📚पारा 10,सूरह तौबा,आयत 33📕
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*🅿पोस्ट:-2⃣9⃣*
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📖12 रबि उल अव्वल 📚
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*<img draggable=”false” role=”img” class=”emoji” alt=”🇸🇦” src=”https://s0.wp.com/wp-content/mu-plugins/wpcom-smileys/twemoji/2/svg/1f1f8-1f1e6.svg”>मेरे मुस्तफ़ा ﷺ का मीलाद<img draggable=”false” role=”img” class=”emoji” alt=”🇸🇦” src=”https://s0.wp.com/wp-content/mu-plugins/wpcom-smileys/twemoji/2/svg/1f1f8-1f1e6.svg”>*
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☞शरीअत की रौशनी में☜
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💟👉🏻 निसार तेरी चहल पहल पर
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*हज़ारों ईदें रबी उल अव्वल*
*सिवाये इब्लीस के जहान में*
*सभी तो खुशियां मना रहे है।*
🌹👉🏻 मीलाद शरीफ और क़ुर्आन
💎👉🏻 कंज़ुल ईमान बेशक तुम्हारे पास तशरीफ लायें तुममे से वो रसूल जिन पर तुम्हारा मशक़्क़त में पड़ना गिरां है तुम्हारी भलाई के निहायत चाहने वाले मुसलमानों पर कमाल मेहरबान
📚पारा 11,सूरह तौबा,आयत 128📕
⚜💫 पहली आयत में मौला तआला उन्हें भेजने का ज़िक्र कर रहा है और भेजा उसे जाता है जो पहले से मौजूद हो मतलब साफ है कि महबूब सल्लललाहो तआला अलैहि वसल्लम पहले से ही आसमान पर या अर्शे आज़म पर या जहां भी रब ने उन्हें रखा वो वहां मौजूद थे,और दूसरी आयत में उनके तशरीफ लाने का और उनके औसाफ का भी बयान फरमा रहा है,क्या ये उसके महबूब सल्लललाहो तआला अलैहि वसल्लम का मीलाद नहीं है,क्या अब वहाबी खुदा पर भी हुक्म लगायेगा….✍🏻
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💌दुआ फरमाइये की जिस काम की निय्यत की गई है वो मुकम्मल हो सके,,✍
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*🅿पोस्ट:-3⃣🅾*
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📖12 रबि उल अव्वल 📚
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*<img draggable=”false” role=”img” class=”emoji” alt=”🇸🇦” src=”https://s0.wp.com/wp-content/mu-plugins/wpcom-smileys/twemoji/2/svg/1f1f8-1f1e6.svg”>मेरे मुस्तफ़ा ﷺ का मीलाद<img draggable=”false” role=”img” class=”emoji” alt=”🇸🇦” src=”https://s0.wp.com/wp-content/mu-plugins/wpcom-smileys/twemoji/2/svg/1f1f8-1f1e6.svg”>*
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☞शरीअत की रौशनी में☜
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*🌹जब तलक़ ये चाँद तारे झिल मिलाते जाएंगे*
*तब तलक़ जश्ने विलावत हम मनाते जाएंगे*
💫⚜ सहाबा केराम रिदवानुल्लाहि अन्हुम का मीलाद ए महफ़िल मुन्अकिद करना
🌹✍🏻 इमाम बुखारी के उस्ताद इमाम अह़मद बिन हम्बल लिखते हैं : सय्यिदुना अमीर मुआ़विया रदियल्लाहु अ़न्हु फ़रमाते हैं : एक रोज़ रसूल सल्लल्लाहु अ़लैहि व सल्लम का अपने असहाब के ह़लके से गुज़र हुआ , आप सल्लल्लाहु अ़लैहि व सल्लम ने फरमायाः क्यों बैठे हो ? उन्होंने कहाः हम अल्लाह तआ़ला का जिक्र करने और उसने हमें जो इस्लाम की हिदायत अ़ता फरमाई उस पर हम्द व सना ( तारीफ ) बयान करने और उसने आप सल्लल्लाहु अ़लैहि व सल्लम को भेज कर हम पर जो एहसान किया है उसका शुक्र अदा करने के लिये बैठे थे । आपने फ़रमायाः अल्लाह की क़सम ! क्या तुम इसी के लिये बैठे थे ? सहाबा ने अर्ज़ कियाः अल्लाह की क़सम ! हम सब इसी के लिये बैठे थे । इस पर आप सल्लल्लाहु अ़लैहि व सल्लम ने फ़रमायाः अभी मेरे पास जिबरईल अ़लैहिस्सलाम आए थे , उन्होंने कहा कि अल्लाह तुम्हारी वजह से फ़रिश्तों पर फख्र कर रहा हैं।
🇨🇨 सुनने नसई , हृदीस : 5443 , अल – मोजमुल कबीर : तिबरानी , हदीसः 16057 📕
💎👉🏻 इस हदीस से साबित हुआ कि सहाबा हुजूर सल्लल्लाहु अ़लैहि व सल्लम की मीलाद ( पैदाइश ) पर शुक्र अदा करते थे । यहाँ ये बात भी काबिले ज़िक्र है कि जो लोग हुजूरे अकदस सल्लल्लाहु अ़लैहि व सल्लम की मीलाद की महफ़िल सजाते हैं और उसमें शरीक होते हैं , अल्लाह ऐसे बन्दों पर फ़रिश्तों की जमाअ़त में फख्र फ़रमाता है और हाँ ! हुजूरे अक़दस सल्लल्लाहु अ़लैहि व सल्लम का ज़िक्र अल्लाह ही का जिक्र है इस पर कुर्आन और हुजूर की हदीसें गवाह हैं।…✍
📚 ईद मिलाद-उन-नबी सवाल वह जवाब की रोशनी में , सफह 10-11 📗
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💌दुआ फरमाइये की जिस काम की निय्यत की गई है वो मुकम्मल हो सके,,✍
*🅿पोस्ट:-3⃣1⃣* ••──────────────────────➻ *📖12 रबि उल अव्वल 📚* ••──────────────────────➻ *🇸🇦मेरे मुस्तफ़ा ﷺ का मीलाद🇸🇦* *~~~~~~~✮~~~~~~~✮~~~~~~~* *☞शरीअत की रौशनी में☜* *~~~~~~~✮~~~~~~~✮~~~~~~~* *”जब तलक़ ये चाँद तारे झिल मिलाते जाएंगे”* *”तब तलक़ जश्ने विलावत हम मनाते जाएंगे”*🇸🇦👉🏻 *मिलाद ए मुस्तफ़ा ﷺ* हज़रत अबू क़तादा रदियल्लाहु अन्हु से रिवायत है कि रसूले अकरम सल्लल्लाहु अ़लैहि व सल्लम से पीर ( सोमवार ) के दिन रोज़ा रखने के बारे में पूछा गया तो आप सल्लल्लाहु अ़लैहि व सल्लम ने इरशाद फरमायाः ” इसी रोज़ मेरी विलादत हुई , इसी रोज़ मेरी बिअ़स़त हुई और इसी रोज़ मेरे ऊपर कुर्आन नाज़िल किया गया*💎👉🏻सहीह मुस्लिम , हदीसः 2807 , सुनने अबू दाऊद , हदीसः 2428 , मुस्नद इमाम अहमद बिन हम्बल , हदीस 23215 📕*📚👉🏻 इस ह़दीस से साबित हुआ कि रसूलुल्लाह सल्लल्लाहु अ़लैहि व सल्लम ने हर पीर के दिन रोज़ा रख कर अपनी मीलाद का खुद एहतेमाम किया है । लिहाज़ा साबित हुआ कि दिन मुकर्रर करके यादगार मनाना सुन्नत है । अल – हम्दु लिल्लाह…✍*❇ईद मिलाद-उन-नबी सवाल वह जवाब की रोशनी में , सफह 9 📘*•────────────────────•*💌दुआ फरमाइये की जिस काम की निय्यत की गई है वो मुकम्मल हो सके,,✍*
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*🅿पोस्ट:-3⃣2⃣*
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📖12 रबि उल अव्वल 📚
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*<img draggable=”false” role=”img” class=”emoji” alt=”🇸🇦” src=”https://s0.wp.com/wp-content/mu-plugins/wpcom-smileys/twemoji/2/svg/1f1f8-1f1e6.svg”>मेरे मुस्तफ़ा ﷺ का मीलाद<img draggable=”false” role=”img” class=”emoji” alt=”🇸🇦” src=”https://s0.wp.com/wp-content/mu-plugins/wpcom-smileys/twemoji/2/svg/1f1f8-1f1e6.svg”>*
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☞शरीअत की रौशनी में☜
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*♦तेरे हबीब का प्यारा चमन किया बर्बाद*
*♦ इलाही निकले ये नजदी बाला मदीने से*
❇✨ जिस मुकद्दस मकान में हुजूर अक्दस ﷺ की विलादत हुई, तारीखे इस्लाम में उस मुकाम का नाम (“मिलादुन्नबी )” (नबी की पैदाइश की जगह) है,यह बहुत ही मुतबकि मक़ाम है। सलातीने इस्लाम ने इस मुबारक यादगार पर बहुत ही शानदार इमारत बना दी थी, जहां अहले हरमैने शरीफैन और तमाम दुन्या से आने वाले मुसलमान दिन रात महफिले मीलाद शरीफ़ मुन्अकिद करते और सलातो सलाम पढ़ते रहते थे। चुनान्चे हज़रते शाह वलियुल्लाह साहिब मुहद्दिस देहलवी ने अपनी किताब “फुयूजुल हुरमैन” में तहरीर फ़रमाया है कि मैं एक मरतबा उस महफ़िले मीलाद में हाजिर हुवा, जो मक्कए मुकर्रमा में बारहवीं रबीउल अव्वल को “मिलादुन्नबी में मुन्अकिद हुई थी जिस वक्त विलादत का ज़िक्र पढा जा रहा था तो मैं ने देखा कि यक बारगी उस मजलिस से कुछ अन्वार बुलन्द हुए, मैंने उन अन्वार पर गौर किया तो मालूम हुवा कि वोह रहमते इलाही और उन फ़िरिश्तों के अन्वार थे जो ऐसी महफ़िलों में हाज़िर हुवा करते हैं।
💎👉🏻 जब हिजाज़ पर नज्दी हुकूमत का तसल्लुत हुवा तो मकाबिरे जन्नतुल मला व जन्नतुल बको के गुम्बदों के साथ साथ नजदी हुकूमत ने इस मुकद्दस यादगार को भी तोड़ फोड़ कर मिस्मार कर दिया। और बरसों येह मुबारक मक़ाम वीरान पड़ा रहा, मगर मैं जब जून सि. 1959 ई. में इस मर्कने खैरो बरकत की जियारत के लिये हाज़िर हुवा तो मैं ने उस जगह एक छेटी सी बिल्डिग देखी जो मुकम्फल थी।बाज़ अरबों ने बताया कि अब इस बिल्डिंग में एक मुख्तसर सी
लाएब्रेरी और एक छोटा सा मक्तब है, अब इस जगह न मीलाद शरीफ़ हो सकता है न सलातो सलाम पढ़ने की इजाजत है । मैं ने अपने साथियों के साथ बिल्डिग से कुछ दूर खड़े हो कर चुपके चुपके सलातो सलाम पढ़ा, और मुझ पर ऐसी रिक्कत तारी हुई कि मैं कुछ देर तक
रोता रहा।
⚠ नोट ये पोस्ट शेखुल-हदीस हज़रत अल्लामा अब्दुल मुस्तफा आजमी رحمۃ اللہ تعالٰی علیہ की किताब सीरते मुस्तफा ﷺ से है!…✍
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*📚सीरते मुस्तफा ﷺ सफ़ह 7 📗*
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💌दुआ फरमाइये की जिस काम की निय्यत की गई है वो मुकम्मल हो सके,,✍
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*🅿पोस्ट:3⃣3⃣*
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📖12 रबि उल अव्वल 📚
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*<img draggable=”false” role=”img” class=”emoji” alt=”🇸🇦” src=”https://s0.wp.com/wp-content/mu-plugins/wpcom-smileys/twemoji/2/svg/1f1f8-1f1e6.svg”>मेरे मुस्तफ़ा ﷺ का मीलाद<img draggable=”false” role=”img” class=”emoji” alt=”🇸🇦” src=”https://s0.wp.com/wp-content/mu-plugins/wpcom-smileys/twemoji/2/svg/1f1f8-1f1e6.svg”>*
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☞शरीअत की रौशनी में☜
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♦तेरे हबीब का प्यारा चमन किया बर्बाद
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*♦इलाही निकले ये नजदी बाला मदीने से*
💎👉🏻 हज़रते हलीमा सादिया ने अपने शोहर ‘हारिस बिन अब्दुल उज्ज़ा” से कहा कि यह तो अच्छा नहीं मालूम होता कि मैं खाली हाथ वापस जाऊं इस से तो बेहतर यही है कि मैं इस यतीम ही को ले चलू, शोहर ने इस को मंजूर कर लिया और हज़रते हुलीमा उस दुरै यतीम को ले कर आई जिस से सिर्फ हुज़रते हलीमा और हज़रते आमिना ही के घर में नहीं बल्कि काएनाते आलम के मशरिक व मग़रिब में उजाला होने वाला था । येह खुदा वन्दे ख्युदूस का फ़ले अज़ीम ही था कि हुज़रते हुलीमा की सोई हुई किस्मत बेदार हो गई और सरवरे काएनात इन की आगोश में आ गए। अपने खेमे में ला कर जब दूध पिलाने बैठीं तो बाराने रहमत की तरह बरकाते नुबुव्वत का जुहूर शुरू हो गया, खुदा की शान देखिये कि हज़रते हलीमा के मुबारक पिस्तान में इस कदर दूध उतरा कि रहमते आलम ने भी और इन के रजाई भाई ने भी खूब शिकम सैर हो कर दूध पिया, और दोनों आराम से सो गए, उधर उंटनी को देखा तो उस के थन दूध से भर गए थे । हज़रते हलीमा के शोहर ने उस का दूध दोहा और मियां बीवी दोनों ने खूब सैर हो कर दूध पिया और दोनों शिकम सैर हो कर रात भर सुख और चैन की नींद सोए।
💟👉🏻हुज़रते हलीमा का शोहर हुजुर रहमते आलम की येह बरकतें देख कर हैरान रह गया, और कहने लगा कि हलीमा तुम बड़ा ही मुबारक बच्चा लाई हो । हज़रते हलीमा ने कहा कि वाकेई मुझे भी येही उम्मीद है कि येह निहायत के ही बा बरकत बच्चा है और खुदा की रहमत बन कर हम को मिला है और मुझे येही तवक्कोअ है कि अब हमारा घर खैरो बरकत से भर जाएगा।
⚠ नोट ये पोस्ट शेखुल-हदीस हज़रत अल्लामा अब्दुल मुस्तफा आजमी رحمۃ اللہ تعالٰی علیہ की किताब सीरते मुस्तफा ﷺ से है!…✍
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💌दुआ फरमाइये की जिस काम की निय्यत की गई है वो मुकम्मल हो सके,,✍
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*🅿पोस्ट:-3⃣4⃣*
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📖12 रबि उल अव्वल 📚
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*<img draggable=”false” role=”img” class=”emoji” alt=”🇸🇦” src=”https://s0.wp.com/wp-content/mu-plugins/wpcom-smileys/twemoji/2/svg/1f1f8-1f1e6.svg”>मेरे मुस्तफ़ा ﷺ का मीलाद<img draggable=”false” role=”img” class=”emoji” alt=”🇸🇦” src=”https://s0.wp.com/wp-content/mu-plugins/wpcom-smileys/twemoji/2/svg/1f1f8-1f1e6.svg”>*
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☞शरीअत की रौशनी में☜
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♦तेरे हबीब का प्यारा चमन किया बर्बाद”
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*♦इलाही निकले ये नजदी बाला मदीने से”*
🌹👉🏻हज़रते हलीमा फ़रमाती हैं कि इस के बाद हम रहुमते आलमﷺ को अपनी गोद में ले कर मक्का मुकर्रमा से अपने गाऊ की तरफ रवाना हुए तो मेरा वो ही खच्चर अब इस कदर तेज़ चलने लगा कि किसी की सुवारी उस की गर्द को नहीं पहुंचती थीं, काफिले की औरतें हैरान हो कर मुझ से कहने लग कि ऐ हलीमा क्या येह वोही खच्चर है जिस पर तुम सवार हो कर आई थीं या कोई दूसरा तेज रफ्तार खच्चर तुम ने खरीद लिया है अल गरज हम अपने घर पहुंचे वहां सख्त कृहत् पड़ा हुवा था । तमाम जानवरों के धन में दूध खुश्क हो चुके थे, लेकिन मेरे घर में कदम रखते ही मेरी बकरियों के थन दूध से भर गए, अब रोजाना मेरी बकरियां जब चरागाह से घर वापस आतीं तो उन के थन दूध से भरे होते हालां कि पूरी बस्ती में और किसी को अपने जानवरों का एक कतरा दूध नहीं मिलता था मेरे कबीले वालों ने अपने चरवाहों से कहा कि तुम लोग भी अपने जानवरों को उसी जगह चराओ जहां हलीमा के जानवर चरते हैं। चुनान्चे सब लोग उसी चरागाह में अपने मवेशी चराने लगे जहां मेरी बकरियां चरती थीं, मगर यहां तो चरागाह और जंगल का कोई अमल दखल ही नहीं था येह तो रहूमते आलम ﷺ के बरकाते नुबुव्वत का फ़ैज़ था जिस के मैं और मेरे शोहर के सिवा मेरी कौम का कोई शख्स नहीं समझ सकता था।
💎👉🏻अल गरज इस तरह हर दम हर कदम पर हम बराबर आप की बरकतों मुशाहिदा करते रहे यहां तक कि दो है 3 साल पूरे हो गए और मैंने आप क दूध छुड़ा दिया। आप की तन्दुरुस्ती और नशवो नुमा क हाल दूसरे बच्चों से इतना अच्छा था कि दो साल में आप ﷺ खुब अच्छे बड़े मालूम होने लगे,अब हम दस्तूर के मुताबिक रहमते आलमﷺ को उन की वालिदा के पास लाए और उन्हों ने हस्बे तौफीक हम को इन्आमो इक्राम से नवाज़ा!…✍
⚠ नोट ये पोस्ट शेखुल-हदीस हज़रत अल्लामा अब्दुल मुस्तफा आजमी رحمۃ اللہ تعالٰی علیہ की किताब सीरते मुस्तफा ﷺ से है!…✍
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💌दुआ फरमाइये की जिस काम की निय्यत की गई है वो मुकम्मल हो सके,,✍
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*🅿पोस्ट:-3⃣5⃣*
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📖12 रबि उल अव्वल 📚
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*<img draggable=”false” role=”img” class=”emoji” alt=”🇸🇦” src=”https://s0.wp.com/wp-content/mu-plugins/wpcom-smileys/twemoji/2/svg/1f1f8-1f1e6.svg”>मेरे मुस्तफ़ा ﷺ का मीलाद<img draggable=”false” role=”img” class=”emoji” alt=”🇸🇦” src=”https://s0.wp.com/wp-content/mu-plugins/wpcom-smileys/twemoji/2/svg/1f1f8-1f1e6.svg”>*
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☞शरीअत की रौशनी में☜
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*♦वो बशर लाइक-ए-एहतिराम नहीं*
*🔸जिसके लब पर मेरे नबीﷺ का नाम नहीं*
*♦जिसका खाते हैं उसका गाते हैं!*
*🔸हम सुन्नी हैं नमक हराम नहीं*
💎👉🏻 हज़रते अब्दुल्लाह ये हमारे आक़ा के वालीदे माजिद है। ये अब्दुल मुत्तलिब के तमाम बेटो में सबसे ज्यादा बाप के लाडले थे। चुकी इन की पेशानी में नुरे मुहम्मदी अपनी पूरी शानो शौकत के साथ जल्वा गर था इसलिये हुस्नो खूबी के पैकर, और जमाल सूरत व कमाल सीरत के आइना दार और ईफ्कत व पारसाई में यक्ताए रोज़कार थे।
🌹👉🏻 एक दिन आप शिकार के लिए जंगल में तशरीफ़ ले गए थे मुल्क शाम के यहूदी चन्द अलामतो से पहचान गए थे के नबिय्ये आखिरुज़्ज़मा के वालिद माजिद यही है। चुनांचे उन यहूदियो ने आप को बारह कत्ल कर डालने की कोशिश की। इस मर्तबा भी यहूदियो की एक बहुत बड़ी जमात मुसल्लह हो कर इस निय्यत से जंगल में गई की आप को तन्हाई में धोके से कत्ल कर दिया जाए।
💎👉🏻मगर अल्लाह ने” इस मर्तबा भी अपने फज़लो करम से बचा लिया। आलमे गैब से चन्द ऐसे सुवार ना गहा नमूदार हुए जो इस दुनिया से कोई मूशा-बहत ही नहीं रखते थे। इन सुवारोने आकर यहूदियो को मार भगाया और आप को ब हिफाज़त उनके मकान तक पहुचा दिया।
💦💐 वहब बिन मनाफ भी उस जंगल में थे और उन्होंने अपनी आँखोसे ये सबकुछ देखा। इसलिए उनको हज़रते अब्दुल्लाह से बे इंतिहा मोहब्बत व अकीदत पैदा हो गई।
🌹👉🏻औऱ घर आ कर ये अज़्म कर लिया की मैं अपनी नुरे नज़र हज़रते आमिना की शादी हज़रते अब्दुल्लाह ही से करूँगा।..✍
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💌दुआ फरमाइये की जिस काम की निय्यत की गई है वो मुकम्मल हो सके,,✍
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*🅿पोस्ट:3⃣6⃣*
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📖12 रबि उल अव्वल 📚
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*<img draggable=”false” role=”img” class=”emoji” alt=”🇸🇦” src=”https://s0.wp.com/wp-content/mu-plugins/wpcom-smileys/twemoji/2/svg/1f1f8-1f1e6.svg”>मेरे मुस्तफ़ा ﷺ का मीलाद<img draggable=”false” role=”img” class=”emoji” alt=”🇸🇦” src=”https://s0.wp.com/wp-content/mu-plugins/wpcom-smileys/twemoji/2/svg/1f1f8-1f1e6.svg”>*
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☞शरीअत की रौशनी में☜
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*♦जहां बानी अता कर दें भरी ज़न्नत हिबा कर दें*
🔹नबी मुख़्तारे कुल है जिसको जो चाहे अता कर दें
🌹👉🏻आप ﷺ के मोअज़्जा आप ﷺ का सब से बड़ा मोअज़्जा कुरान शरीफ है। इसके अलावा बहुत सारे मोअज़्जात हैं उन में से कुछ ये है।
💎👉🏻आप ﷺ के जिस्म-ए-अक़दस पे कभी मच्छर और मक्खी नहीं बैठ’ती थी।
🌷💫आप ﷺ जैसे अपने आगे की चीज़ों को देखते थे वैसे ही अपने पीछे की चीज़ों को भी देखते थे।
❇👉🏻आप ﷺ के पसीने से खुशबु आती थी।
💟✨आप ﷺ अगर खाड़े पानी (साल्ट वाटर) में अपना लुआब-ए-दहन (स्पिट) दाल देते थे तो वह मीठा हो जाता था।
💎आप ﷺ जानवरों और पथ्थरों की आवाज़ को भी सुनते और समझते थे
🌹✨आप ﷺ जिस बच्चे के सर पर हाथ डाल देते थे वह दिन भर खुशबु से महकता रहता था।
✨♦आप ﷺ दूर-व-नज़दीक की आवाज़ें को सुनते थे और लाखों कोसों दूर की चीज़ों को भी देख लेते थे।
💟🌹 आप ﷺ ने अपनी ऊँगली के इशारे से चाँद को दो टुकड़े कर दिया।
💎👉🏻 आप ﷺ ने डूबे हुए सूरज को लौटा कर असर के वक़्त पर कर दिया।
💟✨ आप ﷺ ने कम खाने में बहुत ज़ियादह लोगो को खिलाया।
🌹👉🏻 आप ﷺ ने लकड़ी को लोहे का तलवार बना दिया।
💎👉🏻आप ﷺ रात के थोड़े से वक़्त में सातों आसमान के ऊपर गए और फिर चले आए।..✍🏻
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💌दुआ फरमाइये की जिस काम की निय्यत की गई है वो मुकम्मल हो सके,,✍
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*🅿पोस्ट:3⃣7⃣*
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📖12 रबि उल अव्वल 📚
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*<img draggable=”false” role=”img” class=”emoji” alt=”🇸🇦” src=”https://s0.wp.com/wp-content/mu-plugins/wpcom-smileys/twemoji/2/svg/1f1f8-1f1e6.svg”>मेरे मुस्तफ़ा ﷺ का मीलाद<img draggable=”false” role=”img” class=”emoji” alt=”🇸🇦” src=”https://s0.wp.com/wp-content/mu-plugins/wpcom-smileys/twemoji/2/svg/1f1f8-1f1e6.svg”>*
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☞शरीअत की रौशनी में☜
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🔹जहां बानी अता कर दें भरी ज़न्नत हिबा कर दें
♦नबी मुख़्तारे कुल है जिसको जो चाहे अता कर दें
🌹👉🏻आप ﷺ की सखावत हज़रत-ए- जाबिर रादिअल्लाहु तआला अन्हु बयान करते हैं कि कभी ऐसा नहीं हुआ की आप सल्लल्लाहो तआला अलैहि वसल्लम से किसी ने कोई चीज़ माँगा हो और आपने “नहीं” फ़रमाया हो।
📘सही मुस्लिम, हदीस नंबर 2311📕
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*🔹वाह किया ज़ूदों -करम है शाहे बतहा तेरा*
*♦नही ! सुनता ही नहीं माँगने वाला तेरा*
💎👉🏻एक मर्तबा हुज़ुर ﷺ के पास 90 हज़ार चांदी के सिक्के आए। तो आप ﷺ ने फ़रमाया की इन सब को चटाई पर रख दो फिर उसे बाँटने के लिए हुज़ुर खुद खड़े हुए,ज़ो शख्स भी आया उसे आप ने अता फ़रमाया यहाँ तक की वह सारे सिक्के ख़त्म हो गए। उसके बाद एक माँगने वाला आया। तो आप ﷺ ने फ़रमाया की मेरे पास तो अब कोई चीज़ नहीं है। तुम ऐसा करो की फलां दूकानदार के पास जा कर अपनी ज़रूरत की चीज़ें ले लो। दुकान-दार को मैं क़ीमत अदा कर दूंगा। इस पर हज़रत-ए-उमर रादिअल्लाहु तआला अन्हो ने कहा की या रसूलुल्लाह ﷺ अल्लाह तआला ने आप पर ये ज़रूरी नहीं किया है की आप के पास नहीं हो तब भी आप दें। आप ﷺ को ये बात पसंद नहीं आई जिस का असर आप के चेहरे से भी ज़ाहिर हुआ।एक अंसारी सहाबी वहां हाज़िर थे उन्होंने अर्ज़ किया ए अल्लाह के प्यारे रसूल! आप खर्च करते रहिये आप का रब जो सारी दुनिया का मालिक है,अप को देने में कभी कमी नहीं फ़रमाएगा। हुजुर ﷺ ये बात सुन कर मुस्कुराने लगे और आप ने फ़रमाया की हाँ मुझे इसी का हुक्म दिया गया है की मैं लोगो को नवाज़ता रहूं।
💫🌹 हज़रत-ए-मुआवविज़ बिन अफरा बयांन करते हैं की मैं एक बर्तन में ताज़ा खजूर भर कर हुजूर के पास ले गया तो आप ﷺ ने मुझे मुट्ठी भर कर सोना और चांदी अता फ़रमाया।
🌷💟 हज़रत-ए-अनस रादिअल्लाहु तआला अन्हो बयांन करते हैं की हुज़ुर ﷺ कल के लिए कुछ भी बचा कर नहीं रखते थे।..✍
📚तलख़ीस : जियाउन नबी ज़िल्द 5 सफ़ह 522 📕
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💌दुआ फरमाइये की जिस काम की निय्यत की गई है वो मुकम्मल हो सके,,✍
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*🅿पोस्ट:3⃣8⃣*
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📖12 रबि उल अव्वल 📚
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*<img draggable=”false” role=”img” class=”emoji” alt=”🇸🇦” src=”https://s0.wp.com/wp-content/mu-plugins/wpcom-smileys/twemoji/2/svg/1f1f8-1f1e6.svg”>मेरे मुस्तफ़ा ﷺ का मीलाद<img draggable=”false” role=”img” class=”emoji” alt=”🇸🇦” src=”https://s0.wp.com/wp-content/mu-plugins/wpcom-smileys/twemoji/2/svg/1f1f8-1f1e6.svg”>*
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☞शरीअत की रौशनी में☜
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♦जहां बानी अता कर दें भरी ज़न्नत हिबा कर दें
🔹नबी मुख़्तारे कुल है जिसको जो चाहे अता कर दें
🌹👉🏻आप ﷺ की अद्ल व इंसाफ़ आप सल्लल्लाहु तआला अलैहि वसल्लम हर किसी के साथ अद्ल व इन्साफ फ़रमाते थे चाहे वह दोस्त हो या दुश्मन अपना हो या पराया।
💫🌷 एक बार आप सल्लल्लाहु तआला अलैहि वसल्लम के कबीला बनू हाशिम की एक औरत ने चोरी कर ली तो बड़े बड़े लोगों ने उसकी सजा माफ़ करने की शिफारिश की और कहा की ये औरत हमारे क़ाबिले की है अगर इस का हाथ काट दिया जाएगा तो इस से हमारे क़ाबिले की पूरे अरब में बड़ी बे-इज़्ज़ती और बद-नामी होगी उस वक़्त हुज़ुर सल्लल्लाहु तआला अलैहि वसल्लम गुस्से में आ गए और इर्शाद फ़रमाया के अगर मेरी सब से चाहिती बेटी फ़ातिमा भी चोरी करेगी तो मैं उसका भी हाथ काट लूंगा।
📚सहीह बुख़ारी हदीस हदीस नंबर 6788📕
⚠नोट आज जब कोई मामला हो जाता है तो आम तौर से लोग अपने रिश्तेदार दोस्त और जान पहचान के लोगों की तरफ’दारी करते हैं और उसकी हिमायत (फवौर) में बोलते हैं अगरचे वह गलती पर होता है ये हुजूर सल्लल्लाहु तआला अलैहि वसल्लम का तरीक़ा नहीं है। एक मुसलमान को चाहिए के वह हर हाल में अद्ल-व-इन्साफ करे और सिर्फ हक़ का साथ दे क्योंकि हुजूर सल्लल्लाहु तआला अलैहि वसल्लम का यही तरीक़ा है और इसी को अपनाने में हमारी निजात है।..✍🏻
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*💌दुआ फरमाइये की जिस काम की निय्यत की गई है वो मुकम्मल हो सके,,✍
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*🅿पोस्ट:3⃣9⃣*
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📖12 रबि उल अव्वल 📚
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*<img draggable=”false” role=”img” class=”emoji” alt=”🇸🇦” src=”https://s0.wp.com/wp-content/mu-plugins/wpcom-smileys/twemoji/2/svg/1f1f8-1f1e6.svg”>मेरे मुस्तफ़ा ﷺ का मीलाद<img draggable=”false” role=”img” class=”emoji” alt=”🇸🇦” src=”https://s0.wp.com/wp-content/mu-plugins/wpcom-smileys/twemoji/2/svg/1f1f8-1f1e6.svg”>*
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☞शरीअत की रौशनी में☜
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🔹मुश्किल थे रास्ते आसान हो गए
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*♦दुश्मन भी देख कर हैरान हो गए*
*🔹जब रखा मेरे नबी ﷺ ने दुनिया मे क़दम*
*♦पत्थर भी कलमा पढ़कर मुसलमान हो गए*
🌹👉🏻आप ﷺ की अमन पसंदी आप ﷺ अपनी पूरी ज़िन्दगी अमन और इंसानियत का माहौल बनाने के लिए लोगो के अंदर से उन तमाम बुराइयों को दूर फ़रमाया जिस से किसी भी तरह अमन और इंसानियत को नुक़सान पहुँचता है। जैसे झूट, धोका, घमंड, वादा खिलाफी, ज़ुल्म , लडाई झगड़ा और खून खराबा वगैरह। और हर उस चीज़ को अपने किरदार और बातों से बढ़ावा दिया जिस से अमन और इंसानीयत का परचार होता है। जैसे सारे लोगो पर रहम करना। किसी के लिए बुरा नहीं सोचना, ज़ात पात और रंग-व-नस्ल की बुन्याद पर कोई फ़र्क़ नहीं करना, सब के साथ अच्छे अख़लाक़ से पेश आना, अपनी ज़ात से दुसरों को फ़ायदा पहुचाना, ख़ास तौर से कमज़ोर और गरीब लोगो की मदद करना और उन की इज़्ज़त की हिफ़ाज़त करना वगैरह। और आप ﷺ अपनी बारगाह में उन्ही लोगो को बड़ा रुतबा देते थे जो लोगो को ज़ियादह से ज़ियादह फायदा पहुँचाने में आगे आगे रहते थे।
🌷💚जैसा की हज़रत इमाम हसन रादिअल्लाहु अन्हो बयां करते हैं की “आप ﷺ की ख़िदमत में हाज़िर होने वाले लोग मख्लूक़ के बेहतरीन लोग होते थे और आप ﷺ के नज़दीक अफ़ज़ल वही होता था जिसकी खैर-ख़्वाही आम हो या’नी जो हर शख्स की भलाई चाहता हो और आप के नज़दीक बड़े रुतबे वाला वही शख्स होता था जो लोगों की मदद में ज़ियादह हिस्सा लेता था।
📚 शामिल-ए-तिर्मिज़ी हदीस 314📕
⚠ नोट आज भी हुज़ुर ﷺ की नज़र में अफ़ज़ल और बड़े रुत्बे वाला वही शख्स होगा जो हर शख्स की भलाई चाहता हो इसलिए हमें भी नबी ﷺ की सीरत के मुताल्लिक़ ज़िन्दगी गुज़ारनी चाहिए।..✍🏻
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💌दुआ फरमाइये की जिस काम की निय्यत की गई है वो मुकम्मल हो सके,,✍
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*🅿पोस्ट:4⃣🅾*
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📖12 रबि उल अव्वल 📚
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*<img draggable=”false” role=”img” class=”emoji” alt=”🇸🇦” src=”https://s0.wp.com/wp-content/mu-plugins/wpcom-smileys/twemoji/2/svg/1f1f8-1f1e6.svg”>मेरे मुस्तफ़ा ﷺ का मीलाद<img draggable=”false” role=”img” class=”emoji” alt=”🇸🇦” src=”https://s0.wp.com/wp-content/mu-plugins/wpcom-smileys/twemoji/2/svg/1f1f8-1f1e6.svg”>*
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☞शरीअत की रौशनी में☜
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*🔹मुश्किल थे रास्ते आसान हो गए*
*दुश्मन भी देख कर हैरान हो गए*
*♦जब रखा मेरे नबी ﷺ ने दुनिया मे क़दम*
पत्थर भी कलमा पढ़कर मुसलमान हो गए
💟💫 ईद मिलाद उन नबी ﷺ मानना शिर्क कैसे हो सकता है
🌹👉🏻 सबसे पहले तो आप लोगों को ये बतादें की मिलाद का, मतलब पैदाइश होती है।।
💎💚और सभी लोग जानते हैं की जो पैदा होता है वो खुदा नहीं होता, और जो खुदा होता है वो पैदा नहीं होता
💫❇ इसिलिये हम अपने प्यारे आक़ा अलैहिस सलाम की पैदाइश्, यानि उनकी मिलाद मानते है, तो आज जो कुछ जाहिल लोग मिलाद मानाने को भी मअज़ल्लाह शिर्क कहते है।
🌹🇸🇦वो खुद ही मुश्रिक हो गए, क्यूँकि शिर्क का मतलब होता है अल्लाहﷻ की ज़ात या सिफ़त में शारिक, या बराबर समझण।
🌹👉🏻यानि ये वहाबी लोग पैदाइश के लफ्ज़ को अल्लाह ﷻ की सिफ़त समझते हैं यानि अल्लाह ﷻ को पैदा होने वाला मानते हैं इसिलिये तो शिर्क का फतवा दे रहे है।
🌹☝🏻 फिर जो अल्लाह ﷻ के लिए पैदा होना मानता हो वो यक़ीनन मुश्रिक हो गया, हम इन्शाअल्लाहﷻ मिलादुन नबी ﷺ के तअल्लुक़ से आप लोगों तक कुछ हदीसें और क़ुरान की आयतें पेश कर गै.✍
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💌दुआ फरमाइये की जिस काम की निय्यत की गई है वो मुकम्मल हो सके,,✍
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*🅿पोस्ट:-4⃣1⃣*
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📖12 रबि उल अव्वल 📚
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*<img draggable=”false” role=”img” class=”emoji” alt=”🇸🇦” src=”https://s0.wp.com/wp-content/mu-plugins/wpcom-smileys/twemoji/2/svg/1f1f8-1f1e6.svg”>मेरे मुस्तफ़ा ﷺ का मीलाद<img draggable=”false” role=”img” class=”emoji” alt=”🇸🇦” src=”https://s0.wp.com/wp-content/mu-plugins/wpcom-smileys/twemoji/2/svg/1f1f8-1f1e6.svg”>*
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☞शरीअत की रौशनी में☜
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*♦मुश्किल थे रास्ते आसान हो गए”*
*दुश्मन भी देख कर हैरान हो गए”*
*♦जब रखा मेरे नबी ﷺ ने दुनिया मे क़दम”*
*पत्थर भी कलमा पढ़कर मुसलमान हो गए*
*◥ अल कुर’आन ◤*
🌹👉🏻 तर्जुमा हमने मोमिनो पर एहसान किया है जब उनमे अपने रसूल ﷺ को भेज दिया।, तो पता चला की हमारी जांन माल, ज़िन्दगी और दोनों आलम की नेमतों में सबसे बड़ी नेमत हमारे प्यारे आक़ा ﷺ है।
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*📚सुराह आले- इमरान- 164📗*
🌷💚 इसीलिये अल्लाह ﷻ ने इस नेमत पर एहसान जताए है। तो फिर हमे इस नेमत का ख़ूब ख़ूब चर्चा करना है।
🌷💫 तर्जुमा आप कह दीजिए की अल्लाह ﷻ के फ़ज़्ल और उसकी रहमत पे ख़ूब खुशियाँ मनाओ, ये बेहतर है उससे जो कुछ वो काम कर रहे है।
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*📚(सुराह युनुस आयत 48)📕*
💟👉🏻यहाँ अल्लाह ﷻ ने अपनी रहमत और फ़ज़्ल पर खुद ही ख़ुशी मानाने का हुक्म दिया है,✍
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💌दुआ फरमाइये की जिस काम की निय्यत की गई है वो मुकम्मल हो सके,,✍
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*🅿पोस्ट:-4⃣2⃣*
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📖12 रबि उल अव्वल 📚
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*<img draggable=”false” role=”img” class=”emoji” alt=”🇸🇦” src=”https://s0.wp.com/wp-content/mu-plugins/wpcom-smileys/twemoji/2/svg/1f1f8-1f1e6.svg”>मेरे मुस्तफ़ा ﷺ का मीलाद<img draggable=”false” role=”img” class=”emoji” alt=”🇸🇦” src=”https://s0.wp.com/wp-content/mu-plugins/wpcom-smileys/twemoji/2/svg/1f1f8-1f1e6.svg”>*
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☞शरीअत की रौशनी में☜
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♦मुश्किल थे रास्ते आसान हो गए
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*दुश्मन भी देख कर हैरान हो गए*
*♦जब रखा मेरे नबी ﷺ ने दुनिया मे क़दम*
*पत्थर भी कलमा पढ़कर मुसलमान हो गए*
*◥ अल कुर’आन ◤*
🌷तर्जुमा हमने आपको सारे जहाँ वालो के लिए रहमत बनाकर भेजा। (सुराह अम्बिया आयत 107)📕
💎👉🏻यानि अल्लाह ﷻ के मेहबूब ﷺ हमारे लिए रहमत है और पिछली आयत में अल्लाहﷻ ने हुक्म दिया की अल्लाहﷻ की रहमत पे खुशियाँ माना, बस साबित हुआ की अल्लाह ﷻ के मेहबुब ﷺ की विलादत के दिन हम खुशियाँ मनायें।
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{♦ *इमाम इब्न जौज़ी लिखते हैं* ♦}
🌹👉🏻 तफ़्सीर 1: “ज़ाहाक ने इब्न अब्बास रदियल्लाहो त’आला अन्हु से रिवायत किया की अल्लाह ﷻ के फ़ज़्ल से मुराद इल्म है और रहमत से मुराद नबी ﷺ है।” (तफ़्सीर जादुल मसीर फि इल्मे तफ़्सीर )
❇ इमाम अबू हय्यान अंदालूसी भी लिखते हैं♡}
💚 तफ़्सीर 2: फ़ज़्ल इल्म है और रहमत मुहम्मद ﷺ है,✍
📚(तफ़्सीर बाहरुल मुहीत जिल्द -5 पेग 171)📘
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*🅿पोस्ट:4⃣3⃣*
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📖12 रबि उल अव्वल 📚
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*<img draggable=”false” role=”img” class=”emoji” alt=”🇸🇦” src=”https://s0.wp.com/wp-content/mu-plugins/wpcom-smileys/twemoji/2/svg/1f1f8-1f1e6.svg”>मेरे मुस्तफ़ा ﷺ का मीलाद<img draggable=”false” role=”img” class=”emoji” alt=”🇸🇦” src=”https://s0.wp.com/wp-content/mu-plugins/wpcom-smileys/twemoji/2/svg/1f1f8-1f1e6.svg”>*
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☞शरीअत की रौशनी में☜
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*♦मुश्किल थे रास्ते आसान हो गए*
*दुश्मन भी देख कर हैरान हो गए*
*♦जब रखा मेरे नबी ﷺ ने दुनिया मे क़दम*
*पत्थर भी कलमा पढ़कर मुसलमान हो गए*
*◥ अल कुर’आन ◤*
💎👉🏻तर्जुमा हमने आपको सारे जहाँ वालो के लिए रहमत बनाकर भेजा। (सुराह अम्बिया आयत 107)📕
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♦ *इमाम जलालुद्दी सुयूती लिखते हैं* ♦
💎👉🏻 तफ़्सीर 3: अबु शेख ने इब्न अब्ब्बास रदियल्लाहो त’आला अन्हु से रिवायत किया की अल्लाह ﷻ के फ़ज़्ल से मुराद इल्म है और उसकी रेहमत से मुराद मुहम्मदﷺ हैं क्यूंकि अल्लाह ﷻ ने फ़रमाया “हमने आपको सारे जहाँ वलोके लिए रहमत बनाकर भेजा”
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*📚(दुर्रे मंसूर जिल्द 4 पेग 330 ) 📕*
🌹अल्लामा अलुसि लिखते हैं: ख़तीब और इब्बन असाकिर ने फ़ज़्ल से मुराद नबी ﷺ है,✍
📚(तफ़्सीर रूहुल माँ’अ’नी जिल्द 11 पेग, 141💦
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*🅿पोस्ट:4⃣4⃣*
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📖12 रबि उल अव्वल 📚
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*<img draggable=”false” role=”img” class=”emoji” alt=”🇸🇦” src=”https://s0.wp.com/wp-content/mu-plugins/wpcom-smileys/twemoji/2/svg/1f1f8-1f1e6.svg”>मेरे मुस्तफ़ा ﷺ का मीलाद<img draggable=”false” role=”img” class=”emoji” alt=”🇸🇦” src=”https://s0.wp.com/wp-content/mu-plugins/wpcom-smileys/twemoji/2/svg/1f1f8-1f1e6.svg”>*
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☞शरीअत की रौशनी में☜
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♦मुश्किल थे रास्ते आसान हो गए
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*दुश्मन भी देख कर हैरान हो गए*
*♦जब रखा मेरे नबी ﷺ ने दुनिया मे क़दम*
*पत्थर भी कलमा पढ़कर मुसलमान हो गए*
*◥ अल कुर’आन ◤*
🌹👉🏻 तर्जुमा वो अल्लाह ﷻ का फ़ज़्ल है जिसपर वो चाहता है देता है, और अल्लाह ﷻ बड़े फ़ज़्ल वाला अज़मत वाला है।
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*📚सूरह जमुआह आयत 4)📗*
💦 इब्न अब्बास रदियल्लाहो त’आला अन्हु फ़ज़्ल के बारे में फ़रमाते हैं:
💐 इस्लाम और नबी ﷺ देकर अल्लाहﷻ ने फ़ज़्ल फ़रमाया; और ये भी कहा गया है की ईमान वालो को इस्लाम देकर फ़ज़्ल फ़रमाया; और ये भी कहा है की अपनी मख्लूक़ को नबी ﷺ भेजकर फ़ज़्ल फ़रमाया।”
📚(तफ़्सीर इब्न अब्ब्बास सूरह जुमाअ आयत 4) 📙
🌹👉🏻 क़ुरआन में भी अंबिया की पैदाइश के दिनों का ज़िक्र खुसूसियत के साथ किया गया है।। अल्लाहﷻ ताला क़ुरान में याह्या अलैहिस सालम के बारे में फ़रमाता है,
✍🏻( ﻭَﺳَﻠَﺎﻡٌ ﻋَﻠَﻴْﻪِ ﻳَﻮْﻡَ ﻭُﻟِﺪَ ﻭَﻳَﻮْﻡَ ﻳَﻤُﻮﺕُ ﻭَﻳَﻮْﻡَ ﻳُﺒْﻌَﺚُ ﺣَﻴًّﺎ १५ ” )📗
💎👉🏻ओर सलाम हो उन पर, जिस दिन ये पैदा हुए और जिस दिन वो वफ़ात पाएँगे,✍
*🅿पोस्ट:4⃣5⃣* ••──────────────────────➻ *📖12 रबि उल अव्वल 📚* ••──────────────────────➻ *🇸🇦मेरे मुस्तफ़ा ﷺ का मीलाद🇸🇦* *~~~~~~~✮~~~~~~~✮~~~~~~~* *☞शरीअत की रौशनी में☜* *~~~~~~~✮~~~~~~~✮~~~~~~~* *♦मुश्किल थे रास्ते आसान हो गए* *दुश्मन भी देख कर हैरान हो गए* *♦जब रखा मेरे नबी ﷺ ने दुनिया मे क़दम* *पत्थर भी कलमा पढ़कर मुसलमान हो गए* *◥ अल कुर’आन ◤**💦 एक जगह ईसा अलैहिस्सलाम ने फ़रमाया:*✍🏻( ﻭَﭐﻟﺴَّﻼَﻡُ ﻋَﻠَﻲَّ ﻳَﻮْﻣَﻮُﻟِﺪْﺕُّ ﻭَﻳَﻮْﻡَ ﺃَﻣُﻮﺕُ ﻭَﻳَﻮْﻡَ ﺃُﺑْﻌَﺚُ ﺣَﻴّﺎً ) *💐तर्जुमा* और मुझपर सलामती हो उस दिन, जिस दिन मई पैदा हुआ, और जिस दिन मुझे मौत आएगी। *📚(सूरह मरयम, आयत 33)📕*💎👉🏻इस आयत से पहले अल्लाह ﷻ ने हज़रत मरयम रदलदिअल्लहो अन्हु का पूरा वाक़ेया बयान किया, और जिस तरह हज़रात ईसा अलैहिस्सलाम की विलादत हुई, ये सब कुछ बयान किया, फिर ईसा अलैहिस्सलाम की विलादत पर उनपर सलाम का ज़िक्र किया। 🌹👉🏻अब ज़रा बताइये, हम अहलेसुन्नत वल जमात भी तो नबी ﷺ की विलादत और बचपन के वाक़ेए और मोजिज़ात बयां करते है, और ये सब कुछ ऊपर क़ुरान की आयतो से साबित है,✍
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*🅿पोस्ट:4⃣6⃣*
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📖12 रबि उल अव्वल 📚
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*<img draggable=”false” role=”img” class=”emoji” alt=”🇸🇦” src=”https://s0.wp.com/wp-content/mu-plugins/wpcom-smileys/twemoji/2/svg/1f1f8-1f1e6.svg”>मेरे मुस्तफ़ा ﷺ का मीलाद<img draggable=”false” role=”img” class=”emoji” alt=”🇸🇦” src=”https://s0.wp.com/wp-content/mu-plugins/wpcom-smileys/twemoji/2/svg/1f1f8-1f1e6.svg”>*
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♦मुश्किल थे रास्ते आसान हो गए
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*दुश्मन भी देख कर हैरान हो गए*
*♦जब रखा मेरे नबी ﷺ ने दुनिया मे क़दम*
*पत्थर भी कलमा पढ़कर मुसलमान हो गए*
💦👉🏻 पता चला की अंबिया की मिलाद के दिन तो खुद अल्लाह ﷻ भी सलाम भेजने का तज़किरा कर रहा है। जबकि अल्लाह ﷻ ताला ने ये भी फरमा दिया की
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*◥ अल कुर’आन ◤*
🌹”अल्लाह ﷻ और उसके फ़रिश्ते नबी अलैहिस्सलाम पर दरूद भेजते है”
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*📚(सूरह अहजाब, आयात 56 )📕*
💟 यानि अल्लाह ﷻ और उसके फ़रिश्ते भी नबी अलैहिस्सलाम पर रोज़ सलाम भेजते है,
💦💐 लेकिन फिर भी पैदाइश के दिन सलाम भेजने का ज़िक्र अल्लाह ﷻ ने खास तौर पर किया है,
💎👉🏻तो पता चला की रोज़ सलाम भेजते रहो, और अम्बियाए अलैहिस्सलाम की विलादत के दिन सलाम भेजना और भी खास है।।
🌹👉🏻 फिर अगर हम अपने नबी अलैहिस्सलाम की विलादत के दिन सलाम पढ, तो कैसे बिदअत हो जाता है,✍
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*🅿पोस्ट:4⃣7⃣*
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📖12 रबि उल अव्वल 📚
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*<img draggable=”false” role=”img” class=”emoji” alt=”🇸🇦” src=”https://s0.wp.com/wp-content/mu-plugins/wpcom-smileys/twemoji/2/svg/1f1f8-1f1e6.svg”>मेरे मुस्तफ़ा ﷺ का मीलाद<img draggable=”false” role=”img” class=”emoji” alt=”🇸🇦” src=”https://s0.wp.com/wp-content/mu-plugins/wpcom-smileys/twemoji/2/svg/1f1f8-1f1e6.svg”>*
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☞शरीअत की रौशनी में☜
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*♦मुश्किल थे रास्ते आसान हो गए*
*दुश्मन भी देख कर हैरान हो गए*
*♦ जब रखा मेरे नबी ﷺ ने दुनिया मे क़दम*
*पत्थर भी कलमा पढ़कर मुसलमान हो गए*
💎👉🏻हर तरफ अंधेरा था! सिर्फ अंधेरा!! कैसा अंधेरा? कुफ्र व शिर्क का अंधेरा! बुत परस्ती का अंधेरा! जुल्म व सितम का अंधेरा ! लोग इंसानियत, शराफत, हमदर्दी, अमानत व दयानत जैसे अल्फाज़ को जानते न थे। इंसानी खून की कोई कीमत न थी, ज़रा सी बात पर तलवारें निकल आतीं और खून की होली खेली जाती, फिर यह जंग नस्लों तक चलती रहती और खून के दरिया बहते रहते। कमज़ोरों को दबाना, गरीबों को सताना, जिनाकारी, बदकारी और शराबनोशी आम थी। औरत की हालत सबसे ज्यादा बुरी थी, उसके साथ जानवरों से बदतर सुलूक किया जाता था। एक खुदा को छोड़कर सैकड़ों अपने बनाये हुए खुदाओं की इबादत की जाती थी। यहां तक कि खुद काबा शरीफ के अन्दर 360 बुत रख दिये गये थे।
💦💐 ऐसे संगीन और होश उड़ाने वाले हालात में 12 रबीउल अव्वल, 20 अप्रैल सन् 571 ई0 बरोज़ पीर सुबह सादिक के वक़्त एक नूर चमका और उसकी रोशनी बढ़ती गयी। देखते ही देखते उसकी किरणें पूरी दुनिया में फैल गयीं, यानि मुस्तफ़ा जाने रहमत शम्ए बज़्मे हिदायत जनाबे मोहम्मदुर्रसूलुल्लाह ﷺ इस दुनिया में तशरीफ ले आये,✍
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*🅿पोस्ट:-4⃣8⃣*
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📖12 रबि उल अव्वल 📚
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*<img draggable=”false” role=”img” class=”emoji” alt=”🇸🇦” src=”https://s0.wp.com/wp-content/mu-plugins/wpcom-smileys/twemoji/2/svg/1f1f8-1f1e6.svg”>मेरे मुस्तफ़ा ﷺ का मीलाद<img draggable=”false” role=”img” class=”emoji” alt=”🇸🇦” src=”https://s0.wp.com/wp-content/mu-plugins/wpcom-smileys/twemoji/2/svg/1f1f8-1f1e6.svg”>*
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☞शरीअत की रौशनी में☜
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*♦मुश्किल थे रास्ते आसान हो गए*
*दुश्मन भी देख कर हैरान हो गए*
*♦जब रखा मेरे नबी ﷺ ने दुनिया मे क़दम*
*पत्थर भी कलमा पढ़कर मुसलमान हो गए*
🌹👉🏻 जब आपकी विलादत हुई तो एक हज़ार साल से रौशन फारसियों के आतिश कदे की आग बुझ गई। काबे में रखे हुए बुत औंधे हो गये। किसरा के महल के 14 कंगूरे ढह गये। शैतान रंज व गम में मारा-मारा फिरा।
*💎👉🏻हज़रते जिबरील तीन झण्डे लेकर आये एक पूरब दूसरा पश्चिम तीसरा काबे की छत पर लगा दिया तमाम फरिश्तों ने एक दूसरे को मुबारक बाद दी और सूरज को बड़ी रोशनी अता की गयी *(शिफा शरीफ)*
💐💟 आपकी विलादत के वक्त एक नूर ज़ाहिर हुआ जिससे आपकी वालिदा हज़रत आमिना ने शाम के महल देख लिये हज़रत आमना के पास हज़राते अम्बिया (अलैहिमुस्सलाम) तशरीफ लाये और फरमाया जब हुज़ूर ﷺकी
विलादत हो जाये तो उनका नाम मोहम्मद ﷺ रखना।
💟💦 आपकी वालिदा फरमाती हैं कि जब आपकी विलादत हो गयी तो मैंने देखा कि आपके सुर्मा और तेल लगा हुआ है। आप ख़तनाशुदा हैं और रेशम से ज्यादा मुलायम कपड़े में लिपटे हुये हैं। इसी बीच तीन शख्स आये उनके चेहरे चाँद की तरह चमक रहे थे एक के हाथ में चाँदी का लोटा दूसरे के हाथ में ज़बरजद (एक कीमती पत्थर) की तश्त तीसरे के हाथ में एक सफेद रेशम था, जिसमें एक मुहर चमक रही थी उनमें से एक शख्स ने चाँदी के लोटे से आपको सात बार गुस्ल दिया फिर आपके दोनो कांधों के बीच में मोहरे नबुव्वत लगा दी।
🌹👉🏻आपकी विलादत के सातवें दिन आपके दादा हज़रत अब्दुल मुत्तलिव ने आपकी तरफ से कुर्बानी की और कुरैश को खाने पर बुलाया।
🔸💐 सबसे पहले आपने हज़रत सुवैबा का दूध पिया फिर अपनी हज़रत आमिना का, इसके बाद बाकी तमाम अर्सा हज़रत हलीमा के दूध से सैराब होते रहे,✍….
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*🅿पोस्ट:-4⃣9⃣*
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📖12 रबि उल अव्वल 📚
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*<img draggable=”false” role=”img” class=”emoji” alt=”🇸🇦” src=”https://s0.wp.com/wp-content/mu-plugins/wpcom-smileys/twemoji/2/svg/1f1f8-1f1e6.svg”>मेरे मुस्तफ़ा ﷺ का मीलाद<img draggable=”false” role=”img” class=”emoji” alt=”🇸🇦” src=”https://s0.wp.com/wp-content/mu-plugins/wpcom-smileys/twemoji/2/svg/1f1f8-1f1e6.svg”>*
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☞शरीअत की रौशनी में☜
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♦मुश्किल थे रास्ते आसान हो गए
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*दुश्मन भी देख कर हैरान हो गए*
*♦जब रखा मेरे नबी ﷺ ने दुनिया मे क़दम*
*पत्थर भी कलमा पढ़कर मुसलमान हो गए*
💐💦बचपन के हालात दूसरे अहवाल की तरह हुजूर का बचपन भी सबसे निराला और अनोखा था बचपन में आपने कभी कपड़ों में पाखाना पेशाब न किया और न। कभी बर्हना हुये और अगर कभी अचानक कपड़ा उठ भी गया तो फरिश्ते सतर छुपा देते थे।आपके इशारे पर चाँद झुक जाता और आपको रोने से बहलाता था।
🌹👉🏻एक बार आप चारागाह में थे कि फरिश्तों के सरदार हज़रत जिबरील आये,आपके सीना-ए-मुबारक को चाक किया और कल्ब मुबारक ( दिल ) को धोकर इल्म व इरफान से भर दिया फिर आपके सीना-ए-मुबारक को सी दिया।
💎👉🏻 जब आप 6 वर्ष के हो गये तो आपकी वालिदा अपनी एक बांदी ‘उम्मे एमन’ को साथ लेकर आपको मदीना शरीफ ले आयी कुछ दिन वहां गुज़ार कर। आपको लेकर मदीना वापस आ रही थीं कि ‘आबवा’ नामी जगह पर वालिदा का विसाल हो गया । वहां से उम्मे एमन आपको मदीना शरीफ ले आयीं।
💐💦 हज़रत आमिना के इन्तेकाल के बाद आपके दादा हज़रत अब्दुल मुत्तलिब ने आपको अपनी ज़िम्मेदारी में ले लिया और अपनी औलाद से बढ़कर चाहा लेकिन दादा की गोद में रहते हुये दो वर्ष ही गुज़रे थे कि उनका भी इन्तेकाल हो गया।
♦👉🏻दादा की वफात के बाद आप अपने चाचा अबु तालिब के यहां परवरिश पाने लगे,अबु तालिब ने भी किफालत का हक अदा कर दिया,आपके हर आराम का पूरा ख्याल रखा,,✍
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*📚बारहवी का चाँद-3/5📕*
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*🅿पोस्ट:-5⃣🅾*
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*<img draggable=”false” role=”img” class=”emoji” alt=”🇸🇦” src=”https://s0.wp.com/wp-content/mu-plugins/wpcom-smileys/twemoji/2/svg/1f1f8-1f1e6.svg”>मेरे मुस्तफ़ा ﷺ का मीलाद<img draggable=”false” role=”img” class=”emoji” alt=”🇸🇦” src=”https://s0.wp.com/wp-content/mu-plugins/wpcom-smileys/twemoji/2/svg/1f1f8-1f1e6.svg”>*
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☞शरीअत की रौशनी में☜
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*♦मुश्किल थे रास्ते आसान हो गए*
*दुश्मन भी देख कर हैरान हो गए*
*♦जब रखा मेरे नबी ﷺ ने दुनिया मे क़दम*
*पत्थर भी कलमा पढ़कर मुसलमान हो गए*
🌹👉🏻जवानी मुबारक..! जब आपने जवानी की मंज़िल में कदम रखा तो उन तमाम बुरे कामों से दूर रहे जो आम तौर से नौजावानों में पाये जाते हैं। सच्चाई,अमानत,दयानत और तमाम अच्छी बातें और बेहतरीन आदतें आपके अन्दर पायी जाती थीं।
💎👉🏻नौजवान आपको खेल कूद की तरफ बुलाते लेकिन आप उनके साथ कभी न जाते। कुरैश आपकी सच्चाई और अमानत को मानते थे । तिजारत ( व्यापार ) आप अपना मामला बहुत साफ रखते झूठ कभी न बोलते हमेशा सच बोलते इसी लिये लोग आपको “सादिक” यानि सच्चा और “अमीन” यानि अमानत दार कहने लगे।
🌹🕋मक्का की एक ख़ातून हज़रत खदीजा बहुत मालदार और बहुत ही शरीफ और पाक दामन ख़ातून थीं उनकी दरख्वास्त पर आपने तिजारत के इरादे से मुल्के शाम ( सीरिया ) का दूसरा सफर किया और बहुत जल्द सारा सामान। बेच कर मक्का वापस आ गये। आपकी अच्छी बातें और बेहतरीन आदतों को। देखकर हज़रत खदीजा ने आपके पास निकाह का पैगाम भेजा आपने मंजूर कर लिया और हज़रत ख़दीजा का निकाह आपसे हो गया उस वक्त आपकी उम्र शरीफ 25 वर्ष थी.✍
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*📚बारहवी का चाँद-3/5📕*
*🅿पोस्ट:-5⃣1⃣*
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*📖12 रबि उल अव्वल 📚*
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*🇸🇦मेरे मुस्तफ़ा ﷺ का मीलाद🇸🇦*
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*☞शरीअत की रौशनी में☜*
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*♦मुश्किल थे रास्ते आसान हो गए”*
*दुश्मन भी देख कर हैरान हो गए”*
*♦जब रखा मेरे नबी ﷺ ने दुनिया मे क़दम*
*पत्थर भी कलमा पढ़कर मुसलमान हो गए”*
*💎👉🏻आप ﷺ पर वही की शुरूआत!* जब आपकी उम्र शरीफ लगभग 40 वर्ष हो गयी तो आपकी तबीयत में कई बदलाव आये। आप सबसे अलग-थलग रहने लगे आप बस्ती से निकल कर एक पहाड़ की तरफ निकल जाते उसमें *“हिरा”* नाम की एक गार में अल्लाह की इबादत व मुजाहदे में मशगूल रहते। खाने पीने का सामान अपने साथ ले जाते और कभी हज़रत ख़दीजा رضي الله عنه दे आतीं कई-कई दिन तक आप उसी गार में रहते । एक रात आप इसी गार में थे कि हज़रत जिबरील عَلَيْهِ السَّلاَم आये और अर्ज किया:- “पढ़िये” आपने कहा “मैं नहीं पढ़ता”हज़रत जिबरील عَلَيْهِ السَّلاَم ने तीन बार इसी तरह कहां और तीनों बार आपने भी यही फरमाया चौथी बार हज़रत जिबरील عَلَيْهِ السَّلاَم ने कहा “अपने रब के नाम से पढ़िये जिसने पैदा किया” और सूरह इकरा की पांच आयतें पढ़कर सुनायीं यह वही की शुरूआत थी। आप इन आयतों को लेकर घर तशरीफ लाये और हज़रत ख़दीजा رضي الله عنه से फरमाया- “मुझे चादर उढ़ाओ चादर उढ़ाओ” आपने हज़रत ख़दीजा رضي الله عنه को पूरा वाक्या सुनाया और फरमाया मुझे अपनी जान का ख़तरा है ।
🌹👉🏻 हज़रत ख़दीजा رضي الله عنه ने अर्ज़ किया “अल्लाह आपको कभी शर्मिन्दा न करेगा। आप तो रिश्तेदारों का पूरा हक अदा करते हैं,सच बोलते हैं बेसहारों की मदद करते हैं जरूरत वालो की जरूरत पूरी करते हैं” हज़रत ख़दीजा رضي الله عنه की इन बातों से आपको काफी सुकून हासिल हुआ और खौफ जाता रहा,✍
*📚बारहवी का चाँद-5/6📕* •────────────────────•
*💌दुआ फरमाइये की जिस काम की निय्यत की गई है वो मुकम्मल हो सके,,✍*
*🅿पोस्ट:-5⃣2⃣*
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*📖12 रबि उल अव्वल 📚*
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*🇸🇦मेरे मुस्तफ़ा ﷺ का मीलाद🇸🇦*
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*☞शरीअत की रौशनी में☜*
*~~~~~~~✮~~~~~~~✮~~~~~~~* *♦मुश्किल थे रास्ते आसान हो गए*
*दुश्मन भी देख कर हैरान हो गए”*
*♦जब रखा मेरे नबी ﷺ ने दुनिया मे क़दम*
*पत्थर भी कलमा पढ़कर मुसलमान हो गए*
*🌹👉🏻आप ﷺ पर वही की शुरूआत!* •••∘⊱ पहले हुजूर सल्ललाहु तआला अलैही वसल्लम छुपकर इस्लाम की दावत देते रहे जब आयते करीमा (अपने करीबी रिश्तेदारों को डराओ) नाज़िल हुई तो इस आयत के बाद आप ‘सफा’ पहाड़ पर चढ़ गये और सारे कबीलों को पुकारा लोग जमा हुये। तो आप ने फरमाया कि अगर मैं कहूं कि इस पहाड़ के पीछे एक लश्कर है और तुम्हें कत्ल करना चाहता है तो क्या तुम मेरी बात मानोगे.?
💎👉🏻सब ने एक ज़बान होकर कहा “ज़रूर मानेंगे,क्योंकि हमने आपको हमेशा सच्चा और आमानत वाला ही पाया है”। इसके बाद आपने फरमाया “ऐ कुरैश! मैं तुम्हें सख़्तर अज़ाब से डराता हूँ,अख़िरत के अज़ाब से डराता हूँ”। यह सुनकर सब लोग जिन में आपका चाचा अबू लहब भी था नाराज़ होकर चले गये ।
*💐👉🏻आम एलान.!!* नबुव्वत को जब तीन साल हो गये तो अल्लाह तआला ने एक आयत नाज़िल की जिसमें आपको इस बात का हुक्म दिया गया कि आप खुल्लम खुल्ला इस्लाम की तबलीग़ करें,आप कुफ्र व शिर्क और बुत परसती की खुल्लम खुल्ला बुराई बयान फ़रमाने लगे जब काफिरों ने अपने बुतों की खुल्लम खुल्ला बुराई सुनी तो वह आपके और मुसलमानों के जानी दुश्मन हो गये और हर तरह से मुसलमानों को सताने लगे । जब काफिरों का जुल्म व सितम हद से बढ़ गया तो आपने मुसलमानों को *”हब्शा”* हिजरत करने का हुक्म दिया वहाँ *”नजाशी”* नाम का एक ईसाई बादशाह बहुत रहम दिल और इन्साफ पसन्द था उसने मुसलमानों को अपने यहां पनाह दी और बहुत अच्छा सुलूक किया बाद में वह मुसलमान हो गया,✍
*📚बारहवी का चाँद-5/6📕*
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*💌दुआ फरमाइये की जिस काम की निय्यत की गई है वो मुकम्मल हो सके,,✍*
*🅿पोस्ट:-5⃣3⃣*
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*📖12 रबि उल अव्वल 📚*
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*🇸🇦मेरे मुस्तफ़ा ﷺ का मीलाद🇸🇦*
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*☞शरीअत की रौशनी में☜*
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*♦मुश्किल थे रास्ते आसान हो गए*
*दुश्मन भी देख कर हैरान हो गए*
*♦जब रखा मेरे नबी ﷺ ने दुनिया मे क़दम*
*पत्थर भी कलमा पढ़कर मुसलमान हो गए*
*🌹👉🏻हज़रत उमर व हज़रत हमज़ा का मुसलमान होना।* नबुव्वत के पांचवे या छठे साल हुजूर के चाचा हज़रत हमज़ा رضي الله عنه ने इस्लाम कबूल कर लिया,वह इस तरह कि जब आपको मालूम हुआ कि रसूल ﷺ का दुश्मन अबु जहल ने हुजूर ﷺ को गालियां दी हैं,उस वक्त आपके हाथ में एक तीर कमान था उसको अबु जहल के सर पर इतनी ज़ोर से मारा कि उसका सर फट गया और हज़रत हमज़ा رضي الله عنه खुद मुसलमान हो गये ।
*💐👉🏻 हज़रत हमज़ा رضي الله عنه के”* मुसलमान होने का गम मक्का के काफिरों के दिलों से अभी दूर भी न हुआ था कि आपके मुसलमान होने के तीसरे दिन हज़रत उमर बिन खत्ताब رضي الله عنه भी मुसलमान हो गये। मुसलमानों ने खुशी से तकबीर का नारा लगाया जो पूरे मक्के में गूंज गया हज़रत उमर फारूक-ए-आज़म رضي الله عنه ने अर्ज़ किया “या रसूलल्लाह ﷺ! क्या हम हक़ पर और काफिर बातिल पर नहीं?”
*💎👉🏻हुजूर ﷺ ने इरशाद फरमाया* *”खुदा की कसम तुम हक पर हो”* अर्ज किया :- तो फिर हम छिपते क्यों हैं.?
🌹👉🏻 इसके बाद मुसलमान दो सफों मे निकले एक सफ में हज़रत हमज़ा رضي الله عنه और दूसरी सफ में हज़रत उमर फारूक-ए-आज़म رضي الله عنه थे और सारे मुसलमानों ने हरमे पाक के अन्दर जाकर नमाज़ अदा की.✍
*📚बारहवी का चाँद-6/7📕*
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*💌दुआ फरमाइये की जिस काम की निय्यत की गई है वो मुकम्मल हो सके,,✍*
*🅿पोस्ट:-5⃣4⃣*
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*📖12 रबि उल अव्वल 📚*
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*🇸🇦मेरे मुस्तफ़ा ﷺ का मीलाद🇸🇦*
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*☞शरीअत की रौशनी में☜*
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*♦मुश्किल थे रास्ते आसान हो गए*
*दुश्मन भी देख कर हैरान हो गए*
*♦जब रखा मेरे नबी ﷺ ने दुनिया मे क़दम*
*पत्थर भी कलमा पढ़कर मुसलमान हो गए*
*💎👉🏻बायकाट..!* इन दोनो हज़रात के मुसलमान हो जाने के बाद मक्का के काफिरों के गुस्से की आग और भड़क उठी। उन्होने ठान लिया कि जब तक माआज़’अल्लाह हुजूर ﷺ को उनके हवाले नहीं किया जाता तब तक आपके ख़ानदान का बायकाट किया जाये,और इस अहदनामें को लिखकर काबे के अन्दर लटका दिया। काफिरों के इस अहद के बाद हुजूर ﷺ अपने ख़ानदान वालों को साथ लेकर मक्का की एक घाटी में तशरीफ ले गये वहां आप ने अपने ख़ानदान वालों के साथ बड़े सख्त दिन गुज़ारे। यह बायकाट तीन साल तक रहा,
*🌹👉🏻अबु तालिब की वफ़ात* हुज़ूरﷺ और आपके खानदान के बायकाट ख़त्म होने के बाद नबुव्वत के दसवें साल अबु तालिब का इन्तेकाल हो गया, इसके कुछ दिनों के बाद हज़रत खदीज़ा رضي الله عنه का भी विसाल हो गया।
अबु तालिब के इन्तेकाल के बाद कुरैश ने जुल्म व सितम की सारी हदें पार कर दीं। आप तबलीग़ के इरादे से “ताएफ” तशरीफ़ ले गये वहां भी आपको सताया गया यहां तक कि आपकी जूतियां और मोज़े खून से भर गये.✍
*📚बारहवी का चाँद-6/7📕*
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*💌दुआ फरमाइये की जिस काम की निय्यत की गई है वो मुकम्मल हो सके,,✍* *📮पोस्ट जारी रहेगी इन्शा अल्लाह…✍🏼
*🅿पोस्ट:5⃣5⃣*
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*📖12 रबि उल अव्वल 📚*
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*🇸🇦मेरे मुस्तफ़ा ﷺ का मीलाद🇸🇦*
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*☞शरीअत की रौशनी में☜*
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*♦मुश्किल थे रास्ते आसान हो गए”*
*दुश्मन भी देख कर हैरान हो गए”*
*♦जब रखा मेरे नबी ﷺ ने दुनिया मे क़दम*
*पत्थर भी कलमा पढ़कर मुसलमान हो गए”*
🌹👉🏻हज के दिनो में तबलीग हुजूरे अक्दस ﷺ सत्ता वाला हज के दिनों में अलग-अलग कबीलों के पास जाते और इस्लाम की तबलीग़ करते जिसके नतीजे में सन् 11 नबवी में मदीने के एक कबीले *“ख़ज़रज”* के छः लोग मुसलमान हुये अगले साल बारह लोगो ने आपके हाथ पर बैअत की उसके अगले साल 72 लोग इक्ट्ठा हुये और आपके हाथ पर इस बात का अहद किया कि वह इस्लाम की खातिर अपनी जान की बाजी लगा देगे ।
*💎👉🏻 जब यह सब लोग मदीना पहुँचे* तो सब ने इस्लाम बड़ी तेज़ी से फैलाना शुरू कर दिया,जिससे मदीने में मुसलमानों की तादाद बढ़ने लगी और मदीना मुसलमानों के लिये एक पनाह बन गया। इसलिए हुजूर ﷺ ने मुसलमानों को मदीना जाने की इजाज़त दे दी और मुसलमान मदीने को हिजरत करने लगे.✍
*📚बारहवी का चाँद-/8📕*
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*💌दुआ फरमाइये की जिस काम की निय्यत की गई है वो मुकम्मल हो सके,,✍*
*📮पोस्ट जारी रहेगी इन्शा अल्लाह…✍🏼*
*🅿पोस्ट:-5⃣6⃣*
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*🇸🇦मेरे मुस्तफ़ा ﷺ का मीलाद🇸🇦*
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*☞शरीअत की रौशनी में☜*
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*♦जब रखा मेरे नबी ﷺ ने दुनिया मे क़दम”*
*पत्थर भी कलमा पढ़कर मुसलमान हो गए”*
*💎👉🏻हिजरत.!* हुजूर ﷺ की इजाज़त के बाद तमाम मुसलमान मदीना पहुँच गये सिर्फ वही लोग पीछे रह गये जिन्हें मक्का के काफिरों ने रोक लिया था या जो लोग जाने की ताक़त नहीं रखते थे। हुजूर ﷺ तमाम मुसलमानों को रूख़्सत फरमाते रहें और खुद मदीने में ही रहे। कुरैश को अब लगा कि कहीं हुजूर ﷺ भी मदीना न चले जायें और इसका अन्जाम उन्हें अच्छी तरह मालूम था इसलिये उन्होने जमा होकर आपके कत्ल की स्कीम बनाई इधर सरकार ﷺ को अल्लाह तआला ने हिजरत का हुक्म दे दिया।
रात को हुजूर ﷺ ने अपने बिस्तर पर हज़रत अली رضي الله عنه को लिटा दिया और घर से बाहर आ गये एक मुट्ठी मिट्टी ली और कुरआन की कुछ आयतें पढ़कर काफिरों की तरफ फेंक दी। किसी को पता भी न चला और हुजूर ﷺ उनके बीच से निकल आये.✍
*📚बारहवी का चाँद-/8📕*
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*💌दुआ फरमाइये की जिस काम की निय्यत की गई है वो मुकम्मल हो सके,,✍*
*📮पोस्ट जारी रहेगी इन्शा अल्लाह…✍🏼*
*🅿पोस्ट:-5⃣7⃣*
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*📖12 रबि उल अव्वल 📚*
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*🇸🇦मेरे मुस्तफ़ा ﷺ का मीलाद🇸🇦*
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*☞शरीअत की रौशनी में☜*
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*♦जब रखा मेरे नबी ﷺ ने दुनिया मे क़दम”*
*पत्थर भी कलमा पढ़कर मुसलमान हो गए”*
*🕋मदीना में जलवागरी* मदीना वालों को आपके आने की खबर पहले ही मिल चुकी थी यह लोग आपके आने का बड़ी बेसब्री से इन्तेज़ार कर रहे थे। रोज़ाना ऊँची जगह पर चढ़कर आपका रास्ता देखते यहां तक कि हुजूर तशरीफ ले आये सबने एक साथ तकबीर का नारा लगाया और आपके इस्तिकबाल (स्वागत) के लिये निकल पड़े।
*💐👉🏻 हर तरफ खुशी का समां था* मदीने की औरतें और बच्चे छतों पर चढ़कर इस नूरानी काफिलें को देख रहे थे और मदीने की बच्चियां खुशी में शेर गुनगुना रही थीं मदीने में हर एक यही चाहता था कि हुजूर हमारे घर कयाम करें,यह हालत देखकर आपने फरमाया कि मेरी ऊँटनी की मुहार छोड़ दो उसे अल्लाह की तरफ से हुक्म मिल चुका है। ऊँटनी चलते-चलते वहां रूक गयी जहां आज मस्जिदे नबवी है.!
*🌹👉🏻उसके सामने हज़रत अबु* अय्यूब जो अंसारी का मकान था,उनकी खुशी का कोई ठिकाना न रहा उन्होनें आपका सारा सामान उतरवाया और आपको अपने घर ले आये उन्होने बहुत ही अदब व एहतराम के साथ आपकी मेज़बानी की हज़रत अय्यूब के घर हुजूर ने सात महीने कयाम फरमाया।
*💎👉🏻मस्जिदे नबवी की तामीर* हज़रत अबू अय्यूब के घर में ठहरने के बाद आपने सोचा कि मदीने में एक मस्जिद की तामीर होना चाहिये,इसके लिये आपने बनू नज्जार के एक बगीचे की ज़मीन पसन्द की और तामीर शुरू हो गयी। मस्जिदे नबवी की तामीर के बाद हुजूर ने अपने बाकी घर वालों को भी मदीने बुलवा लिया और उनके साथ मदीना शरीफ में ही रहने लगे,✍
*📚बारहवी का चाँद-/9📕*
*🅿पोस्ट:-5⃣8⃣*
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*📖12 रबि उल अव्वल 📚*
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*🇸🇦मेरे मुस्तफ़ा ﷺ का मीलाद🇸🇦*
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*☞शरीअत की रौशनी में☜*
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*♦मुश्किल थे रास्ते आसान हो गए*
*दुश्मन भी देख कर हैरान हो गए*
*♦जब रखा मेरे नबी ﷺ ने दुनिया मे क़दम”*
*पत्थर भी कलमा पढ़कर मुसलमान हो गए”*
*🌹👉🏻हुज़ूरﷺ हुलिया शरीफ* आपका जिस्म चमकता, दमकता, महकता। रंग बहुत ही साफ ऐसा लगता जैसे आप चांदी से बनाये गये हैं। एक सहाबी फरमाते हैं कि मैने हर तरह के रेशम देखे लेकिन जो नरमी और नफासत आपके हाथ पाक में देखी वह कहीं नज़र न आयी।
*💐💦 चेहरा ऐसे चमकता जैसे चौहदवीं का चाँद।* जिस्म शरीफ का साया न था। जब सूरज के सामने खड़े होते तो आपके चेहरे की चमक के आगे सूरज की चमक फीकी पड़ जाती।
*🌹👉🏻पेशानी कुशादा और चमकदार,* आँखे बहुत खूबसूरत ऐसा लगता जैसे सुर्मा लगाये हुये हैं जबकि आप सुर्मा लगाये हुये न होते। आगे, पीछे, दायें, बायें, ऊपर, नीचे हर तरफ एक सा देखते। नज़रें हमेश झुकी झुकी रहतीं, अबरू लम्बी-लम्बी पहली के चाँद की तरह बारीक। पलके मुबारक लम्बी, रूख़्सार मुबारक भरे हुये, नाक मुबारक ऊँची, दाँत मुबारक बहुत ही चमकदार मोती की तरह, मुस्कुरादें तो रोशनी हो जाये, दाढ़ी मुबारक घनी, गेसू मुबारक लम्बे और घने कभी कानों के नर्म हिस्से तक होते कभी कंधों को चूम लेते।
💎👉🏻दोनों कंधो के बीच सुराही दार गर्दन और उसके पीछे नबुव्वत की मोहर, सीना मुबारक चौड़ा, हाथ मुबारक रेशम से ज्यादा मुलायम, अंगुलियां मुबारक लम्बी-लम्बी खूबसूरत, कालाईयां लम्बी, पांव मुबारक गोश्त से भरे हुये, ताज़गी का यह आलम कि यूं मालूम होता कि अभी उनसे पानी बहकर अलग हुआ है,✍
*📚बारहवी का चाँद-/10📕*
*🅿पोस्ट:-5⃣9⃣*
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*📖12 रबि उल अव्वल 📚*
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*🇸🇦मेरे मुस्तफ़ा ﷺ का मीलाद🇸🇦*
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*☞शरीअत की रौशनी में☜*
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*♦मुश्किल थे रास्ते आसान हो गए*
*दुश्मन भी देख कर हैरान हो गए”*
*♦जब रखा मेरे नबी ﷺ ने दुनिया मे क़दम*
*पत्थर भी कलमा पढ़कर मुसलमान हो गए”*
*💐👉🏻हुज़ूरﷺ की अख़लाक़ व आदतें* मुस्तफ़ा जाने रहमतﷺ को अल्लाह तआला ने हर तरह की खूबियों से नवाज़ा और हर खूबी सारे इन्सानों से बढ़कर अता की, इस लिये आपका अखलाक (व्यवहार)भी सबसे बेहतर कि अल्लाह तआला ने खुद आपके अच्छे अख़लाक की तारीफ की जैसा कि फरमाया “बेशक आप बुलन्द अखलाक़ पर हैं।” बल्कि अगर यह कहा जाये कि अरब के लोग आपके मोजिज़ों से ज्यादा आपके अख़लाक़ से मुतअस्सिर (प्रभावित) हुये तो गलत न होगा। यही वजह है कि आपके बुलन्द अख़लाक़ को देखकर ही न जाने कितनों को ईमान की दौलत नसीब हो गयी।
*🌹👉🏻 हुज़ूरﷺ बच्चों के पास गुज़रते तो* उन्हें भी सलाम करते, सलाम में हमेशा पहल फरमाते, हर अच्छे काम की शुरूआत सीधे हाथ से फरमाते, बात करते तो साफ-साफ ठहर-ठहर कर तीन बार दोहराते कि हर शख्स अच्छी तरह समझ लेता, ज्यादा तर मुस्कुराते रहते यानि सिर्फ दाँत मुबारक ज़ाहिर होते पूरी ताकत से कभी न हँसे, खाने से पहले और बाद में हाथ मुबारक धोते लेकिन खाने से पहले धोकर पोछते न थे, गुस्से की हालत में चेहरे मुबारक फेर लेते, अपने काम खुद कर लिया करते बल्कि दूसरों के भी काम फरमा देते, आराम फरमाते तो दाहिनी करबट के बल सीधा हाथ ख़्सार (गाल) मुबारक के नीचे रख लेते, मजलिस में जहाँ जगह मिल जाती वहीं तशरीफ फरमा हो जाते, चलते तो ऐसा लगता जैसे ढलवान से उतर रहे, खुश्बू खूब इस्तेमाल फरमाते, दूध बहुत पसन्द फरमाते,
💟💐 पानी तीन सांस में चूस कर पीते, इमामा शरीफ जेबतन फरमाते जिस में शिमला भी होता, सफेद रंग की टोपी भी पहनना साबित है,✍ *📚बारहवी का चाँद-/10,11📕*
*🅿पोस्ट:-6⃣🅾*
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*📖12 रबि उल अव्वल 📚*
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*🇸🇦मेरे मुस्तफ़ा ﷺ का मीलाद🇸🇦*
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*☞शरीअत की रौशनी में☜*
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*♦मुश्किल थे रास्ते आसान हो गए*
*दुश्मन भी देख कर हैरान हो गए*
*♦जब रखा मेरे नबी ﷺ ने दुनिया मे क़दम*
*पत्थर भी कलमा पढ़कर मुसलमान हो गए*
*🌹👉🏻हुज़ूरﷺ का रहम व करम* हुज़ूरﷺ की पूरी ज़िन्दगी रहम व करम और अमन पसन्दी की आईनादार है। एक मर्तबा आप से अर्ज़ किया गया कि मुशरिकों की हलाकत की दुआ फरमा दें। आप ने फरमाया “मैं लानत करने और हलाकत के लिये नहीं भेजा गया हूँ बल्कि मैं तो सरापा रहमत बनाकर भेजा गया हूँ”।
💐👉🏻जब आप लोगों को नमाज़ पढ़ाते और नमाज़ के दौरान किसी बच्चे के रोने की आवाज़ आ जाती तो आप नमाज़ को मुख़्तसर (छोटा) फरमा देते कि बच्चे की माँ परेशान न हो जाये।
*🕋🌹मक्का फतह होने का वाक़या* किसे याद न होगा। हिजरत से पहले मक्का के काफिरों ने आपको हर तरह से सताने की कोशिश की आप पर कूड़ा करकट फैंका, रास्ते में कांटे विछाये, जुल्म व सितम करने में कोई कसर न छोड़ी लेकिन सन 8 हिजरी में जब मक्का फतह हुआ तो आप ने अपने सख्त से सख्त दुश्मन को बुलवाया और फरमाया “बताओ मैं तुम्हारे साथ क्या सुलूक करूँ?” जवाव मिला कि हम आपसे रहम की उम्मीद करते है। आपने फरमाया “जाओ तुम को आज़ाद किया जाता है आज तुम पर कोई इल्ज़ाम नही”,✍
*📚बारहवी का चाँद-/11,12📕*
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*🅿पोस्ट:-6⃣1⃣*
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📖12 रबि उल अव्वल 📚
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*<img draggable=”false” role=”img” class=”emoji” alt=”🇸🇦” src=”https://s0.wp.com/wp-content/mu-plugins/wpcom-smileys/twemoji/2/svg/1f1f8-1f1e6.svg”>मेरे मुस्तफ़ा ﷺ का मीलाद<img draggable=”false” role=”img” class=”emoji” alt=”🇸🇦” src=”https://s0.wp.com/wp-content/mu-plugins/wpcom-smileys/twemoji/2/svg/1f1f8-1f1e6.svg”>*
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☞शरीअत की रौशनी में☜
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♦मुश्किल थे रास्ते आसान हो गए
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*दुश्मन भी देख कर हैरान हो गए*
*♦जब रखा मेरे नबी ﷺ ने दुनिया मे क़दम*
पत्थर भी कलमा पढ़कर मुसलमान हो गए
🌹✍ हुज़ूरﷺ के मोजिज़े तआला ने अपने सभी नबियों व रसूलों को मोजिज़े (वह ख़िलाफ़े आदत काम जो नबी से जाहिर हो) अता फरमायें लेकिन सबसे ज्यादा जाहिर और रोशन मोजिज़े हमारे नबीﷺ को अता किये। उन में से कुछ मोजिज़े पेश किये जाते हैं-
💎👉🏻 एक बार मक्का के मुश्रिकों ने आप से चाँद के दो टुकड़े करने को कहा, आपने फरमाया कि अगर मैं ऐसा कर दूं तो तुम ईमान ले आओगे? उन्होने इकरार कर लिया। हुज़ूरﷺ ने इशारा फरमाया, चाँद के दो टुकड़े हो गये एक टुकड़ा पहाड़ के एक तरफ और दूसरा पहाड़ के दामन में आ गया।
🌹👉🏻एक आराबी (अरब के देहाती) को आपने इस्लाम पेश किया, उसने निशानी तलब की आपने फरमाया कि अगर मैं उस खजूर के गुच्छे को बुला लूं तो तुम मुसलमान हो जाओगे? उसने इकरार कर लिया, आपने उस गुच्छे को बुलाया तो वह पेड़ से उतरने लगा और जमीन पर गिर पड़ा फिर उछलते हुये, आपकी बारगाह में हाजिर हो गया। आपने उसको इशारा किया वह फिर अपनी जगह लौट गया। यह देखकर वह फौरन मुसलमान हो गया,✍
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*📚बारहवी का चाँद-/12,13📕*
*🅿पोस्ट:-6⃣2⃣*
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*📖12 रबि उल अव्वल 📚*
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*🇸🇦मेरे मुस्तफ़ा ﷺ का मीलाद🇸🇦*
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*☞शरीअत की रौशनी में☜*
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*♦मुश्किल थे रास्ते आसान हो गए*
*दुश्मन भी देख कर हैरान हो गए”*
*♦जब रखा मेरे नबी ﷺ ने दुनिया मे क़दम*
*पत्थर भी कलमा पढ़कर मुसलमान हो गए*
💎👉🏻 *हुज़ूरﷺ के मोजिज़े* एक सहाबी हज़रत क़तादा की आँख जंग में ज़ख़्मी हो गयी और बाहर निकल आयी। वह आपकी बारगाह में हाज़िर हुये। आपने आँख का ढेला पकड़ कर उसकी जगह रख दिया, वह आँख बिल्कुल सही हो गयी, बल्कि
पहली आँख से भी ज्यादा खूबसूरत और तेज़ हो गयी।
💐💟 जंगे बद्र में एक सहाबी का हाथ अबु जहल ने काट दिया, वह कटा हुआ हाथ लेकर आकाﷺ की बारगाह में हाज़िर हुये, आपने उनका हाथ असल जगह पर लगाकर अपना लुआबे दहन लगा दिया वह पहले की तरह जुड़ गया और बिल्कुल सही हो गया।
*🌹👉🏻 एक जंग में हज़रत एकाशा की तलवार टूट गयी,* वह आपकी बारगाह में हाज़िर हुये, आपने उन्हें एक लकड़ी दी वह लकड़ी खूब चमकदार, लम्बी और मज़बूत तलवार बन गयी जिससे आप हज़रत सिद्दीके अकबर के ज़माने तक लड़ते रहे।
💎👉🏻 एक सहाबी के सर पर आपने अपना हाथ मुबारक फेर दिया जिसकी बरकत से 80 साल तक उनके बाल सफेद न हुये।
*🌹💦 हज़रत अनस फरमाते हैं* कि एक औरत का बेटा मर गया, लोगों ने उसके कफ़न दफ़न की तैयारी शुरू कर दी, वह औरत हुज़ूरﷺ की बारगाह में हाज़िर हुई अर्ज किया मुझे बुत परस्तों के सामने शर्मिन्दा न करें, मैं इस मुसीबत को बर्दाश्त नहीं कर सकती। हज़रत अनस फ़रमाते हैं कि ख़ुदा की कसम उसकी बात अभी पूरी भी न हुई थी कि लड़के के पाँव हिलने लगे और उसने अपने चेहरे से कपड़ा हटा दिया.✍
*📚बारहवी का चाँद-/12,13📕*
*🅿पोस्ट:-6⃣3⃣*
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*📖12 रबि उल अव्वल 📚*
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*🇸🇦मेरे मुस्तफ़ा ﷺ का मीलाद🇸🇦*
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*☞शरीअत की रौशनी में☜*
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*♦ऊँचे से ऊँचा नबी का झंडा”*
*घर घर में लहराहे पुकारो या रसूल अल्लाह”*
*♦सल्लल्लाहु तआला अलैहि वसल्लम*
💐👉🏻 *झण्डा लगाना सुन्नत है* इमाम सुयूती रहमतुल्लाहि अ़लैहि बयान करते हैं कि ” हुज़ूरे अक़दस सल्लल्लाहु अ़लैहि व सल्लम के तशरीफ़ लाने के वक़्त हज़रत जिबरईल अमीन सत्तर हज़ार फ़रिश्तों के झुरमुट में हुज़ूरे अक़दस सल्लल्लाहु अ़लैहि व सल्लम के आस्ताना मुबारक पर तशरीफ़ लाए और जन्नत से तीन झण्डे भी लेकर आए , उनमें से एक झण्डा पूरब में गाड़ा , एक पश्चिम में और एक काबा मुअ़ज़्ज़मा पर
*📚दलाइलुन्नुबुव्वा , हिस्सा 1 पेज 82📕*
💎👉🏻रूहुलअमी ने गाड़ा काबे की छत पे झण्डा ताअर्श उड़ा फरेरा सुबहे शबे विलादत
🌹👉🏻 अल – हम्दु लिल्लाह मीलादुन्नबी सल्लल्लाहु अ़लैहि व सल्लम पर झण्डा लगाना फ़रिश्तों की सुन्नत है।..✍ *📚 ईद मिलाद-उन-नबी सवाल वह जवाब की रोशनी में
*🅿पोस्ट:-6⃣4⃣*
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*📖12 रबि उल अव्वल 📚*
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*🇸🇦मेरे मुस्तफ़ा ﷺ का मीलाद🇸🇦*
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*☞शरीअत की रौशनी में☜*
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*♦जब तलक़ ये चाँद तारे झिल मिलाते जाएंगे*
*तब तलक़ जश्ने विलावत हम मनाते जाएंगे*
🌹👉🏻 *ज़श्न पर जुलूस निकालना* आका सल्लल्लाहु अ़लैहि व सल्लम के लिये जुलूस निकालना कोई नई बात नहीं है बल्कि सहाबा केराम रदियल्लाहु अन्हुम ने भी जुलूस निकाला है सहीह मुस्लिम की हदीस में है कि जब आका सल्लल्लाहु अ़लैहि व सल्लम हिजरत करके मदीना तशरीफ ले गए तो लोगों ने खुब जश्न मनाया , तो मर्द व औरत अपने घरों की छत पर चढ़ गए और नौजवान लड़के , गुलाम व खुद्दाम रास्तों में फिरते थे और नार – ए – रिसालत लगाते और कहते या मुहम्मद या रसूलल्लाह ! या मुहम्मद या रसूलल्लाह !
*📚सहीह मुस्लिम , हदीस 7707📕*
*✍एक रिवायत में आता है* कि हिज़रते मदीना के मौके पर जब हुजूरे अकदस सल्लल्लाहु अ़लैहि व सल्लम मदीना के करीब पहुँचे तो बुरैदा असलमी अपने सत्तर साथियों के साथ दामने इस्लाम से वाबस्ता हुए और अर्ज़ किया कि हुजूर मदीना शरीफ में आपका दाखिला झण्डा के साथ होना चाहिये , फिर उन्होंने अपने अमामे को नेज़ा पर डाल कर झण्डा बनाया और हुजूर सल्लल्लाहु अ़लैहि व सल्लम के आगे आगे रवाना हुए!
*📚 वफ़ाउल – वफा , हिस्सा 1 , पेज 243 📘*
♦👉🏻 यहाँ ये बात भी याद रखने की है कि जुलूस निकालना सकाफ़त का हिस्सा है । दुनिया के हर खित्ते में जुलूस निकाला जाता है , कहीं स्कूल व कॉलेज के मा – तह़त , तो कहीं सियासी जमाअ़त के मा – तह़त जुलूस निकाला जाता है । कुछ दिन पहले डन्मार्क के एक कार्टूनिस्ट ने नबी – ए – अकरम सल्लल्लाहु अ़लैहि व सल्लम की शान में गुस्ताखी की तो पूरे आलमे इस्लाम में जुलूस निकाला गया और एहतिजाज ( प्रदर्शन ) किया गया । इसी तरह ईद मीलादुन्नबी सल्लल्लाहु अ़लैहि व सल्लम के मौके पर पूरे आलमे इस्लाम में मुसलमान जुलूस निकालते हैं और आका सल्लल्लाहु अ़लैहि व सल्लम से मुहब्बत का इजहार करते हैं।..✍
*📚 ईद मिलाद-उन-नबी सवाल वह जवाब की रोशनी में , सफह 12/13📗*
*🅿पोस्ट:-6⃣5⃣*
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*📖12 रबि उल अव्वल 📚*
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*🇸🇦मेरे मुस्तफ़ा ﷺ का मीलाद🇸🇦*
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*☞शरीअत की रौशनी में☜*
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*♦मुश्किल थे रास्ते आसान हो गए*
*दुश्मन भी देख कर हैरान हो गए*
*♦जब रखा मेरे नबी ﷺ ने दुनिया मे क़दम*
*♦पत्थर भी कलमा पढ़कर मुसलमान हो गए*
🌹👉🏻हमारे सरकार, उम्मत के गम गुसार आका सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम की वाल्दा माजिदा हजरते आमिना रदिअल्लाहु तआला अन्हा इरशाद फरमाती हैं-
💎👉🏻”विलादते बा सआदत के वक्त मैंने एक नूर देखा, जिसकी रौशनी से मुल्के शाम (सीरिया) के तमाम महल चमक उठे और मैं उनको देख रही थी।”
*💦♦ रहमते दोआलम, नूरे मुजस्सम सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम* जब इस दुनिया में तशरीफ लाये तो ऐसा नूर छाया जो मशरिक से मगरिब तक फैल गया और रहमते आलम का काशानये अकदस नूर से मुनव्वर हो गया। आसमान के सितारे झुक गये, ऐसा लग रहा था जैसे वह टूट के गिर पड़ेंगे।
*📚(फताहुल बारी, जिल्द 426)📘*
*🌹👉🏻 हमारे सरकार सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम* के दादा जान अब्दुल मुत्तलिब फरमाते हैं- “मैंने देखा कि काबे को वज्द आ गया और वह हजरते आमिना के मकान की जानिब झुका। काबे में जितने बुत थे, सब के सब सर के बल गिर पड़े और काबे शरीफ से यह सदायें बुलन्द हो गयीं,
💐👉🏻विलादत हो गयी मुस्तफा की, जिनके हाथों काफिर हलाक हो जायेंगे और वह बुतों की पूजा से पाक करेंगे और इल्म वाले बादशाह की इबादत का हुक्म देंगे
💎👉🏻 कैसर व किसरा के महल लरज़ उठे और उसके 14 कंगूरे टूटकर गिर पड़े ,फारस (ईरान) के आतिशकदे की आग खुद-ब-खुद बुझ गयी जो एक हजार साल से जल रही थी और सावह नाम का दरिया खुश्क हो गया।
*🌹👉🏻आशिके आला हजरत जमीले कादरी क्या खूब फरमाते है :-* बुत शिकन आया, कह के सर के बल बुत गिर पड़े। झूम के कहता था काबा अस्सलातो वस्सलाम,✍
*📚रिसाला»» सुबहे शबे विलादत, पेज:3-4📕*
*🅿पोस्ट:-6⃣6⃣*
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*📖12 रबि उल अव्वल 📚*
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*🇸🇦मेरे मुस्तफ़ा ﷺ का मीलाद🇸🇦*
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*☞शरीअत की रौशनी में☜*
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*♦मुश्किल थे रास्ते आसान हो गए*
*दुश्मन भी देख कर हैरान हो गए*
*♦जब रखा मेरे नबी ﷺ ने दुनिया मे क़दम*
*पत्थर भी कलमा पढ़कर मुसलमान हो गए*
*🇨🇨ईद मीलादुन्नबी ﷺ की बरकतें* सय्याहे लामकां, मालिके दो जहाँ सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम की आमदे बा-सआदत से कब्ल मक्का शरीफ में कहत साली छायी हुयी थी। जमीने चटक गयी थीं। पेड़ जल गये थे। कुयें खुश्क हो गये थे, लोग मुसीबतों अफ़लास में गिरफ्तार थे। लेकिन जब गरीबों के आका, फकीरों के मलजा, बेकसों के कस, बेबसों के बस अपनी वालिदा माजिदा रदिअल्लाहु तआला अन्हा के शिकने मुबारक में तशरीफ लाये तो इतनी बारिश हुयी कि जमीन सब्ज व शादाब हो गयी। दरख्तों पर पत्ते, फल व फूल लग गये। सूखे हुये कुएँ पानी से लबरेज हो गये।
💦💐जिन जानवरों के थन खुश्क हो गये थे वह दूध से भर गये। हर तरफ खुशियां और शादमानियाँ आ गयीं।
*🌹👉🏻फूलों से बाग महके,* शाखों पे मुर्ग चहके। अहदे बहार आया सुबहे शबे विलादत।।
💎👉🏻इसलिये अल्लामा इमाम अहमद बिन मुहम्मद कस्तलानी शारेह बुख़ारी अलैहिर्रमतो बारी मीलादुन्नबीﷺ की बरकतो व फजाइल का तजकिरा करते हुये फरमाते हैं- मीलाद शरीफ के खवास में से आजमाया गया है कि इसकी बरकतों से सारा साल, मुसलमानों के लिये हिफ़्ज़ो अमान रहता है। मीलादुन्नबीﷺ मनाने (इस पर खुशियों का इज़हार करने से) दिली मुरादें पूरी होती हैं। अल्लाह तआला उस शख्स पर रहमतें नाजिल फरमाये जिसने विलादत की रातों को मुसर्रत की ईद बना लिया,✍
*📚रिसाला»» सुबहे शबे विलादत, पेज:-5📕*
*🅿पोस्ट:-6⃣7⃣*
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*📖12 रबि उल अव्वल 📚*
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*🇸🇦मेरे मुस्तफ़ा ﷺ का मीलाद🇸🇦*
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*☞शरीअत की रौशनी में☜*
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*♦मुश्किल थे रास्ते आसान हो गए*
*दुश्मन भी देख कर हैरान हो गए*
*♦जब रखा मेरे नबी ﷺ ने दुनिया मे क़दम*
*♦पत्थर भी कलमा पढ़कर मुसलमान हो गए*
*💎👉🏻फज़ाइलो कमालाते मुस्तफाﷺ* हमारे आका सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम जिस शान से दुनिया में तशरीफ लाये उस शान से न कोई आया है और न ही आयेगा।
🌹👉🏻हमारे प्यारे प्यारे आका ताजदारे हरम, शहरयारे इरम ! सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम नाफ बरीदा और खत्ना शुदा पैदा हुये ।
💐👉🏻आपकी आंखों में कुदरती सुर्मा लगा हुआ था और जुबान पे यह अल्फाज जारी थे, “रब्बे हब्ली उम्मती” (ऐ रब मेरी उम्मत मेरे हवाले कर दे)
*💟रब्बे हबली उम्मती कहते हुये पैदा हुये। हक ने फरमाया कि बख़्शा अस्सलातो वस्सलाम*
🌹👉🏻 सरकारे दोआलम सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम जब रूये जमीन पर तशरीफ लाये तो आपके दोनों दस्ते करम जमीन पर थे, सरे अकदस जानिबे आसमान उठा हुआ था जिस्म-ए-अतहर से ऐसी तेज खुशबू निकल रही थी कि जिससे सारा आलम महक रहा था, जिसको आला हजरत रदिअल्लाहु अन्हु ने इस तरह बयान फरमाया है:-
💎👉🏻 उनकी महक ने दिल के गुन्चे खिला दिये हैं। जिस राह चल दिये हैं, कूंचे बसा दिये हैं,✍
*📚रिसाला»» सुबहे शबे विलादत, पेज:-6📕*
*🅿पोस्ट:6⃣8⃣*
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*📖12 रबि उल अव्वल 📚*
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*🇸🇦मेरे मुस्तफ़ा ﷺ का मीलाद🇸🇦*
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*☞शरीअत की रौशनी में☜*
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*♦विलादते शहे दीं हर खुशी की बाइस है।“`*
*🔹हज़ार ईद से भारी है बारहवीं तारीख*
*💟 ईदे मीलादुन्नबी ईदों की ईद*=====| ईदे मीलादुन्नबी सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम मोमिनों यानि आशिकाने रसूलल्लाह सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम के लिये हजार ईदों से बढ़कर ईद है, क्योंकि इसी दिन और इसी साअते सईद में खातिमुल अम्बिया, नूरे खुदा मुहम्मद मुस्तफ़ा सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम दुनिया में तशरीफ लाये।
💎👉🏻वह रसूल तशरीफ लाये जिनके खातिर जमीन व जमाँ, मकीन व मकाँ पैदा किये गये और जिनके सदके में अल्लाह तआला ने हमें दुनिया की तमाम नेमतें अता फरमाई।
🌹👉🏻 लिहाजा इसी ईद के सदके मुसलमानों को ईदुल फित्र मिली और इसी ईद के सदके ईदुल अजहा मिली, बिला शुबह ईदे मीलादुन्नबी ही ईदों की ईद और आशिकों के लिये हकीकी ईद है।
*📚 रिसाला»» सुबहे शबे विलादत, पेज:-6,7,📕*
*🅿पोस्ट:6⃣9⃣*
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*📖12 रबि उल अव्वल 📚*
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*🇸🇦मेरे मुस्तफ़ा ﷺ का मीलाद🇸🇦*
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*☞शरीअत की रौशनी में☜*
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*♦विलादते शहे दीं हर खुशी की बाइस है।“`*
*🔹हज़ार ईद से भारी है बारहवीं तारीख।“`*
*🌹👉🏻रबियुन्नूर शरीफ की शान* प्यारे प्यारे सुन्नी भाइयों! उल्माये मुहिक्किीन ने तहकीक की है व सराहत फ़रमाई है कि रबियुन्नूर शरीफ का महीना तमाम महीनों से अफजल है, हत्ता कि रमाजानुल मुबारक की शान भी इससे कम है क्योंकि रमाजानुल मुबारक में कुरआन आया और रबियुन्नूर शरीफ में साहिबे कुरआन हबीबे रहमान आया।
💐👉🏻 अल्लामा इमाम कस्तलानी शारेह बुखारी कुद्स सिर्रहुल अजीज मवाहिबे लदानियह में फरमाते हैं कि वह मुबारक साअत जिसमें बाइसे तख़्लीके कायनात मुख़्तारे कुल जलवा अफरोज हुये वह साअत और वह शब शबे कद्र से भी अफजल है।
🌹👉🏻 लैइलतुल कद्र की बरकतों से मोमिनीन फैजयाब होते हैं मगर शबे विलादत में तमाम मखलूक पर रहमते खुदावन्दी नाजिल होती है। *वमा अर्सलनाक इल्ला रहमतल-लील-आलमीन (अलकुरआन 107/21)📕*
*📚 रिसाला»» सुबहे शबे विलादत, पेज:-7,8,📕*
*🅿पोस्ट:-7⃣🅾*
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*📖12 रबि उल अव्वल 📚*
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*🇸🇦मेरे मुस्तफ़ा ﷺ का मीलाद🇸🇦*
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*☞शरीअत की रौशनी में☜*
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*♦विलादते शहे दीं हर खुशी की बाइस ह*
*हज़ार ईद से भारी है बारहवीं तारीख*
*🌹👉🏻मोमिन की पहचान* अल्लाह तआला ने हमको बेशुमार नेमतों से नवाजा जैसे रिज़्क, पानी, हवा, आंख, कान, माँ बाप वगैरह, मगर किसी नेमत को देकर अहसान नहीं जताया लेकिन जब अपने महबूब को अता किया तो अपने बन्दों से फ़रमाया, बड़ा अहसान है कि तुम को अपना हबीब दिया।
لقد من اللہ علی المومین از بعث فہیم رسولا
📓 तर्जुमाः- बेशक बड़ा अहसान है मुसलमानों पर कि उनमें उन ही मे से एक रसूल भेजा। *(कन्जुल ईमान)*
🌹👉🏻 सिर्फ़ अहसान ही नहीं जताया बल्कि अपने बन्दों को हुक्म फरमाया कि मेरी नेमत का खूब खूब चर्चा करो।
وا ما بنعمت ربک فحدث
*💎👉🏻प्यारे प्यारे सुन्नी भाइयों,* इन्सान को अल्लाह तआला की जितनी बड़ी नेमत मिलती है वह उतना ही ज़्यादा खुश होता है और शुक्र अदा करता है । अल्लाह तआला की तमाम नेमतों और रहमतों में सबसे बड़ी नेमत हुज़ूरे अकरम सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम हैं। इसलिये आपकी विलादते पाक पर खुशी का इजहार करना और आपकी मीलाद बयान करना (यानि पैदाइश का जिक्र) इस खुशी में जलसे मुनअकिद करना, जुलूस निकालना, लंगर खिलाना, अल्लाह के हुक्म की पैरवी है और हुक्मे रब्बी को पूरा करना मोमिन की पहचान है,✍
*🖤खाक हो जायें अदू जलकर मगर हम तो ‘रजा’ ।*
*💟दम में जब तक दम है जिक्र उनका सुनाते जायेंगे ।।*
*📚रिसाला»» सुबहे शबे विलादत, पेज:-8,9,📕*
*🅿पोस्ट:-7⃣1⃣*
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*📖12 रबि उल अव्वल 📚*
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*🇸🇦मेरे मुस्तफ़ा ﷺ का मीलाद🇸🇦*
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*☞शरीअत की रौशनी में☜*
*~~~~~~~✮~~~~~~~✮~~~~~~~*
*♦विलादते शहे दीं हर खुशी की बाइस है।“`*
*🔸हज़ार ईद से भारी है बारहवीं तारीख।“`*
*💎👉🏻शैतान का मातम* प्यारे प्यारे सुन्नी भाइयों, मालूम होना चाहिये, जिस सुहानी घड़ी मक्का में तैबा का चांद चमका और तमाम आलम पर नूर छाया, और हर तरफ बहार आई, व बहरो बर, बर्गो समर, शजर व हजर खुशी से झूमने लगे, ऐसे मुबारक दिन जान-ए-शैतान पर कयामत टूट पड़ी और वह बदबख़्त जलन व हसद में मातम करके खूब रोया ।
*🌹👉🏻इससे यह साबित हो गया*, सरकार सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम की यौमे विलादत पर खुशी का इजहार न करना और मातम करना, और जल-जल कर ऐतराज करना, शैतान की पैरवी करना है।
*🌿निसार तेरी चहलपहल पर हजारों ईदें रबीयुल अव्वल ।*
*🌷सिवाये इब्लीस के जहां में सभी तो खुशियां मना रहे हैं ।*
*📚रिसाला»» सुबहे शबे विलादत, पेज:-,9,📕*
*🅿पोस्ट:-7⃣2⃣*
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*📖12 रबि उल अव्वल 📚*
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*🇸🇦मेरे मुस्तफ़ा ﷺ का मीलाद🇸🇦*
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*☞शरीअत की रौशनी में☜*
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*♦विलादते शहे दीं हर खुशी की बाइस है।“`*
*🔹हज़ार ईद से भारी है बारहवीं तारीख।“`*
*💎👉🏻अल्लाह की रहमतों का नुजूल* प्यारे प्यारे सुन्नी भाइयों, जान-ए-ईमान हबीबे रहमान सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम की पैदाइश के मौके पर खुशी का इज़्हार करना आपकी मीलाद बयान करना ख्वाह वह नज़्म में हो या नस्र में हो। इस मौके पर लंगर खिलाना बाइसे खैर व बरकत है, गुनाहगार उम्मत की बख़्शिश का सामान है और यही राहे निजात है।
*🌹👉🏻अज़ीम मुहक्किक हज़रत अल्लामा शैख अब्दुलर हक मुहद्दिस देहलवी रहमतुल्लाह अलैहि अपने मलफूज में फ़रमाते हैं- “हुज़ूरे अकरम सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम की शबे विलादत में खुशियां मनाने वालों की जज़ा यह है कि रब तबारक व तआला अपने फ़ज़्लों करम से जन्नतुन नईम में दाखिल फरमायेगा। जो मुसलमान सरकारे दोआलम की विलादत शरीफ की खुशी में आपके जिक्र का एहतमाम करते हैं, मकानों को सजाते हैं, खाने पकवाते हैं, दिल खोलकर खर्च करते हैं, इन तमाम कामों की बरकत से उन पर रहमते खुदावन्दी का नुज़ूल होता है,✍
*📚रिसाला»» सुबहे शबे विलादत, पेज:-,9,10📕*
*🅿पोस्ट:-7⃣3⃣*
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*📖12 रबि उल अव्वल 📚*
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*🇸🇦मेरे मुस्तफ़ा ﷺ का मीलाद🇸🇦*
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*☞शरीअत की रौशनी में☜*
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*♦विलादते शहे दीं हर खुशी की बाइस है।“`*
*हज़ार ईद से भारी है बारहवीं तारीख।“`*
*🌹👉🏻ईदे मीलादुन्नबी के मुबारक मौके परः- क्या करना है*
👌🏻नातिया महफ़िलें मुनअकिद करें जिसमें हुज़ूरﷺ के फ़ज़ाइल व मनाकिब बयान किये जायें।
☑️ अपने घर मुहल्ले, कूचे व बाजार को सजायें और झण्डे लगायें।
✔एक दूसरे को मुबारकबाद दें और दोस्तों को इत्र व दीगर तोहफ़ों से नवाजें। रोज़ा रखें जैसा कि हुज़ूर सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम खुद पीर शरीफ़ के दिन रोज़ा रखा करते थे।
☑️ निहायत अदब व ऐहतराम सुकून व विक़ार के साथ जुलूसे मुहम्मदी में शिरकत करें।
✔ इस्लामी बुक स्टाल लगायें, और इस्लामी किताबें बिला कीमत या कम कीमत पर तक़सीम करें।
☑️ अपने घरों में चरागां करें और बच्चों को ईदी तक़सीम करें।
✔ इस दिन कसरत से दुरूदे पाक का विर्द करें।
☑️ सुबह सादिक के वक़्त हुज़ूर सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम के इस्तक़बाल में नज़रानये दुरूदो सलाम पेश करें और फ़ातेहा ख्वानी करें।
✔जुलूस के दरमियान नमाज़ का वक्त आने पर नमाज़ पहले अदा करें।
*क्या नही करनाहै*
🚫मीलादुन्नबी के मौके पर खुशी में कोई भी गैर शरई काम हरगिज़ न करें जैसे आतिशबाज़ी, ढोल ताशा वगैरह।
❌ गानों की तर्ज पर नाते न पढ़ें न सुनें न कैसेट वगैरह में बजायें।
❌ खाने पीने की अशिया को हाथों में अदब के साथ दें। लुटाकर बर्बाद न करें कि रिज़्क की बेअदबी अल्लाह को
पसन्द नहीं।
❎ मीलादुन्नबी के मुबारकबादी के पोस्टरों व बैनरों में किसी भी जानदार की तस्वीर या अपना फोटो हरगिज़ न छपवायें क्योंकि तस्वीर हर मौसम हर त्यौहार पर हराम ही है।
🚫जुलूस के दरमियान राह से गुज़रने वालों का ख्याल रखें जहां तक हो सके रास्ते बन्द करने से बचें।
❌ तेज़ आवाज़ में डीजे साउण्ड वगैरह का इस्तेमाल न करें कि बीमारों को तकलीफ न पहुंचे,✍
*📚रिसाला»» सुबहे शबे विलादत, पेज:-,9,10📕*
*🅿पोस्ट:7⃣4⃣*
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*📖12 रबि उल अव्वल 📚*
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*🇸🇦मेरे मुस्तफ़ा ﷺ का मीलाद🇸🇦*
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*☞शरीअत की रौशनी में☜*
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*_🇨🇨🌹ईदे मीलादुन्नबी पर मुसलमानाने अहले सुन्नत से दो बातें🇨🇨🌹_*
*💠⚜👉माहे रबीउल अव्वल की बारह तारीख़ को हमारे प्यारे आक़ाﷺ इस दुनिया में तश्ररीफ़ लाये और दुनिया भर के मुसलमान क़दीम ज़माने से आप की विलादत की ख़ुशी मुख़्तलिफ़ तरीक़ों से मनाते चले आये हैं। माहे रबीउल अव्वल की बारहवीं तारीख़ जश्न मनाना, एक दूसरे को मुबारकबाद देना, चराग़ां करना वगैरा खैर व बरकत के काम हैं उनकी अस्ल कुरआन व हदीस से साबित है। इन बातों की मुखालफ़त करने वाला यक़ीनन राहे हक़ से भटका हुआ है।*
*🌺🍃👉लेकिन मौजूदा दौर में ईद मीलादुन्नबीﷺ के मौके पर लोग हद से बढ़ चुके हैं। जुलूसों में डी.जे. और ढोल जैसी आवाज़ों वाली नातें पढ़ी जाती हैं, उन की धुनों पर नौजवान डांस करते, कूदते-थिरकते हैं। कहीं छतों से खाने पीने का सामान फेंक कर रिज़्क़ की बेहुरमती की जाती है। गुम्बदे ख़ज़रा वगैरा के मुजस्समे तो जाने दीजिये अब तो ऐसी चीज़ों के मुजस्समे बनाकर घुमाये जाने लगे हैं जिनका इस्लाम से कोईतअल्लुक़ नहीं।*
*🌸☘👉खुलासा यह कि अब इसमें बहुत सारीगैर शरईबातें दाखिल हो गयीं हैं। ज़रूरत इस बात की है कि हम सब मिलकर इन के ख़ातमे की कोशिश करें और जहां तक हो सके सादगी, अदब व एहतराम के साथ, शरीअत के दायरे में रहकर ईदमीलादुन्नबीﷺ मनायें ताकि हम उसके फुयूज़ व बरकात से मालामाल हो सकें। अल्लाह तआला हमें अमल की तौफ़ीक़ दे आमीन!*
*🅿पोस्ट:7⃣5⃣*
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*📖12 रबि उल अव्वल 📚*
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*🇸🇦मेरे मुस्तफ़ा ﷺ का मीलाद🇸🇦*
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*☞शरीअत की रौशनी में☜*
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*♦विलादते शहे दीं हर खुशी की बाइस है`*
*हज़ार ईद से भारी है बारहवीं तारीख।`*“
*💎👉🏻हुज़ूरﷺ की पूरी ज़िन्दगी एक नज़र में*
*🌹👉🏻 आपका नाम– मोहम्मदﷺ*
💐 वालिद का नाम– हज़रत अब्दुल्लाह
💎 वालिदा का नाम– हज़रत आमिना
💟 दादा का नाम– हज़रत अब्दुल मुत्तलिब
🌹👉🏻 नाना का नाम– वहब
💟 विलादत (पैदाइश)– 12 रबीउल अव्वल, 20 अप्रैल सन् 571 ई0, दिन पीर सुबह सादिक के वक्त
🖤 वालिदा की वफात– 06 साल की उम्र में
🌄 मुल्केशाम (सीरिया) का पहला सफर– 12 साल की उम्र में
🌌 मुल्केशाम (सीरिया) का दूसरा सफर– 25 साल की उम्र में
💟 वही की शुरूआत– 40 साल की उम्र में
➡आम एलान– 44 साल की उम्र में
💐चाचा अबु तालिब का इन्तकाल– 50 साल की उम्र में सन् 10 नबवी
💎👉🏻हज़रत ख़दीजा का विसाल– 50 साल की उम्र में सन् 10 नबवी
🌹 मदीना को हिजरत– 53 साल की उम्र में सन् 13 नबवी
🕌 मस्जिदें नबवी का संगे बुनियाद– 55 साल की उम्र में सन् 01 हिजरी
🖤 जंगे बद्र– 56 साल की उम्र में सन् 03 हिजरी
➡ जंगे उहुद– 56 साल की उम्र में सन् 03 हिजरी
🖤 जंगे ख़न्दक– 58 साल की उम्र में सन् 05 हिजरी
🗡जंगे खैबर– 60 साल की उम्र में सन् 07 हिजरी
⚔ जंगे मुता– 61 साल की उम्र में सन् 08 हिजरी
🕋 मक्का की फतह– 61 साल की उम्र में सन् 08 हिजरी
💐आपके बेटे हज़रत इब्राहीम का विसाल– 61 साल की उम्र में सन् 08 हिजरी
➡आपकी बेटी हज़रत ज़ैनब का विसाल– 61 साल की उम्र में सन् 08 हिजरी
☪आख़री हज– 63 साल की उम्र में सन् 10 हिजरी
➡आपका विसाल– 63 साल की उम्र में सन् 11 हिजरी बरोज़ पीर..✍
*📚बारहवी का चाँद-/14, 📕*