Sar Su-e-Roza Jhuka Phir Tujh Ko Kya Lyrics (4 Languages) | Aala Hazrat

Sar Su-e-Roza Jhuka Phir Tujh Ko Kya Lyrics (4 Languages)

“सर सू-ए-रौज़ा झुका फिर तुझ को क्या” आला हज़रत, इमाम अहमद रज़ा ख़ान बरेलवी (रहमतुल्लाह अलैह) की क़लम से निकला एक ऐसा शाहकार है जिसमें इश्क़ भी है और दुश्मन-ए-रसूल के लिए एक निडर पैग़ाम भी। यह कलाम आला हज़रत के मशहूर नातिया दीवान “हदाएक़-ए-बख़्शिश” में शामिल है।

इस नात में आला हज़रत अपने आशिक़ाना आमाल, जैसे रौज़ा-ए-रसूल की तरफ सर झुकाना, या रसूलल्लाह कहना, और नबी का ज़िक्र करना, का ज़िक्र करते हैं और हर शेर के आख़िर में “फिर तुझ को क्या” कहकर गुस्ताख़ों और बद-अक़ीदा लोगों को करारा जवाब देते हैं। यह नात अक़ीदे की पुख़्तगी और इश्क़ की बेबाकी का बेहतरीन नमूना है।

नात की जानकारी (Naat Information Table)

 

 

फीचर (Feature)विवरण (Details)
कलाम का उनवानसर सू-ए-रौज़ा झुका फिर तुझ को क्या
शायर (Poet)इमाम अहमद रज़ा ख़ान ‘आला हज़रत’ बरेलवी
किताब (Book)हदाएक़-ए-बख़्शिश, हिस्सा दोम (Hadaiq-e-Bakhshish, Part II)

“Sar Su-e-Roza Jhuka Phir Tujh Ko Kya” Full Naat Lyrics

Urdu Lyrics (اردو کے بول)

سر سوئے روضہ جھکا پھر تجھ کو کیا
دل تھا ساجد نجدیا پھر تجھ کو کیا

بیٹھتے اٹھتے مدد کے واسطے
یارسول اللہ کہا پھر تجھ کو کیا

بے خودی میں سجدۂ در یا طواف
جو کیا اچھا کیا پھر تجھ کو کیا

ان کے نام پاک پر دل جان و مال
نجدیا سب تج دیا پھر تجھ کو کیا

دیو کے بندوں سے ہم کو کیا غرض
ہم ہیں عبد مصطفیٰ پھر تجھ کو کیا

تیری دوزخ سے تو کچھ چھینا نہیں
خلد میں پہنچا رضؔا پھر تجھ کو کیا

Hindi Lyrics (हिन्दी बोल)

सर सू-ए-रौज़ा झुका फिर तुझ को क्या,
दिल था साजिद नज्दिया फिर तुझ को क्या।

बैठते उठते मदद के वास्ते,
या रसूल अल्लाह कहा फिर तुझ को क्या।

बे-ख़ुदी में सज्दा-ए-दर या तवाफ़,
जो किया अच्छा किया फिर तुझ को क्या।

उनके नाम-ए-पाक पर दिल जान-ओ-माल,
नज्दिया सब तज दिया फिर तुझ को क्या।

देव के बंदों से हमको क्या ग़रज़,
हम हैं अब्द-ए-मुस्तफ़ा फिर तुझ को क्या।

तेरी दोज़ख़ से तो कुछ छीना नहीं,
ख़ुल्द में पहुँचा रज़ा फिर तुझ को क्या।

Roman English Lyrics

Sar su-e-roza jhuka phir tujh ko kya,
Dil tha saajid Najdiya phir tujh ko kya.

Baithte uthte madad ke waaste,
Ya RasoolAllah kaha phir tujh ko kya.

Be-khudi mein sajda-e-dar ya tawaaf,
Jo kiya achha kiya phir tujh ko kya.

Unke naam-e-paak par dil jaan-o-maal,
Najdiya sab taj diya phir tujh ko kya.

Dev ke bandon se humko kya gharaz,
Hum hain Abd-e-Mustafa phir tujh ko kya.

Teri dozakh se to kuch chheena nahin,
Khuld mein pahuncha Raza phir tujh ko kya.

Gujarati Lyrics (ગુજરાતી ગીતો)

સર સૂ-એ-રૌઝા ઝુકા ફિર તુજ કો ક્યા,
દિલ થા સાજિદ નજ્દિયા ફિર તુજ કો ક્યા.

બૈઠતે ઉઠતે મદદ કે વાસ્તે,
યા રસૂલઅલ્લાહ કહા ફિર તુજ કો ક્યા.

બે-ખુદી મેં સજ્દા-એ-દર યા તવાફ,
જો કિયા અચ્છા કિયા ફિર તુજ કો ક્યા.

ઉનકે નામ-એ-પાક પર દિલ જાન-ઓ-માલ,
નજ્દિયા સબ તજ દિયા ફિર તુજ કો ક્યા.

દેવ કે બંદોં સે હમકો ક્યા ગરઝ,
હમ હૈં અબ્દ-એ-મુસ્તફા ફિર તુજ કો ક્યા.

તેરી દોઝખ સે તો કુછ છીના નહીં,
ખુલ્દ મેં પહુંચા રઝા ફિર તુજ કો ક્યા.

अक्सर पूछे जाने वाले सवाल (Frequently Asked Questions)

Q1. इस नात में “नज्दिया” किसे कहा गया है?

इस नात में “नज्दिया” से मुराद वो लोग हैं जो नबी-ए-करीम (स.अ.व.) और औलिया-अल्लाह की ताज़ीम (सम्मान) करने को ग़लत या शिर्क समझते हैं। आला हज़रत ने उन्हें सीधे तौर पर संबोधित किया है।

Q2. “अब्द-ए-मुस्तफ़ा” का क्या मतलब है?

“अब्द-ए-मुस्तफ़ा” का मतलब है “मुस्तफ़ा का बंदा” या “मुस्तफ़ा का ग़ुलाम”। यहाँ “बंदा” या “ग़ुलाम” होने से मुराद अल्लाह का बंदा होने से इनकार नहीं, बल्कि हुज़ूर (स.अ.व.) से अपनी बेपनाह मोहब्बत, अक़ीदत और फ़रमाबरदारी का इज़हार करना है।

ज़रूरी लिंक्स (Important Links)

 

 

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