वो सुए ला लाज़ार फिरते हैं
तेरे दिन आये बहार फिरते हैं
जो तेरे दर से यार फिरते हैं
दर-ब-दर यू ही ख़ार फिरते हैं
फूल क्या देखु मेरी आँखों में
दश्ते तैयबा के ख़ैर फिरते हैं
जान हैं जान क्या नज़र आये,
क्यू अदु गिर्द ए गार फिरते हैं
उनके इमा पे दोनो बागो पर,
खइले लैलो नाहर फिरते हैं
वर्दिया बोलते हैं हर काम
पहरा देते सूपर फिरते हैं
लाखों क़ुदसी हैं काम-ए-ख़िदमत पर
लाखों गिरदे मजार फिरते हैं
हर चराग ए मज़ार पर क़ुदसी
कैसे परवाना वार फिरते हैं
बाए रस्ते न जा मुसाफिर सुन्न
माल हैं रहबार फिरते हैं
जाग सूनसान बन है रात आई
गुर्ग बेहरे शिकार फिरते हैं
रखिये जैसे हैं खानाज़ाद हैं हम
मोल के सबूत फिरते हैं
उस गली का गदा हूँ मैं जिसमें
माँगते ताजेदार फिरते हैं
हाय गाफिल वो क्या जगह है जहां
पांच जाते हैं चार फिरते हैं
कोई क्यों पूछे तेरी बात रज़ा
तुझसे कुत्ते हज़ार फिरते हैं