GAUSE AZAM BAMANE BE SARO SAAMA’N MADADE NAAT LYRICS
Gause Azam Bamane Be saro saama’n madade
Qibla e deen madade Kaba e Ima’n madade
Mazhare Sirre Azal Gosha e Chashme Karame
Mahbate Faize Abad Waaqife Pinhaan Madade
Gushta am barg e khiza’n didaye aashob e jahan
Ae bahare karame gulshane imka’n madade
Gar shukuhat ba sar e ijz nawazi aayad
Lashkar e mor faraastad ba sulema’n madade
Na buwad dar do jahaan juz tu madadgar mora
Madade ay sar o sar karda e paaka’n madade
Zarra am chand tapad dar shab e zulmat be noor
Subhe rahmat karam e mahr e darakhsh’n madade
Aah az qafla e aehl e dila’n buz dooram
Naaqa am ra na buwad juz tu hadikhwa’n madade
Ma gadaeem tu sultan e do aalam hasti
Az tu darem tama’ ya shahe jila’n madade
Khak e baghdad buwad surma e binaaiye man
Dida am ra che kunad kuh’l e safaha’n madade
Himmat e kun baman ae baada kashe bazm e huzur
Saqi e maikada e aalam e irfa’n madade
Bul bule madh e sara e tu am ae rashk e bahar
Gul rue sayyed e aalam e imka’n madade
Intezar e karam e tust man “Ayni” ra
Ae khuda ju wa khuda bi’no khuda da’n madade
Translation:
O Ghaus-e-Azam, come to our aid!
O Qibla of the faith, come to our aid at the Kaaba!
O Manifestation of the Secrets of Eternity,
O Corner of the Generosity of the Abode,
O You Who are Hidden and Ever-Present, come to our aid!
The autumnal winds have caused sorrow in the world,
O Springtime of Generosity, come to our aid in the garden!
If difficulties come with the power of authority,
May the army of the peacock spread peace and safety!
In both worlds, there is no helper except You,
O Holy One, come to our aid, You Who are the Master of Masters!
When a particle shines in the darkness of night,
May the dawn of Your Mercy grant the light of Your Splendor!
From the caravan of the people of the heart, I am far away,
And I have no steed except for You, O Guide of the Way!
We have always been Your subjects, O Sultan of the Two Worlds,
We are always at Your service, O King of the Realm of Existence!
The dust of Baghdad is like kohl to my eyes,
What can the mountain of pages do to restore my vision?
O cupbearer of the tavern of the exalted realm,
Strengthen my resolve, O dispenser of grace!
May the blossoms of praise for You be abundant, O envy of spring!
May the roses of the Master of the Realm of Existence bloom!
I await Your generosity, O Tust, with my eyes,
O God, You are the Giver, and You alone are the Giver!
ग़ौस-ए-आज़म ब-मन-ए-बे-सर-ओ-सामाँ मददे / Ghaus-e-Azam Ba-Man-e-Be-Sar-o-Saman Madade | Ghous e Azam Bamane Be Saro Saman Madade (All Versions)
ग़ौस-ए-आ’ज़म ब-मन-ए-बे-सर-ओ-सामाँ मददे
क़िब्ला-ए-दीं मददे का’बा-ए-ईमाँ मददे
वाह ! क्या मर्तबा, ऐ ग़ौस ! है बाला तेरा
ऊँचे ऊँचों के सरों से क़दम आ’ला तेरा
सर भला क्या कोई जाने कि है कैसा तेरा
औलिया मलते हैं आँखें वो है तल्वा तेरा
क्या दबे जिस पे हिमायत का हो पंजा तेरा
शेर को ख़तरे में लाता नहीं कुत्ता तेरा
तू हुसैनी-हसनी क्यूँ न मुहिय्युद्दीं हो
ऐ ख़िज़र ! मज्म’-ए-बहरैन है चश्मा तेरा
क़समें दे दे के खिलाता है, पिलाता है तुझे
प्यारा अल्लाह तेरा, चाहने वाला तेरा
मुस्तफ़ा के तन-ए-बे-साया का साया देखा
जिस ने देखा मेरी जाँ जल्वा-ए-ज़ेबा तेरा
इब्न-ए-ज़हरा को मुबारक हो ‘अरूस-ए-क़ुदरत
क़ादिरी पाएँ तसद्दुक़, मेरे दूल्हा ! तेरा
क्यूँ न क़ासिम हो कि तू इब्न-ए-अबिल-क़ासिम है
क्यूँ न क़ादिर हो कि मुख़्तार है बाबा तेरा
नबवी मींह, ‘अलवी फ़स्ल, बतूली गुलशन
हसनी फूल, हुसैनी है महकना तेरा
नबवी ज़िल, ‘अलवी बुर्ज, बतूली मंज़िल
हसनी चाँद, हुसैनी है उजाला तेरा
नबवी ख़ुर, ‘अलवी कोह, बतूली मा’दिन
हसनी ला’ल, ह़ुसैनी है तजल्ला तेरा
बहर-ओ-बर, शहर-ओ-क़ुरा, सहल-ओ-हुज़ुन, दश्त-ओ-चमन
कौन से चक पे पहुँचता नहीं दा’वा तेरा
हुस्न-ए-निय्यत हो ख़ता फिर कभी करता ही नहीं
आज़माया है, यगाना है दोगाना तेरा
‘अर्ज़-ए-अहवाल की प्यासों में कहाँ ताब मगर
आँखें, ऐ अब्र-ए-करम ! तक्ती हैं रस्ता तेरा
मौत नज़्दीक, गुनाहों की तहें, मैल के ख़ौल
आ बरस जा कि नहा धो ले ये प्यासा तेरा
आब आमद वो कहे और मैं तयम्मुम बरख़ास्त
मुश्त-ए-ख़ाक अपनी हो और नूर का अहला तेरा
जान तो जाते ही जाएगी क़ियामत ये है
कि यहाँ मरने पे ठहरा है नज़्ज़ारा तेरा
तुझ से दर, दर से सग और सग से है मुझ को निस्बत
मेरी गर्दन में भी है दूर का डोरा तेरा
इस निशानी के जो सग हैं, नहीं मारे जाते
हश्र तक मेरे गले में रहे पट्टा तेरा
मेरी क़िस्मत की क़सम खाएँ सगान-ए-बग़दाद
हिन्द में भी हूँ तो देता रहूँ पहरा तेरा
तेरी ‘इज़्ज़त के निसार, ऐ मेरे ग़ैरत वाले !
आह सद आह कि यूँ ख़्वार हो बिरवा तेरा
बद सही, चोर सही, मुजरिम-ओ-नाकारा सही
ऐ वो कैसा ही सही है तो, करीमा ! तेरा
मुझ को रुस्वा भी अगर कोई कहेगा तो यूँ ही
कि वही ना, वो रज़ा बंदा-ए-रुस्वा तेरा
हैं रज़ा यूँ न बिलक तू नहीं जय्यिद तो न हो
सय्यिद-ए-जय्यिद-ए-हर-दहर है मौला तेरा
फ़ख़्र-ए-आक़ा में, रज़ा ! और भी इक नज़्म-ए-रफ़ी’
चल लिखा लाएँ सना-ख़्वानों में चेहरा तेरा
तू है वो ग़ौस कि हर ग़ौस है शैदा तेरा
तू है वो ग़ैस कि हर ग़ैस है प्यासा तेरा
सूरज अगलों के चमकते थे, चमक कर डूबे
उफ़ुक़-ए-नूर पे है मेहर हमेशा तेरा
मुर्ग़ सब बोलते हैं, बोल के चुप रहते हैं
हाँ असील एक नवा-संज रहेगा तेरा
जो वली क़ब्ल थे या बा’द हुए या होंगे
सब अदब रखते हैं दिल में, मेरे आक़ा ! तेरा
ब-क़सम कहते हैं शाहान-ए-सरीफ़ैन-ओ-हरीम
कि हुवा है न वली हो कोई हम्ता तेरा
तुझ से और दहर के अक़्ताब से निस्बत कैसी
क़ुत्ब ख़ुद कौन है ! ख़ादिम तेरा चेला तेरा
सारे अक़्ताब-ए-जहाँ करते हैं का’बे का तवाफ़
का’बा करता है तवाफ़-ए-दर-ए-वाला तेरा
और परवाने हैं जो होते हैं का’बे पे निसार
शम्’अ इक तू है कि परवाना है का’बा तेरा
शजर-ए-सर्वे सही किस के उगाए तेरे
मा’रिफ़त फूल सही किस का खिलाया तेरा
तू है नौ-शाह, बराती है ये सारा गुलज़ार
लाई है फ़स्ल-ए-समन गूँध के सेहरा तेरा
डालियाँ झूमती हैं रक़्स-ए-ख़ुशी जोश पे है
बुलबुलें झूलती हैं गाती हैं सेहरा तेरा
गीत कलियों की चटक ग़ज़लें हज़ारों की चहक
बाग़ के साज़ों में बजता है तराना तेरा
सफ़-ए-हर-शजरा में होती है सलामी तेरी
शाख़ें झुक झुक के बजा लाती हैं मुजरा तेरा
किस गुलिस्ताँ को नहीं फ़स्ल-ए-बहारी से नियाज़
कौन से सिलसिले में फ़ैज़ न आया तेरा
नहीं किस चाँद की मंज़िल में तेरा जल्वा-ए-नूर
नहीं किस आईने के घर में उजाला तेरा
राज किस शहर में करते नहीं तेरे ख़ुद्दाम
बाज किस नहर से लेता नहीं दरिया तेरा
मज़रा’-ए-चिश्त-ओ-बुख़ारा व ‘इराक़-ओ-अजमेर
कौन सी किश्त पे बरसा नहीं झाला तेरा
और महबूब हैं, हाँ पर सभी यक्साँ तो नहीं
यूँ तो महबूब है हर चाहने वाला तेरा
उस को सौ फ़र्द सरापा ब-फ़राग़त ओढ़ें
तंग हो कर जो उतरने को हो नीमा तेरा
गर्दनें झुक गईं, सर बिछ गए, दिल लौट गए
कश्फ़-ए-साक़ आज कहाँ ये तो क़दम था तेरा
ताज-ए-फ़र्क़-ए-‘उरफ़ा किस के क़दम को कहिए ?
सर जिसे बाज दें वो पाँव है किस का तेरा
सुक्र के जोश में जो हैं वो तुझे क्या जानें
ख़िज़्र के होश से पूछे कोई रुत्बा तेरा
आदमी अपने ही अहवाल पे करता है क़ियास
नशे वालों ने भला सुक्र निकाला तेरा
वो तो छूटा ही कहाँ चाहें कि हैं ज़ेर-ए-हज़ीज़
और हर औज से ऊँचा है सितारा तेरा
दिल-ए-आ’दा को, रज़ा ! तेज़ नमक की धुन है
इक ज़रा और छिड़कता रहे ख़ामा तेरा
शायर:
हम्ज़ा ऐनी मारहरवी
इमाम अहमद रज़ा ख़ान
ना’त-ख़्वाँ:
ओवैस रज़ा क़ादरी
हाफ़िज़ डॉ. निसार अहमद मार्फ़ानी
ग़ौस-ए-आ’ज़म ब-मन-ए-बे-सर-ओ-सामाँ मददे
क़िब्ला-ए-दीं मददे का’बा-ए-ईमाँ मददे
मज़हर-ए-सिर्र-ए-अज़ल गोशा-ए-चश्म-ए-करमे
महबत-ए-फ़ैज़-ए-अदब वाक़िफ़-ए-पिन्हाँ मददे
गुश्ता-अम बर्ग-ए-ख़िज़ाँ दीदा-ए-आशूब-ए-जहाँ
ऐ बहार-ए-करम-ए-गुलशन-ए-इम्काँ मददे
न बुवद दर दो-जहाँ जुज़ तू मदद-गार मोरा
मदद ऐ सरवर-ए-सरकर्दा-ए-पाकाँ मददे
गर शुकोहत ब-सर-ए-‘इज्ज़-नवाज़ी आयद
लश्कर-ए-मोर-फ़रस्तद ब-सुलैमाँ मददे
ज़र्रा अम चंद तपद दर शब-ए-ज़ुल्मत बे-नूर
सुब्ह-ए-रहमत करम ऐ मेहर-ए-दरख़्शाँ मददे
आह ! अज़ क़ाफ़िला-ए-अहल-ए-दिलाँ पुर दूरम
नाक़ा अम रा न बुवद जुज़ तू हुदी-ख़्वाँ मददे
मा गदाएम तू सुल्तान-ए-दो-‘आलम हस्ती
अज़ तू दारेम तम’अ या शह-ए-जीलाँ मददे
ख़ाक-ए-बग़दाद बुवद सुर्मा-ए-बीनाई-ए-मन
दीदा अम रा चे कुनद कुहल-ए-सफ़ाहाँ मददे
मददे कुन ब-मन ऐ बादा-कश-ए-बज़्म-ए-हुज़ूर
साक़ी-ए-मय-कदा-ए-‘आलम-ए-‘इरफ़ाँ मददे
बुलबुल-ए-मदह-ए-सरा-ए-तू अम ऐ रश्क-ए-बहार
गुल-रू-ए-सय्यद-ए-‘आलम-ए-इम्काँ मददे
इंतिज़ार-ए-करम-ए-तुस्त मन ‘ऐनी रा
ऐ ख़ुदा-बीं-ओ-ख़ुदा-जू-ओ-ख़ुदा-दाँ मददे
शायर:
हम्ज़ा ऐनी मारहरवी
Gaus-E-Aa’zam Ba-Man-E-Be-Sar-O-Saamaan Madade
Qibla-E-Deen Madade Kaa’ba-E-Imaan Madade
Waah ! Kya Martaba, Ai Gaus ! Hai Baala Tera
Unche Unchon Ke Saron Se Qadam Aa’la Tera
Sar Bhala Kya Koi Jaane Ki Hai Kaisa Tera
Auliya Malte Hain Aankhen Wo Hai Talwa Tera
Kya Dabe Jis Pe Himaayat Ka Ho Panja Tera
Sher Ko Khatre Men Laata Nahin Kutta Tera
Tu Husaini-Hasani Kyun Na Muhiyyuddin Ho
Ai Khizar ! Majma’-E-Bahrain Hai Chashma Tera
Qasmen De De Ke Khilaata Hai, Pilaata Hai Tujhe
Pyaara Allah Tera, Chaahne Waala Tera
Mustafa Ke Tan-E-Be-Saaya Ka Saaya Dekha
Jis Ne Dekha Meri Jaan Jalwa-E-Zeba Tera
Ibn-E-Zahra Ko Mubaarak Ho ‘Aroos-E-Qudrat
Qaadiri Paaen Tasadduq, Mere Dulha ! Tera
Kyun Na Qaasim Ho Ki Tu Ibn-E-Abil-Qaasim Hai
Kyun Na Qaadir Ho Ki Mukhtaar Hai Baaba Tera
Nabawi Meenh, ‘Alawi Fasl, Batooli Gulshan
Hasani Phool, Husaini Hai Mahakna Tera
Nabawi Zil, ‘Alawi Burj, Batooli Manzil
Hasani Chaand, Husaini Hai Ujaala Tera
Nabawi Khur, ‘Alawi Koh, Batooli Maa’din
Hasani Laa’l, Husaini Hai Tajalla Tera
Bahr-O-Bar, Shahr-O-Qura, Sahl-O-Huzun, Dasht-O-Chaman
Kaun Se Chak Pe Pahunchta Nahin Daa’wa Tera
Husn-E-Niyyat Ho Khata Phir Kabhi Karta Hi Nahin
Aazmaaya Hai, Yagaana Hai Dogaana Tera
‘Arz-E-Ahwaal Ki Pyaason Men Kahaan Taab Magar
Aankhen, Ai Abr-E-Karam ! Takti Hain Rasta Tera
Maut Nazdeek, Gunaahon Ki Tahen, Mail Ke Khaul
Aa Baras Jaa Ki Naha Dho Le Ye Pyaasa Tera
Aab Aamad Wo Kahe Aur Main Tayammum Barkhaast
Musht-E-Khaak Apni Ho Aur Noor Ka Ahla Tera
Jaan To Jaate Hi Jaaegi Qiyaamat Ye Hai
Ki Yahaan Marne Pe Thahra Hai Nazzaara Tera
Tujh Se Dar, Dar Se Sag Aur Sag Se Hai Mujh Ko Nisbat
Meri Gardan Men Bhi Hai Door Ka Dora Tera
Is Nishaani Ke Jo Sag Hain, Nahin Maare Jaate
Hashr Tak Mere Gale Men Rahe Patta Tera
Meri Qismat Ki Qasam Khaaen Sagaan-E-Bagdaad
Hind Men Bhi Hun To Deta Rahun Pehra Tera
Teri ‘Izzat Ke Nisaar, Ai Mere Gairat Waale !
Aah Sad Aah Ki Yun Khwaar Ho Birwa Tera
Bad Sahi, Chor Sahi, Mujrim-O-Naakaara Sahi
Ai Wo Kaisa Hi Sahi Hai To, Kareema ! Tera
Mujh Ko Ruswa Bhi Agar Koi Kahega To Yun Hi
Ki Wahi Na, Wo Raza Banda-E-Ruswa Tera
Hain Raza Yun Na Bilak Tu Nahin Jayyid To Na Ho
Sayyid-O-Jayyid-E-Har-Dahar Hai Maula Tera
Fakhr-E-Aaqa Men, Raza ! Aur Bhi Ik Nazm-E-Rafi’
Chal Likha Laaen Sana-Khwaanon Men Chehra Tera
Tu Hai Wo Gaus Ki Har Gaus Hai Shaida Tera
Tu Hai Wo Gais Ki Har Gais Hai Pyaasa Tera
Sooraj Aglon Ke Chamakte The, Chamak Kar Doobe
Ufuq-E-Noor Pe Hai Mehr Hamesha Tera
Murg Sab Bolte Hain, Bol Ke Chup Rehte Hain
Haan Aseel Ek Nawa-Sang Rahega Tera
Jo Wali Qabl The Ya Baa’d Hue Ya Honge
Sab Adab Rakhte Hain Dil Men, Mere Aaqa ! Tera
Ba-Qasam Kehte Hain Shaahaan-E-Sareefain-O-Hareem
Ki Huwa Hai Na Wali Ho Koi Hamta Tera
Tujh Se Aur Dahr Ke Aqtaab Se Nibat Kaisi
Qutb Khud Kaun Hai ! Khaadim Tera Chela Tera
Saare Aqtaab-E-Jahaan Karte Hain Kaa’be Ka Tawaaf
Kaa’ba Karta Hai Tawaaf-E-Dar-E-Waala Tera
Aur Parwaane Hain Jo Hote Hain Kaa’be Pe Nisaar
Sham’a Ik Tu Hai Ki Parwaana Hai Kaa’ba Tera
Shajr-E-Sarwe Sahi Kis Ke Ugaae Tere
Maa’rifat Phool Sahi Kis Ka Khilaaya Tera
Tu Hai Nau-Shaah, Baraati Hai Ye Saara Gulzaar
Laai Hai Fasl-E-Saman Goondh Ke Sehra Tera
Daaliyaan Jhoomti Hain Raqs-E-Khushi Josh Pe Hai
Bulbulen Jhoolti Hain Gaati Hain Sehra Tera
Geet Kaliyon Ki Chatak Gazlen Hazaaron Ki Chahak
Baag Ke Saazon Men Bajta Hai Taraana Tera
Saf-E-Har-Shajra Men Hoti Hai Salaami Teri
Shaakhen Jhuk Jhuk Ke Baja Laati Hain Mujra Tera
Kis Gulistaan Ko Nahin Fasl-E-Bahaari Se Niyaaz
Kaun Se Silsile Men Faiz Na Aaya Tera
Nahin Kis Chaand Ki Manzil Men Tera Jalwa-E-Noor
Nahin Kis Aaine Ke Ghar Men Ujaala Tera
Raaj Kis Shehr Men Karte Nahin Tere Khuddaam
Baaj Kis Nehr Se Leta Nahin Dariya Tera
Mazra’-E-Chisht-O-Bukhaara Wa ‘Iraq-O-Ajmer
Kaun Si Kisht Pe Barsa Nahin Jhaala Tera
Aur Mahboob Hain, Haan Par Sabhi Yaksaan To Nahin
Yun To Mahboob Hai Har Chaahne Waala Tera
Us Ko Sau Fard Saraapa Ba-Faraagat Odhen
Tang Ho Kar Jo Utarne Ko Ho Neema Tera
Gardanen Jhuk Gain, Sar Bichh Gae, Dil Laut Gae
Kashf-E-Saaq Aaj Kahaan Ye To Qadam Tha Tera
Taaj-E-Farq-E-‘Urafa Kis Ke Qadam Ko Kahiye ?
Sar Jise Baaj Den Wo Paanw Hai Kis Ka Tera
Sukr Ke Josh Men Jo Hain Wo Tujhe Kya Jaanen
Khizr Ke Hosh Se Poochhe Koi Rutba Tera
Aadmi Apne Hi Ahwaal Pe Karta Hai Qiyaas
Nashe Waalon Ne Bhala Sukr Nikaala Tera
Wo To Chhoota Hi Kahaan Chaahen Ki Hain Zer-E-Hazeez
Aur Har Auj Se Uncha Hai Sitaara Tera
Dil-E-Aa’da Ko, Raza ! Tez Namak Ki Dhun Hai
Ik Zara Aur Chhidakta Rahe Khaama Tera
Poet:
Hamza Aini Marhravi
Imam Ahmad Raza Khan
Naat-Khwaan:
Owais Raza Qadri
Gaus-E-Aa’zam Ba-Man-E-Be-Sar-O-Saamaan Madade
Qibla-E-Deen Madade Kaa’ba-E-Imaan Madade
Mazhar-E-Sirr-E-Azal Gosha-E-Chashm-E-Karame
Mahbat-E-Faiz-E-Adab Waaqif-E-Pinhaan Madade
Gushta-Am Barg-E-Khizaan Deeda-E-Aashoob-E-Jahaan
Ai Bahaar-E-Karam-E-Gulshan-E-Imkaan Madade
Na Buwad Dar Do-Jahaan Juz Tu Madad-Gaar Mora
Madad Ai Sarwar-E-Sarkarda-E-Paakaan Madade
Gar Shukohat Ba-Sar-E-‘Ijz-Nawaazi Aayad
Lashkar-E-Mor-Farastad Ba-Sulaimaan Madade
Zarra Am Chand Tapad Dar Shab-E-Zulmat Be-Noor
Subh-E-Rehmat Karam Ai Mehr-E-Darakhshaan Madade
Aah ! Az Qaafila-E-Ahl-E-Dilaan Pur Dooram
Naaqa Am Raa Na Buwad Juz Tu Hudi-Khwaan Madade
Maa Gadaaem Tu Sultaan-E-Do-‘Aalam Hasti
Az Tu Daarem Tamaa’ Ya Shah-E-Jeelaan Madade
Khaak-E-Bagdaad Buwad Surma-E-Beenaai-E-Man
Deeda Am Raa Che Kunad Kuhl-E-Safaahaan Madade
Madade Kun Ba-Man Ai Baada-Kash-E-Bazm-E-Huzoor
Saaqi-E-Mai-Kada-E-‘Aalam-E-‘Irfaan Madade
Bulbul-E-Madh-E-Sara-E-Tu Am Ai Rashk-E-Bahaar
Gul-Roo-E-Sayyad-E-‘Aalam-E-Imkaan Madade
Intizaar-E-Karam-E-Tust Man ‘Aini Raa
Ai Khuda-Been-O-Khuda-Joo-O-Khuda-Daan Madade
Poet:
Hamza Aini Marhravi
हिन्दी
ENG
GAUSE AZAM BAMANE BE SARO SAAMA’N MADADE NAAT LYRICS
Gause Azam Bamane Be saro saama’n madade
Qibla e deen madade Kaba e Ima’n madade
Mazhare Sirre Azal Gosha e Chashme Karame
Mahbate Faize Abad Waaqife Pinhaan Madade
Gushta am barg e khiza’n didaye aashob e jahan
Ae bahare karame gulshane imka’n madade
Gar shukuhat ba sar e ijz nawazi aayad
Lashkar e mor faraastad ba sulema’n madade
Na buwad dar do jahaan juz tu madadgar mora
Madade ay sar o sar karda e paaka’n madade
Zarra am chand tapad dar shab e zulmat be noor
Subhe rahmat karam e mahr e darakhsh’n madade
Aah az qafla e aehl e dila’n buz dooram
Naaqa am ra na buwad juz tu hadikhwa’n madade
Ma gadaeem tu sultan e do aalam hasti
Az tu darem tama’ ya shahe jila’n madade
Khak e baghdad buwad surma e binaaiye man
Dida am ra che kunad kuh’l e safaha’n madade
Himmat e kun baman ae baada kashe bazm e huzur
Saqi e maikada e aalam e irfa’n madade
Bul bule madh e sara e tu am ae rashk e bahar
Gul rue sayyed e aalam e imka’n madade
Intezar e karam e tust man “Ayni” ra
Ae khuda ju wa khuda bi’no khuda da’n madade