Ya Ilahi Rahm Farma Mustafa Ke Waste (Shajra-e-Qadria) Lyrics
“या इलाही रहम फ़रमा मुस्तफ़ा के वासिते” यह सिर्फ़ एक दुआ नहीं, बल्कि सिलसिला-ए-आलिया क़ादरिया का वो मुबारक **शजरा** है जिसे पढ़कर सुन्नी मुसलमान अल्लाह की बारगाह में उसके महबूब बंदों का वसीला पेश करते हैं। इस शाहकार शजरे को इमाम-ए-अहल-ए-सुन्नत, आला हज़रत इमाम अहमद रज़ा ख़ान बरेलवी (रहमतुल्लाह अलैह) ने लिखा है।
इस कलाम में आला हज़रत ने हुज़ूर नबी-ए-करीम (सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम) से लेकर हज़रत अली, इमाम हसन-ओ-हुसैन, ग़ौस-ए-आज़म, और सिलसिला-ए-क़ादरिया के तमाम बुज़ुर्गों के वास्ते से अल्लाह की रहमत और करम की दुआ की है। इस पेज पर आपको इस मुबारक शजरे के मुकम्मल बोल **चार भाषाओं (हिंदी, रोमन, उर्दू और गुजराती)** में मिलेंगे।
शजरे की जानकारी (Shajra Information Table)
| फीचर (Feature) | विवरण (Details) |
|---|---|
| कलाम का उनवान | या इलाही रहम फ़रमा मुस्तफ़ा के वासिते (शजरा-ए-क़ादिरिय्या) |
| शायर (Poet) | इमाम अहमद रज़ा ख़ान ‘आला हज़रत’ बरेलवी |
| किताब (Book) | हदाएक़-ए-बख़्शिश (Hadaiq-e-Bakhshish) |
| मशहूर नात-ख़्वाँ | हाफ़िज़ ताहिर क़ादरी, हाजी हस्सान अत्तारी |
“Ya Ilahi Rahm Farma Mustafa Ke Waste” Full Shajra Lyrics
Hindi Lyrics (हिन्दी बोल)
या इलाही! रहम फ़रमा मुस्तफ़ा के वासिते,
या रसूलल्लाह! करम कीजे ख़ुदा के वासिते।मुश्किलें हल कर शह-ए-मुश्किल कुशा के वासिते,
कर बलाएँ रद शहीद-ए-कर्बला के वासिते।सय्यिद-ए-सज्जाद के सदक़े में साजिद रख मुझे,
‘इल्म-ए-हक़ दे बाक़िर-ए-‘इल्म-ए-हुदा के वासिते।क़ादिरी कर, क़ादिरी रख, क़ादिरिय्यों में उठा,
क़द्र-ए-‘अब्दुल-क़ादिर-ए-क़ुदरत-नुमा के वासिते।दिल को अच्छा, तन को सुथरा, जान को पुर-नूर कर,
अच्छे प्यारे शम्स-ए-दीं बदरुल-‘उला के वासिते।सदक़ा इन आ’याँ का दे छे ‘ऐन ‘इज़्ज़ ‘इल्म-ओ-‘अमल,
‘अफ़्व-ओ-‘इरफ़ाँ ‘आफ़ियत अहमद रज़ा के वासिते।
Roman English Lyrics
Ya Ilahi! rehm farma Mustafa ke waasite,
Ya RasoolAllah! karam keeje Khuda ke waasite.Mushkilein hal kar Shah-e-Mushkil Kusha ke waasite,
Kar balaayein rad Shaheed-e-Karbala ke waasite.Sayyid-e-Sajjad ke sadqe mein saajid rakh mujhe,
‘Ilm-e-Haq de Baaqir-e-‘ilm-e-Huda ke waasite.Qaadiri kar, Qaadiri rakh, Qaadiriyyon mein utha,
Qadr-e-‘Abdul-Qadir-e-Qudrat-numa ke waasite.Dil ko achha, tan ko suthra, jaan ko pur-noor kar,
Achhe pyaare Shams-e-Deen Badrul-‘Ula ke waasite.Sadqa in aa’yaan ka de chhe ‘ain ‘izz ‘ilm-o-‘amal,
‘Afw-o-‘irfaan ‘aafiyat Ahmad Raza ke waasite.
Urdu Lyrics (اردو کے بول)
یا الٰہی رحم فرما مصطفیٰ کے واسطے
یا رسول اللہ کرم کیجے خدا کے واسطےمشکلیں حل کر شہِ مشکل کشا کے واسطے
کر بلائیں رد شہیدِ کربلا کے واسطےسیّدِ سجاد کے صدقے میں ساجد رکھ مجھے
علمِ حق دے باقرِ علمِ ہُدیٰ کے واسطےقادری کر، قادری رکھ، قادریوں میں اٹھا
قدرِ عبدالقادرِ قدرت نما کے واسطےدل کو اچھا، تن کو ستھرا، جاں کو پرنور کر
اچھے پیارے شمسِ دیں بدرالعلیٰ کے واسطےصدقہ ان اعیاں کا دے چھ عین عز و علم و عمل
عفو و عرفاں عافیت احمد رضاؔ کے واسطے
Gujarati Lyrics (ગુજરાતી ગીતો)
યા ઇલાહી! રહમ ફરમા મુસ્તફા કે વાસિતે,
યા રસૂલલ્લાહ! કરમ કીજે ખુદા કે વાસિતે.મુશ્કિલેં હલ કર શહ-એ-મુશ્કિલ કુશા કે વાસિતે,
કર બલાએં રદ શહીદ-એ-કરબલા કે વાસિતે.સય્યિદ-એ-સજ્જાદ કે સદકે મેં સાજિદ રખ મુઝે,
‘ઇલ્મ-એ-હક દે બાકિર-એ-‘ઇલ્મ-એ-હુદા કે વાસિતે.કાદિરી કર, કાદિરી રખ, કાદિરિય્યોં મેં ઉઠા,
કદ્ર-એ-‘અબ્દુલ-કાદિર-એ-કુદરત-નુમા કે વાસિતે.દિલ કો અચ્છા, તન કો સુથરા, જાન કો પુર-નૂર કર,
અચ્છે પ્યારે શમ્સ-એ-દીં બદરુલ-‘ઉલા કે વાસિતે.સદકા ઇન આ’યાઁ કા દે છે ‘ઐન ‘ઇઝ્ઝ ‘ઇલ્મ-ઓ-‘અમલ,
‘અફ્વ-ઓ-‘ઇરફાઁ ‘આફિયત અહમદ રઝા કે વાસિતે.
अक्सर पूछे जाने वाले सवाल (Frequently Asked Questions)
Q1. शजरा क्या होता है?
शजरा (شجرہ) का मतलब होता है “वंश-वृक्ष” या “वंशावली”। सूफी तरीक़ों में, शजरे से मुराद वो नज़्म होती है जिसमें सिलसिले के तमाम बुज़ुर्गों का ज़िक्र तर्तीबवार (क्रम से) होता है, और उनके वसीले से दुआ माँगी जाती है। यह सिलसिला हुज़ूर नबी-ए-करीम (स.अ.व.) तक पहुँचता है।
Q2. इस कलाम का आख़िरी शेर किसके बारे में है?
इस कलाम का आख़िरी शेर शायर, यानी आला हज़रत इमाम अहमद रज़ा ख़ान ने अपने हक़ में लिखा है। वो सिलसिला-ए-क़ादरिया के बुज़ुर्गों का वसीला पेश करने के बाद आख़िर में अल्लाह से अपने लिए भी ‘अफ़्व (माफ़ी), ‘इरफ़ान (पहचान) और ‘आफ़ियत (सुरक्षा) की दुआ करते हैं।
ज़रूरी लिंक्स (Important Links)
- YouTube पर सुनें: हाफ़िज़ ताहिर क़ादरी की आवाज़ में यह शजरा सुनें।
- शायर के बारे में जानें: रेख़्ता पर आला हज़रत इमाम अहमद रज़ा ख़ान के बारे में और पढ़ें।
- किताब पढ़ें: “हदाएक़-ए-बख़्शिश” ऑनलाइन पढ़ें।